प्रतापगढ़। श्रद्धालुओं का सैलाब पलक झपकते
ही मातम के मेले में बदल गया। संत कृपालु महाराज के आश्रम पर प्रसाद,
थाली-कंबल के लिए मची होड़ में इस कदर अव्यवस्था फैली कि भगदड़ मच गयी।
चीख-पुकार के बीच लोग एक-दूसरे पर गिरने-पड़ने लगे, रौंदने लगे। देखते ही
देखते मंदिर प्रांगण में 63 लाशें बिछ गयीं। मौत के शिकार लोगों में 37 तो
बच्चे थे और 26 महिलाएं। मौका था कृपालु महाराज की पत्नी की श्राद्ध पर
भंडारे का।
प्रतापगढ़ मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर कुंडा कोतवाली क्षेत्र स्थित
जगद्गुरु कृपालु जी महाराज के मनगढ़ आश्रम में गुरुवार को हुए इस हादसे
में दो सौ से ज्यादा लोग जख्मी हैं। आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया है कि इतने
बड़े आयोजन में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए महज 18 पुलिस कर्मी तैनात थे।
अब आश्रम से लेकर प्रशासन तक अपना पल्ला झाड़ने में जुटे हैं। जानकारी के
मुताबिक कुंडा थाना क्षेत्र स्थित मनगढ़ आश्रम में सुबह से प्रवचन सुनने
और कृपालु महाराज की पत्नी के श्राद्ध में शामिल होने के लिए तीस हजार से
ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे। आश्रम के एक बड़े हाल में प्रसाद एवं कपड़ा वितरण
होना था। प्रसाद पाने के लिए महिलाओं और पुरुषों के साथ ही बड़ी संख्या में
बच्चे भी लाइन में लगे थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए करीब दो सौ मीटर
लंबी बैरीकेडिंग थी। प्रसाद वितरण का कार्यक्रम शुरू होते ही भीड़ में
धक्का-मुक्की शुरू हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक करीब 11 बजे कुछ
लोगों ने मेन गेट खोल दिया और आगे बढ़ने की होड़ में वहां भगदड़ मच गयी।
चीख-पुकार के बीच लोग एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते भागने लगे। जो भी गिरा,
पैरों तले रौंद गया। चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल। कुछ ही मिनटों में
जिधर देखो, या तो लाशें थीं या फिर जख्मी और मदद के लिए चीखते-पुकारते
लोग। साथ में विभीषिका बयान कर रही थे चारो तरफ बिखरे जूता-चप्पल।
हादसे की खबर सुनकर मौके पर पहुंचे पुलिस-प्रशासन के अफसरों ने जब
मृतकों और घायलों की तादाद देखी तो होश फाख्ता हो गये। जैसे-तैसे व्यवस्था
कर तकरीबन दो सौ लोगों को कुंडा, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद के अस्पतालों में
भर्ती कराया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ज्यादातर लोगों की मौत
गेट के निकट बोरवेल में गिरने के कारण हुई। मृतकों के परिजनों में इस बात
को लेकर खासा गुस्सा रहा कि पुलिस शवों को उठाने से रोक रही थी। जिला
प्रशासन के अफसरों का दावा है कि आयोजन को लेकर पूर्व में कोई सूचना नहीं
थी।
सूचना पर प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी तथा
पंचायतीराज मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी हेलीकाप्टर से मौके पर पहुंच
गये। हजारों की संख्या में आक्रोशित भीड़ आश्रम और जिला प्रशासन के खिलाफ
नारेबाजी कर रही थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इलाहाबाद, प्रतापगढ़ और
कौशाम्बी की फोर्स बुलानी पड़ी।
सरकार ने माना इंतजाम पूरे नहीं थे
सायंकाल यहां पहुंचे पंचायतीराज मंत्री स्वामी प्रसाद मौैर्य ने
स्वीकार किया कि लोगों की भीड़ के नजरिये से यहां इंतजाम पूरे नहीं थे।
उन्होंने कहा कि घटनाकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
उनके साथ प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता भी थे।
मंदिर प्रशासन ने पल्ला झाड़ा
घटना के बाद मंदिर प्रशासन ने इसकी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास
किया। कृपालु महाराज की ओर से इस बाबत कोई संदेश नहीं दिया गया। उनका
काम-धाम देखने वाले रजनीश पुरी ने अलबत्ता कहा कि हमने किसी को बुलाया
नहींथा। जो लोग आये थे वे स्वयं इकट्ठा हुए थे। पुरी ने कहा कि हमने 25
फरवरी को ही प्रशासन को अवगत करा दिया था कि यहां इस तरह का आयोजन किया
जाने वाला है, लेकिन उनकी ओर से कोई व्यवस्था नहीं हुई।
गेट पर सिर्फ दो सिपाही
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि भीड़ लगभग 30 हजार थी, लेकिन उसे
नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था। सुरक्षा के नाम पर मात्र दो सिपाही
लगाये गये थे, लेकिन वे भी पूरब के मुख्य द्वार पर वीआईपी के आगमन के
नजरिये से तैनात थे। मंदिर के नजदीक लगभग दो सौ मीटर पर पुलिस चौकी है,
लेकिन वहां से भी कोई नहीं पहुंचा था।
प्रतापगढ़ हादसे पर दुख जताया
राज्यपाल बीएल जोशी ने प्रतापगढ़ जिले में हुए हादसे पर गहरा दुख
व्यक्त किया है। शोक संदेश में राज्यपाल ने दिवंगत आत्माओं की शांति की
प्रार्थना करते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों
के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी ने हादसे की वजह
प्रशासनिक लापरवाही बतायी है। उन्होंने कहा कि बसपा सरकार ने हिंदू
धार्मिक आयोजनों के प्रति लापरवाह दृष्टिकोण अपना रखा है, इसी वजह से
स्थानीय प्रशासन ने इतनी भारी भीड़ जुटने के बाद भी अपनी तरफ से कोई
व्यवस्था नहीं की थी।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना सिंह चौहान, प्रदेश
अध्यक्ष राम आसरे वर्मा, महासचिव अनिल दुबे ने मृतकों के आश्रितों को
पांच-पांच लाख रुपये और घायलों को दो-दो लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की
मांग उठायी है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भी
प्रतापगढ़ हादसे को दुखद बताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक लापरवाही के
कारण यह हादसा हुआ। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी और
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने मृतकों के आश्रितों को
दस-दस लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की मांग करते हुए कहा कि इस बात की
जांच होनी चाहिये कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है?
यह लोग नहीं रहे
मनगढ़ मंदिर में हुए हादसे में 63 लोगों के मरने की पुष्टि हो पायी
है। इसमें 55 लोगों के नाम व पते मिल पाये है। मरने वालों में रंजना
सलेमपुर कुंडा, अनिल मनगढ़, सुनील मियां का पुरवा कुंडा, कविता यादव
फूलताली कुंडा, शानों देवी कुंडा, रवि पटेल मिया का पुरवा, प्रीति इटौरा,
बनमा, रंजना पीरानगर, विपिक पटेल मियां का पुरवा, अजय खटवारा मानिकपुर,
जलूल मानिकपुर, रानी लाल गोपालगंज इलाहाबाद, शांती देवी मुराइन का पुरवा,
प्रभा देवी, दीपांजलि कुसमेर, सुधा देवी भादपुर, आशा देवी शिवानी पूरे
चमेला, कलावती सलेम पुर ढढौरा, सीतादेवी सहजनी, अरुणधोभियानाका पुरवा,
सानियां कुंडा, अंकित प्रीति पासी सहजी पुर कुंडा, गौहारिन पासी फजीरपुर,
सीता सुभाष पटेल ढढौरा, धमेन्द्र सरोज काशीपुर संग्रामगढ़, महेश दूधनाथ का
पुरुवा, कलावती, पार्वती, अजय मोहम्मद पुर संग्रमागढ़, सचिन नवाबगंज,
हिरेन्द्र लाखीपुर, रोशनी मानिकपुर, लालती सरोज बसवाही, सविता पटेल, सरिता
मियां का पुरवा, लक्ष्मी मानिकपुर, रसुलहिन, अनीता मानिकपुर रूपहिन सरोज
मियां का पुरवा, गुड़िया पूरे साह गुलाम, दीवानी नवेढि़या, सुगन पटेल खेमई
का पुरवा, बबली पाण्डेय मानिकपुर, रवीना, वंदना व मंजू देवी मवई, मुस्कान,
आरती, सोना पटेल व पूजा पटेल कुंडा के नाम शामिल है। दो की पहचान नहीं हो
पायी है। कृपालु महाराज ने शवों के दाह संस्कार के लिये पांच-पांच हजार
रुपये दिये है।
राधा-कृष्ण मंदिर में रहता था भक्तों का अटूट रेला
लगभग साढे़ पांच वर्ष पहले 17 नवम्बर 2004 को करोड़ों की लागत से बना
राधा-कृष्ण का भक्तिधाम मन्दिर आरम्भ काल से ही भक्तों के आकर्षण का
केंद्र था। वैसे तो जगतगुरु कृपालु जी महराज जब-जब मनगढ़ धाम आते,
देशी-विदेशी भक्तों का बड़ा समुदाय मनगढ़ धाम में महीनों रुककर साधना करता
रहा, लेकिन यहां हर पर्व पर भी क्षेत्रीय जनता की भीड़ उमड़ने लगी। गजब की
नक्काशी, इटैलियन पत्थरों और विशाल स्वर्ण कलशों से अपनी भव्यता बिखेरने
वाला यह मन्दिर पर्यटन स्थल भी बन चुका है। आये दिन यहां इलाहाबाद,
प्रतापगढ़ और रायबरेली जैसे शहरों से बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे इस
मंदिर को देखने आते है। मंदिर के पीछे राष्ट्रपति भवन की तर्ज पर बना
पार्क भी लोगों को आकर्षित करता है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से मनगढ़ धाम के
मुख्य द्वार पर पुलिस चौकी भी स्थापित है, लेकिन मंदिर के भीतर बड़े-बड़े
भंडारों के अवसर पर भी कभी अव्यवस्था नहीं होती थी। 17 नवम्बर 2004 को
भक्तिधाम मन्दिर के उद्घाटन में लाखों की भीड़ थी और लोग प्रसाद ग्रहण कर
सुरक्षित वापस लौटे गये थे। इसके अलावा हर वर्ष विभिन्न अवसरों पर भण्डारा
होता रहा, जिसमें 20 से 25 हजार लोग इकट्ठा होते थे। इस वर्ष कृपालु जी ने
होली का पर्व शोक में नहीं मनाया था, लेकिन वहां एक अनुष्ठानिक कार्यक्रम
के चलते गुरुवार को भण्डारा और सहयोग कार्यक्रम रखा गया था।
कृपालु जी का जन्म स्थान है मनगढ़
कृपालु महाराज का जन्म प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील के मनगढ़ गांव
में अक्टूबर, 1922 को हुआ। राधा-कृष्ण के भक्त कृपालु महाराज ने धार्मिक,
शैक्षिक और चैरीटेबल संस्था बनायी है, जिसको जगद्गुरु कृपालु परिषद कहा
जाता है। जेकेपी ने प्रमुख रूप से 5 आश्रमों का निर्माण कराया है। इनमें
चार आश्रम भारत में हैं और एक अमेरिका में है। इन आश्रमों में जेकेपी ने
मंदिर और चैरीटेबल अस्पताल भी बनवाये हैं।
आश्रम
-भक्ति धाम, मनगढ़
– श्याम श्याम धाम एवं जगद्गुरु धाम (वृंदावन)
– रंगीली महल (बरसाना)
– बरसाना धाम, (आस्टिन, टेक्सास, अमेरिका)
विवादास्पद पहलू
मई, 2007 में कृपालुजी महाराज पर ट्रिनिडाड एंड टोबैगो (वेस्टइंडीज)
के दक्षिणी ट्रिनिडाड स्थित अपने केंद्र पर एक 22 वर्षीय युवती के साथ
बलात्कार का आरोप लगा।
हादसों से सबक नहीं
size="3"> 14 जनवरी, 2010 : पश्चिम बंगाल में गंगा सागर मेले के दौरान गंगा नदी पर भगदड़ से सात लोगों की मौत, और 12 श्रद्धालु घायल हुए।
21 दिसंबर, 2009 : राजकोट के धोराजी कस्बे में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ से आठ महिलाओं की मृत्यु और 25 लोग घायल।
3 अगस्त, 2008 : हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित नैना देवी
मंदिर में भगदड़ से 162 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि 47 घायल हुए।
30 सितंबर, 2008 : जोधपुर के 15वीं सदी के मेंहरानगढ़ किले में स्थित
चामुंडा देवी मंदिर में भगदड़ से 147 लोग मारे गये और करीब 55 घायल हुए।
25 जनवरी, 2005 : महाराष्ट्र में मांधरा देवी मंदिर में भगदड़ से 340 श्रद्धालु मारे गये।
27 अगस्त, 2003 : महाराष्ट्र के नासिक कुंभ में भगदड़ से 39 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी और 125 घायल हुए।
1986 : हरिद्वार मेले में भगदड़ से 50 लोगों की मौत।
1954 : इलाहाबाद कुंभ मेले में मौनी अमावस्या स्नान के दिन भगदड़ मचने से करीब 500 लोगों की मौत।