कृषि विभाग ने 37 औषधीय और सुगंधित पौधों की प्रजातियां घोषित की है।
मेडिसन प्लॉट बोर्ड किसानों के खेत से औषधीय उत्पाद को खरीद कर बाजार में
ले जाएगा। दाम प्राप्त करने के लिए किसानों को कहीं भटकना नहीं पड़ेगा।
बदहाली से गुजर रहे किसान को सहारा देने के लिए सरकार ने औषधीय पौधों
के उत्पादन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। अभी तक जंगलों में
प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली औषधीय पौधों का कारोबार करने के लिए वन
विभाग ग्रामीण लोगों को लाइसेंस देता था मगर औषधीय पौधों की व्यावसायिक
खेती किसानों के लिए अजीविका का सहारा बन सकती है।
मेडिसनल प्लॉट बोर्ड खरीदेगा:
सरकार ने राज्य मेडिसनल प्लॉट बोर्ड को औषधीय उत्पाद खरीदने का दायित्व
दिया है। आयुर्वेद इंडस्ट्री की औषधीय उत्पाद की मांग पूरा को पूरा करने
में बोर्ड भी विफल रहा है। किसानों को दो साल से वन विभाग के सहयोग से
औषधीय पौधे दिए जा रहे हैं। 2009 में पांच लाख से अधिक पौधे बांटे थे।
खेती पर निर्भर किसानों के लिए पूरे साल का अनाज जुटाना मुश्किल हो गया
है। बंदरों और जंगली जानवरोंे के कारण नुकसान अधिक होता है। औषधीय पौधों
की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए तीन विभागों कृषि, वन और बागवानी
विभाग ने हाथ मिलाया है। कृषि सचिव राम सुभग सिंह ने कहा कि खेत से केवल
दो फसलें किसान को मिलती है मगर औषधीय पौधों की पैदावार करने से किसान के
जीवन में बदलाव आएगा।
इनकी होगी खरीदफरोख्त
किसान अपने खेतों में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती कर सकते हैं। खेती
करने के लिए गलोए, घृतकुमारी, जामुन, मंडूक पर्णी, गलगल, अतीष, भूमि
आंवला, नागरमोथा, चित्रक जड़, सर्पगंधा, अश्वगंधा, कलिहारी, मुलैहटी,
सटीवीया, तुलसी, सतावर, हरड़, बनककडी, जटामांसी, सुगंधवाला, कुटकी, रवंद
चीनी, दारूहल्दी, सफेद मुसली, पुष्कर मूल, लैमन ग्रास, लैवेंडर,
सिंगली=मिंगली, पाटीस, कत्था, आंबला, कुठ, बहेड़ा, कपूर कचरी, बच और
तेजपत्र को शामिल किया है।