महिला आरक्षण बिल पास होने का भरोसा

नई
दिल्ली। सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक के संसद में पारित होने को लेकर
सोमवार को भरोसा जताते हुए कहा कि वह इस विधेयक का विरोध करने वालों को
दबाना नहीं चाहती है, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि समानता एक मौलिक
अधिकार है।

कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने संवाददाताओं से कहा कि मैं यह कहना
चाहता हूं कि लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी
आरक्षण देना राष्ट्रीय संकल्प है। पिछले 14 साल से यह इंतजार कर रहा है।
एक बदलाव लाना होगा और यही वह दिन है, जब बदलाव आएगा।

इस विधेयक को सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। यह पूछे जाने पर
कि क्या सरकार सदन में इस विधेयक का विरोध करने वाले संासदों को बाहर करने
की मांग करेगी, मोइली ने कहा कि यह एक काल्पनिक सवाल है।

मोइली ने कहा कि हमारा विचार चीजों को दबाना नहीं है। लोकतंत्र में
विचारों में मतभेद हो सकते हैं, ऐतराज हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैं
इसमें कोई गड़बड़ी नहीं पाता, लेकिन इस समय 60 करोड़ लोग हैं और आप विधायिका
में 18.5 फीसदी से अधिक पाने की स्थिति में नहीं हैं। आप इस तरह के विचार
को जारी नहीं रख सकते। हमें महिलाओं को मदद देने की जरूरत है समानता एक
मूल अधिकार है।

कानून मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को उचित समय पर उचित निर्णय करने की
जरूरत है। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पेश किए जा
रहे इस विधेयक को कांग्रेस, भाजपा और वाम दलों के समर्थन तथा कुछ छोटी
पार्टियों एवं निर्दलीय सांसदों से बिना किसी अड़चन के समर्थन मिलने की
उम्मीद है।

दरअसल, इस विधेयक को पारित करने के सिलसिले में संविधान संशोधन के लिए
राज्यसभा में 155 सांसदों के की जरूरत है। उधर, इस विधेयक को मौजूदा रूप
में पेश किए जाने के कदम का विरोध करने वालों में राज्यसभा में बसपा और
सपा के 12-12 सांसद तथा राजद के चार सांसद हैं।

हालांकि, इस सदन में दो सीट रखने वाले जद एस के नेता और पूर्व
प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा कि यदि ओबीसी कोटा का प्रावधान किया
जाता है, तो उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करेगी।

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