रायपुर। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित
दंतेवाड़ा जिले के राहत शिविरों के सात सौ घरों को सौर उर्जा से रौशन करने
का काम पूरा कर लिया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड कोटा
के अंतर्गत जगरगुंडा और मरईगुड़ा गांव में बनाए गए राहत शिविरों में सौर
उर्जा से बिजली देने का काम पूरा कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य में नक्सली हिंसा के कारण राहत शिविरों में
रहने वाले आदिवासियों के घरों में पहले बिजली की व्यवस्था नहीं थी, लेकिन
बाद में इनके घरों को सौर उर्जा से रौशन कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि राज्य शासन द्वारा संचालित इन राहत शिविरों में सात
सौ से अधिक परिवार निवास कर रहे हैं। इनमें से 573 परिवार जगरगुंडा और 173
परिवार मरईगुड़ा के शिविर में रहते है। इन सभी परिवारों के लिए बनाए गए
घरों में सौर ऊर्जा प्रणाली पर आधारित बिजली की व्यवस्था की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि आदिवासियों के घरों को सोलर होम लाईट संयंत्र से
जोड़ा गया है। इससे उन्हें रात में खाना बनाने और उनके बच्चों की
पढ़ाई-लिखाई में सुविधा हो रही है।
वहीं इन शिविरों में रात्रिकालीन सुरक्षा के लिए बिजली के खम्भों को
भी सौर ऊर्जा प्रणाली से रौशन किया जा रहा है। दोनों शिविरों में
छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (क्रेडा) द्वारा सौर ऊर्जा
आधारित उच्च शक्ति के फोटो वोल्टाईक पैनल स्थापित किए गए हैं।
इन सौर पैनलों के जरिए सूरज की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदलकर न
केवल दोनों शिविरों में रात के लिए पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था की गई है,
बल्कि इस प्रणाली के जरिए मरईगुड़ा के राहत शिविर में एक सोलर पम्प भी
लगाया गया है, जिसके जरिए पानी खींचकर ओव्हरहैड टैंक में पहुंचाया जाता है
और वहां से नल के जरिए शिविर वासियों को पेयजल भी दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस शिविर में नवनिर्मित पोटा केबिन के आश्रमों में
ग्रामीणों के बच्चों की पढ़ाई को सुविधाजनक बनाने के लिए चार किलोवाट
क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र भी लगाया गया है। जगरगुंडा और मरईगुड़ा के
पुलिस स्टेशनों में भी सौर ऊर्जा प्रणाली से बिजली की व्यवस्था की गई है।