तीन सियासतों के बीच में फंसा एक बुंदेलखंड

नई
दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के एक दर्जन
से अधिक जिलों में फैला बुंदेलखंड एक क्षेत्र है। पूरा इलाका गरीबी,
बेरोजगारी, पलायन, सूखा, अकाल जैसी समस्याओं से भी समान रूप से जूझ रहा
है। लेकिन इस क्षेत्र को इन समस्याओं से मुक्ति देने की कोशिश करने के
बजाय सियासी सूरमा अपनी-अपनी सियासत चमकाने में लगे हैं। सियासत भी एक
तरफा नहीं बल्कि तीन तरफा।

यकीन नहीं तो उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के शहर झांसी में
प्रस्तावित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े मामले पर नजर डाल लीजिए।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है क्योंकि उत्तर
प्रदेश का बुंदेलखंड उनकी राजनीति की प्रयोगशाला के तौर पर उभर रहा है।

शायद इसीलिए केंद्र सरकार से इसे आनन-फानन में मंजूरी भी मिल चुकी है।
बहुजन समाज पार्टी इस क्षेत्र में अपना जनाधार बचाए रखने की कोशिश में है।
इसलिए उसने इस प्रोजेक्ट की राह में फच्चर फंसा दिया है। मध्य प्रदेश की
भारतीय जनता पार्टी सरकार भी क्यों चूके? सो, उसने केंद्रीय कृषि
विश्वविद्यालय के लिए मध्य प्रदेश के हिस्से वाले किसी भी जिले में जमीन
देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजकर गुत्थी को और उलझा दिया।

मध्य प्रदेश सरकार अच्छी तरह जानती है कि इस वक्त राहुल गांधी और
केंद्र सरकार का फोकस सिर्फ उत्तर प्रदेश वाले बुंदेलखंड पर है। ऐसे में
उसका प्रस्ताव स्वीकार नहीं होगा और उसे कांग्रेस के बुंदेलखंड प्रोजेक्ट
की बखिया उधेड़ने का मौका मिल जाएगा।

केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश वाले बुंदेलखंड क्षेत्र को लगातार
आर्थिक पैकेज, सूखा राहत समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसी
क्रम में छह माह पहले झांसी में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय खोलने की
मंजूरी भी दी गई। लेकिन कांग्रेस की इस क्षेत्र में सक्रियता से आशंकित
राज्य की बसपा सरकार ने इस विश्वविद्यालय की राह में रोड़ा अटका दिया।

झांसी स्थित केंद्रीय घास व चारागाह विकास अनुसंधान संस्थान की जमीन
पर इस विश्वविद्यालय को खोलने का विचार किया गया था। लेकिन इस संस्थान के
संविधान के मुताबिक, परिसर की जमीन का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए
नहीं हो सकता। ऐसा हुआ तो जमीन पर मालिकाना हक राज्य सरकार का हो जाएगा।
राज्य सरकार ने इसी प्रावधान को आधार बनाकर अपनी टांग अड़ा दी और मामला लटक
गया।

मौके का लाभ लेने के मकसद से मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र को पत्र
लिखकर वैकल्पिक प्रस्ताव भेजा। इसमें टीकमगढ़ सहित मध्य प्रदेश के हिस्से
वाले बुंदेलखंड के किसी भी जिले में विश्वविद्यालय खोलने के लिए जमीन देने
की रजामंदी दी गई है।

अब केंद्र सरकार दुविधा में है। अगर वह मध्य प्रदेश का प्रस्ताव मानती
है तो उसे उत्तर प्रदेश वाले बुंदेलखंड में राजनीतिक लाभ नहीं मिल पाएगा,
जहां राहुल गांधी सक्रिय हैं। वहीं अगर उत्तर प्रदेश में ही विश्वविद्यालय
स्थापना को लेकर दृढ़ रहती है, जिसकी ज्यादा संभावना है, तो वह भाजपा को
बैठे-बिठाए उस पर हमला करने का मुद्दा दे देगी।

उधर, राहुल गांधी केसिपहसालारों में से एक झांसी के सांसद व केंद्रीय
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन इस विश्वविद्यालय को झांसी से बाहर
नहीं जाने देना चाहते। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को अपनी
मंशा भी जता दी है।

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