बंगाल में सुलह की राह पर सरकार, माओवादी

कोलकाता, जागरण ब्यूरो : पश्चिम बंगाल में सरकार और माओवादियों के बीच सुलह के आसार बनने लगे हैं। राज्य के नक्सल प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में विकास प्रक्रिया तेज कर बुद्धदेव सरकार ने माओवादियों को सकारात्मक संदेश दिया है। इसे सरकार की ओर से माओवादियों से बातचीत शुरू करने की पहल के तौर पर देखा जा रहा है। माओवादी नेता किशन जी के अल्टीमेटम के बाद राज्य सरकार ने नक्सली प्रभाव वाले जिलों पश्चिमी मेदिनीपुर, बांकुड़ा व पुरुलिया में लंबित विकास परियोजनाओं को पूरा करने के काम में तेजी ला दी है। शनिवार से मेदिनीपुर के अपने दो दिवसीय दौरे में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इन क्षेत्रों के लिए कुछ अन्य विकास की योजनाओं की भी घोषणा कर सकते हैं।

आदिवासी क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने की मांग को लेकर लालगढ़ और समीपवर्ती क्षेत्रों में माओवादी संघर्षरत हैं। अब जाकर सरकार उनकी विभिन्न मांगों के प्रति गंभीर और सजग हुई है। पिछले दिनों वरिष्ठ माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशन जी ने चेताया था कि सरकार अगर तीन-चार माह के अंदर पहले से चल रहीं परियोजनाओं को पूरा नहीं करती है तो प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई तेज की जाएगी। यही बात पुलिस संत्रास प्रतिरोध जन साधारण कमेटी के गिरफ्तार नेता छत्रधर महतो ने भी कही थी।

सरकार ने माओवादियों व समिति नेताओं की चेतावनी के बाद विभागीय सचिवों की टीम मेदिनीपुर भेजकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली। राज्य सरकार विभिन्न विभागीय सचिवों ने अपनी रिपोर्ट में विकास की उपेक्षा की बात स्वीकार की। फिर सचिवों की टीम मेदिनीपुर जाने वाली थी, लेकिन मुख्य सचिव अशोक मोहन चक्रवर्ती की यात्रा के चलते सचिवों की यात्रा रद कर दी गई। इस बीच मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने उच्च स्तरीय बैठक में तय किया कि वह खुद आदिवासी बहुल जिलों में विकास कार्यो की समीक्षा करेंगे। इसीलिए वह सात नवंबर को दो दिवसीय दौरे पर मेदिनीपुर जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री आदिवासियों के बीच यह संदेश देना चाह रहे हैं कि सरकार उनके विकास के प्रति सजग है। माओवादी इसे मुद्दा बनाकर सरकार के खिलाफ पुलिस पर विभिन्न जिलों में हमले कर रहे हैं। सरकार भी विकास के बहाने माओवादियों को वार्ता के लिए सकारात्मक संदेश देना चाहती है। नक्सलियों को यह साफ बताना चाहती है कि वह आदिवासियों के लिए विकास में कहीं कोई कमी रखने के पक्ष में नहीं है।

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