शिमला : राजधानी के उपनगरों में दो
प्राकृतिक जलस्त्रोतों से भरे गए पानी के सैंपल फेल हो गए है। स्वास्थ्य
विभाग ने इन क्षेत्रों में पीलिया फैलने के बाद पानी के सैंपल भरे थे।
जिला स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि नगर निगम को इनमें क्लोरिनेशन करने के
निर्देश दिए गए हैं।
उपनगरों में पीलिया के लगातार मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग
द्वारा न्यू शिमला व मैहली में प्राकृतिक जलस्त्रोतों से भरे गए पानी के
सैंपल फेल हो गए हैं। इसका कारण पानी का दूषित होना है।
दैनिक जागरण ने पहली व दो फरवरी को पेयजल स्त्रोतों में मिल रही गंदगी
व पेयजल स्त्रोतों की क्लोरिनेशन न करने के संबंध में प्रमुखता से समाचार
प्रकाशित किया था। 2007 में भी उपनगरों में पीलिया फैलने के बाद चार पेयजल
स्त्रोतों के सैंपल फेल हो गए थे। इसकी न तो लोगों को जानकारी है और न ही
प्रशासन ने इस बारे में कोई सूचना बोर्ड लगाया है। यही नहीं पानी के सैंपल
फेल होने के बाद प्राकृतिक जलस्त्रोतों की क्लोरिनेशन तक नहीं की जा रही
है। नगर निगम व आईपीएच विभाग एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराकर जवाबदेही से बच
रहे है। उपनगरों में इस बार भी पेयजल स्त्रोतों के सैंपल फेल होने से
व्यवस्था की पोल खुल गई है। लोगों की मुश्किल ये है कि गर्मियों में पेयजल
संकट होने पर मजबूरन प्राकृतिक जलस्त्रोतों का पानी प्रयोग करना पड़ता है।
ऐसे में प्राकृतिक जलस्त्रोतों की क्लोरिनेशन न करने से लोगों के
स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस तरह से हजारों परिवारों की
जिंदगी रामभरोसे है।
उधर, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. केके रत्न का कहना है कि नगर
निगम को प्राकृतिक जलस्त्रोतों के सैंपल फेल होने की सूचना भेज दी गई है व
प्राकृतिक जलस्त्रोतों की क्लोरिनेशन के भी निर्देश दिए गए हैं। उपनगरों
में प्राकृतिक जलस्त्रोतों के सैंपल आठ व नौ फरवरी को भरे गए थे।