बांका [प्रकाश वत्स]। सन् 1915 में पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी रचित
कालजयी कहानी ‘उसने कहा था’ की परिछाया इस गांव में भी दिखती है। इस कहानी
के बाल नायक का सवाल था तुम्हारी कुरमाई हो गयी, इस पर नायिका का जवाब था
धत तेरी कि..। नायिका की तरह ही बांका जिले के बाराहाट प्रखंड स्थित
महुआडीह गांव की विवाहित लड़कियों को शादी का सही मतलब तक मालूम नहीं है।
सात साल की उम्र में ही उनकी शादी कर दी जाती है। हां, शादी के सवाल
पर उनके चेहरे भोलेपन से खिलखला जरूर उठते है, क्योंकि उसे इसके खौफनाक
अंजाम का भान नहीं होता है। यह बेजा भी नहीं है, क्योंकि खुद उनके अभिभावक
भी यह बात गर्व से बताते है कि उन्होंने तो महज आठ साल में ही अपनी बच्ची
की शादी कर दी।
कानूनन लड़की की शादी 18 व लड़के की 21 वर्ष के बाद करने का यहां कोई
असर नहीं दिखता है। इस गांव में अत्यंत पिछड़े वर्ग के चपोत जाति के लोग
निवास करते है। लगभग ढाई सौ परिवार वाले इस गांव में बाल विवाह की परंपरा
अभी भी जीवित है। यहां के लोग मानते है कि 12 की उम्र सीमा बाद लड़की की
शादी जाति-धर्म के खिलाफ है।
फिलहाल यहां सात वर्ष की बच्चियां भी बेधड़क ब्याह दी जाती हैं। गांव
के प्राथमिक विद्यालय की कई छात्राएं स्कूल मांग में सिंदूर भर कर जाती
हैं। उन्हे यह तक पता नहीं है कि शादी किस बला का नाम है। हालांकि अभिभावक
यह जरूर कहते है कि शादी केवल रस्म अदायगी के लिए होती है, विदाई लड़की की
15 वर्ष हो जाने पर ही की जाती है।
लेकिन 14 वर्ष की बाल मां की संख्या इस परम्परा के खौफनाक परिणाम की
गवाह है। कई लड़कियां तो जवानी के उम्र ही बूढ़ी नजर आती हैं। इसी गांव के
गोपाल मांझी की आठ वर्षीय पुत्री प्रियंका की शादी गत वर्ष हुई है। वह
प्राथमिक विद्यालय महुआडीह में दूसरी कक्षा में पढ़ती है।
इसी तरह उनकी 13 वर्षीय पुत्री मीरा की शादी भी पांच वर्ष पूर्व हो
चुकी है। लोचन मांझी की पुत्री काजल फिलहाल पांचवीं कक्षा में पढ़ रही है,
उसकी शादी तब हुई थी, जब वह कक्षा तीसरी की छात्रा थी।
अनिल मांझी भी 10 वर्षीय पुत्री की शादी दो वर्ष पूर्व कर चुके हैं।
बैजू मांझी की 12 वर्षीय पुत्री मुन्नी एक साल ससुराल में रहकर भी आ चुकी
है। उमेश मांझी की पुत्री पूनम 13 साल की है, उसकी भी शादी चार साल पूर्व
हो चुकी है। यह फेहरिस्त बहुत लंबी है। गांव की सड़कों पर खेलती बच्चियों
की भरी मांग खुद सब कुछ बयां कर देती है।
उधर, जिला प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है। नव पदस्थापित बीडीओ नंद
कुमार ठाकुर कहते है कि यह सचमुच अपराध है। वे खुद गांव पहुंचकर मामले की
जांच करेगे। इस बाबत जरूरत होने पर आवश्यक कार्रवाई भी कीजाएगी। प्रखंड
स्तरीय पदाधिकारी भी ऐसी सूचना से इनकार करते है।