नई
दिल्ली [विभूति कुमार रस्तोगी]। शिक्षा अधिकार कानून [आरटीई एक्ट] लागू
होने के बाद राजधानी दिल्ली के सभी पब्लिक स्कूलों को दाखिले में गरीब और
वंचित बच्चों के लिए 25 फीसदी का अतिरिक्त कोटा रखना पड़ेगा। ऐसा हाल ही
में लागू किए गए शिक्षा के अधिकार कानून के चलते हुआ है। दरअसल शिक्षा के
अधिकार कानून में 6 से 14 साल तक के बच्चों को घर के पास स्थित सरकारी और
निजी स्कूलों में पूरी तरह से मुफ्त शिक्षा देने की बात कही गई है। हर
स्कूल में ऐसे बच्चों का कोटा 25 फीसदी तय किया गया है। इससे सरकार से
रियायती दर पर जमीन लेकर स्कूल चलाने वाले चार सौ के करीब पब्लिक स्कूलों
में पहले से 15 फीसदी गरीबी कोटा अब बढ़कर 40 फीसदी पर पहुंच जाएगा। इनमें
15 फीसदी बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना होगा, लेकिन शिक्षा का अधिकार कानून
के बाद जो 25 फीसदी गरीब बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ेंगे उनका भुगतान
दिल्ली सरकार करेगी।
शिक्षा के अधिकार कानून के खंड-12 [2] में कहा गया है कि सरकार द्वारा
उपलब्ध कराई गई सस्ती जमीन पर चलने वाले निजी स्कूलों में पहले से 15
फीसदी गरीबों का कोटा चल रहा है तो वह चलता रहेगा उसका इस कानून से कोई
मतलब नहीं है। क्योंकि सस्ती जमीन लेने के बदले निजी स्कूलों ने 15 फीसदी
गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने की जिम्मेदारी ली थी। लेकिन आरटीई कानून
लागू होने के बाद 25 फीसदी बच्चे जो उन स्कूलों में पढ़ेंगे, उसका भुगतान
दिल्ली सरकार करेगी। इस तरह अब 40 फीसदी गरीब बच्चों को दाखिला देना निजी
स्कूलों की मजबूरी होगी।
मोटी फीस और जटिल दाखिला प्रक्रिया के चलते राजधानी के महंगे पब्लिक
स्कूलों में दाखिले को तरसने वाले गरीब परिवारों के बच्चों के लिए यह
अच्छी खबर है। इस नई व्यवस्था के दायरे में राजधानी के करीब 394 नामचीन
स्कूल आ रहे हैं और इस व्यवस्था का पालन न करने पर इनकी मान्यता तक रद हो
सकती है। शिक्षा अधिकार कानून को राजधानी में मानीटर कर रही एजेंसी दिल्ली
कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स [डीसीपीसीआर] के सदस्य शशांक शेखर
बताते हैं कि दिल्ली में सरकारी जमीन पर चल रहे सभी पब्लिक स्कूलों को अब
अपने यहा 25 फीसदी का अतिरिक्त कोटा लागू करना होगा। जिसके तहत निम्न आय
वर्ग से लेकर वंचित, आरक्षित श्रेणी के बच्चे आएंगे। शशाक शेखर ने बताया
कि डीसीपीसीआर को कानून का पालन न करने वाले स्कूलों की मान्यता रद करने
तक का अधिकार है।
दिल्ली पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन का कहना
है उनके संगठन के दो हजार सदस्य हैं। इनमें से 394 स्कूल डीडीए से रियायती
दर पर खरीदी जमीन पर चलते हैं। सरकार का आदेश लागू करना इनकी तो मजबूरी
है, लेकिन बाकी स्कूल इस आदेश को कतई नहीं मानेंगे। यानी नवंबर से नए सत्र
की दाखिला प्रक्रिया शुरू होने पर एक नई लड़ाई की भूमिका अभी से तैयार हो
गई है।
रियायती जमीन पर चल रहे दिल्ली के कुछ पब्लिक स्कूल
-बाल भारती पब्लिक स्कूल, सर गंगाराम हॉस्पिटल मार्ग
-भारतीय विद्या भवन, कस्तूरबा गाधी मार्ग
-कार्मल कान्वेंट, चाणक्यपुरी
-संस्कृति स्कूल, चाणक्यपुरी
-माडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड
– मेटर डाई स्कूल, तिलक लेन
– रामजस पब्लिक स्कूल, पूसा रोड
– जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल, सेक्टर-22 रोहिणी
-एमेटी इटरनेशनल स्कूल, साकेत
– डीपीएस, मथुरा रोड, वसंतकुंज और आरके पुरम