फर्जी तरीके से राशन कार्ड बनाकर सरकारी राशन हड़पने वालों से निपटने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने नायाब तरीका निकाला है। विभाग अब लोगों के राशन कार्ड बनाने के लिए बायोमीट्रिक्स पद्धति का सहारा लेगा। इसके लिए दिल्ली के सभी 70 सर्कल कार्यालयों में बायोमीट्रिक्स मशीनें लगाई जाएंगी। इस प्रणाली के सहारे ही अब एपीएल, बीपीएल, एवाईवाई जैसी श्रेणियों के राशन कार्ड बनाये जाएंगे।
अब तक बायोमीट्रिक्स मशीनों का इस्तेमाल सरकारी विभागों में कर्मियों की हाजिरी लगाने तक ही सीमित था। वहीं खाद्य आपूर्ति विभाग इसके इस्तेमाल से राशन कार्ड बनाने की अपनी कार्यप्रणाली को हाईटेक बनाने जा रहा है। इस आशय का प्रावधान संबंधी निर्देश विभाग के संयुक्त आयुक्त (पॉलिसी) ने सभी सर्कल कार्यालयों को जारी कर दिया है। इसके तहत सर्कल कार्यालयों में जल्द ही बायोमीट्रिक्स मशीनें लगाई जाएंगी। नए प्रावधान के मुताबिक राशन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों के अंगूठे के निशान को सर्कल कार्यालयों में लगी बायोमीट्रिक्स मशीन में कैद किया जाएगा। इसके बाद विभागीय जांच पड़ताल कर उनका राशन कार्ड जारी करते समय दोबारा अंगूठे का निशान मशीन में लिया जाएगा। अंगूठे के दोनों निशानों का मिलान करने के बाद ही आवेदक को राशन कार्ड दिया जाएगा। इस तकनीक के इस्तेमाल के पीछे विभाग का मकसद राशन कार्ड को सही हाथों तक पहुंचाना है।
ज्ञात हो कि विभाग ने 2004 में राजधानी वासियों के राशन कार्डो का सत्यापन कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की थी। इसके तहत विभाग में राशन कार्डधारकों की उपलब्ध सूची के आधार पर लोगों को उनके कार्डो का सत्यापन कराने के लिए पत्र जारी किया गया था। इनमें कई ऐसे लोगों को भी पत्र मिला, जिन्हें राशन कार्ड मिला ही नहीं था। बाद में पता चला कि संबंधित सर्कल कार्यालयों से उनके नाम के राशन कार्ड 2004 में ही जारी किए जा चुके हैं। दरअसल राशन दुकानदारों ने विभागीय कर्मियों की मिलीभगत से अपने इलाके के लोगों के नाम-पते पर फर्जी तरीके से राशन कार्ड बनवा लिया था। ऐसे में उनके नाम से मिले राशन का दुकानदार कालाबाजारी करते थे। इस खेल में राशन दुकानदारों को विभाग के ही अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था। बताया जाता है कि आज भी एक-एक राशन दुकानदार के पास पांच-पाच सौ राशन कार्ड हैं।