चंडीगढ़ [जागरण ब्यूरो]। उपमुख्यमंत्री
सुखबीर सिंह बादल ने वीरवार को पंजाब विधानसभा में आश्वासन दिया कि वह
प्रदेश में किसानों को गेहूं पर सब्सिडी में करोड़ों के कथित घोटाले की
जांच का वित्तायुक्त (विकास) से कराएंगे।
इससे पहले कृषि मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह ने माना कि केंद्र से मिलने
वाली गेहूं बीज सब्सिडी की राशि में से 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि
किसानों को नहीं दी। यह धनराशि पंजाब बीज निगम के खर्चो आदि के लिए रख ली
गई।
ज्ञात हो कि 17 मार्च को विधायक सुनील जाखड़ ने सदन में आरोप लगाया था
कि किसानों के लिए केंद्र से 700 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी आई, जबकि
किसानों को 500 रुपये के हिसाब की सब्सिडी दी गई। इस सवाल का जवाब देने के
लिए कृषि मंत्री ने एक दिन का समय मांगा था।
लंगाह ने आज सदन को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के नियमों
के तहत अगर संबंधित राज्य सरकार चाहे तो सब्सिडी वाली राशि में से 20
प्रतिशत को अन्य किसान कल्याण कार्यो के लिए उपयोग में ला सकती है। इसमें
शंका थी अगर गेहूं बीज की कीमत आम गेहूं से कम हो जाती तो बीजों का गलत
उपयोग हो सकता था। यही कारण था कि सरकार ने इस सब्सिडी को 700 रुपये से कम
करके 500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया, जबकि सब्सिडी से बचने वाले पैसे से
जिंक पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे दी गई।
विधानसभा अध्यक्ष निर्मल सिंह काहलों के दखल पर कृषि मंत्री सुच्चा
सिंह लंगाह ने बताया कि सब्सिडी वाली राशि को पनसीड को चलाने व
कर्मचारियों के वेतन आदि के लिए उपयोग में लाया गया। गेहूं बीज सब्सिडी का
मामला यहां तक बढ़ गया कि कृषि मंत्री ने कह दिया, अगर इस में हेराफेरी
साबित हो जाए तो वह अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं और साबित नहीं
होने पर जाखड़ इस्तीफा दे दें। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने कृषि
मंत्री को विधायक जाखड़ के साथ बैठक करने को भी कहा।