दैनिक भास्कर का संवाददाता कोर्ट में किसी केस की रिपोर्टिग करने गया तो
वहां किसी वकील के पास बैठकर चाय पीने लगे। साथ में ही पड़ी एक वकील की
बैंच पर दो लोगों के बीच जमानत लेने का सौदा हो रहा है। एक कह रहा था कि
हम दो हजार लेंगे तो दूसरा कह रहा था कि हम 1500 देंगे। बस संवाददाता में
उनकी बातों को गंभीरता से सुना ।
मामला कुछ समझ में आया कुछ
नहीं। उसने वकील से पूछा तो उसने बताया कि यहां पर पैसों में जमानती और
शिनाख्ती खूब मिल जाता है। यह धंधा तो यहां लंबे समय से चल रहा है। बस
यहीं से रखी गई पैसों में बिकने वाले जमानती और शिनाख्ती के गोरखधंधे की
पोल खोलने का अभियान।
पहचान के बाद हुई मुलाकातभास्कर
संवाददाता ने जब 20 दिन लगाकर जमानत और शिनाख्त करने वाले दलालों की पहचान
कर ली तो फिर शुरू किया उनसे मुलाकात करने का सिलसिला। संवाददाता भी उनके
पास एक ग्राहक बनकर पहुंचा। अपने किसी साथी के थाने में बंद होने के बाद
कर उनसे जमानत लेने की बात की तो वे राजी हो गए।
लेकिन इसके लिए
दो हजार से पांच हजार रुपए तक की मांग की। संवाददाता ने कोर्ट में आठ ऐसे
दलालों से बात की तो इस पूरे गिरोह का सच सामने आया। यह सब केस के हिसाब
से पैसा मांगते हैं। चोरी का केस है तो अलग और दहेज का है तो रेट अलग है।
गिरोह चलता है दुकानदारी कीकोर्ट
में पैसे लेकर फर्जी जमानत देने वाले गिरोह के सदस्य एक दुकानदारी की तरह
काम करते हैं। यदि आप किसी की जमानत के लिए एक जमानती से बातचीत कर रहे
हैं तो दूसरा व्यक्ति उसकी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा होता है।
ऐसे
में यदि आपकी उस जमानती से नहीं पटती तो थोड़ा आगे चलकर फटाफट दूसरा
व्यक्ति आपको घेर लेगा और रेट में थोड़ी कटौती की बात कहेगा। नजारा तब
देखने लायक होता है जब एक जमानती से बातचीत करते समय इनमें आपसी टकराव हो
जाता है और यह लोग आपको बातचीत के दौरान खींचकर दूसरी तरफ ले जाते हैं।
साथ ही कहते हैं कि वो जो सामने खड़ा व्यक्ति आपको देख रहा है, उससे बात
मत करना, क्योंकि वह खतरनाक है और हमारी बातचीत को बिगाड़ देगा।
ट्रेंड बदला, अब देते हैं शिक्षाजब
से कोर्ट ने कुछ फर्जी जमानतियों के खिलाफ शिकंजा कसा है तब से फर्जी
जमानतियों ने अपना ट्रेंड बदल दिया है। अब गिरोह से जुड़े लोग जमानत का
सौदा तय होने पर अपने एक बाहरी साथी को बुलाते हैं। फिर कमीशन की सांठगांठ
के बाद यह साथी को सिखाते हैं कि क्या बोलना है। और उसे किस तरह उनका जवाब
देना है। यही नहीं जमानत होने तक यह साथी के साथ रहते हैं। फिर जमानत होने
के बाद अपनी कमिशन लेकर चलते बनते हैं।
सीन -2200 सेएक पैसा कम नहीं लूंगा
पहचान
के आधार पर रिपोर्टर पीली पगड़ी पहने एक बुजुर्ग आदमी के पास पहुंचा और
शुरू हुआ जमानत के लिए बातचीत का सिलसिला। सवाल= दादा जी आपसे कुछ बात
करनी है। जवाब: जमानत के बारे में बात करनी है। सवाल= पहचान वाले का नाम
बताकर कहा कि उन्होंने भेजा है। जवाब- तो बैठो और बताओ की क्या मामला है।
सवाल: दादा जी हमें जमानत चाहिए है।जबाब: किसकी जमानत के लिए। सवाल= भाई
की जमानत के लिए। जबाब= क्या मामला है। सवाल= मोबाइल चोरी के मामले में
फंसा है। जवाब: हो जाएगी।