कानपुर [अर्थ प्रतिनिधि]। अब तक मॉड्यूलर किचन और मॉड्यूलर ऑफिस ही होते थे, जिन्हें जगह, उपयोगिता और सौंदर्यबोध के हिसाब से जैसे चाहा सजा लिया. अब उद्योग जगत की जरूरत के हिसाब से उपयुक्त दक्षता वाले मॉड्यूलर कारीगर भी तैयार किये जा रहे हैं।
केंद्र सरकार इसके लिए उद्यमियों की कमेटी को स्थानीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान [आईटीआई] में पाठ्यक्रम बदलाव और अन्य सुधार की जिम्मेदारी सौंप रही है। अब तक 600 से अधिक आईटीआई इस दिशा में कदम आगे बढ़ा चुके हैं। उद्यमी आगे आयें तो कानपुर की आईटीआई में भी जल्द ऐसे प्रयास होंगे।
केंद्र सरकार और प्रमुख उद्योग संगठनों की बैठक में कई बार निर्यात लक्ष्य पूरा नहीं होने के पीछे कुशल कारीगरों की कमी को कारण बताया गया है। प्रमुख उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री [फिक्की] ने सरकार से इस मुद्दे पर ठोक कदम उठाने को कहा था। इसी आधार पर क्षेत्रीय उद्योगों के आधार पर सभी आईटीआई में 11 सदस्यीय कमेटी बनायी जा रही है, जिसकी संस्तुति से समय-समय पर पाठ्यक्रमबदले जायेंगे। नये पाठ्यक्त्रम में उद्यमी अपने शहर और प्रदेश की जरूरत के हिसाब से कारीगरों को प्रशिक्षित करने में सक्षम होंगे।
देश की 2000 आईटीआई में अब तक 600 से अधिक आईटीआई में पाठ्यक्रम बदलाव सहित कई सुधार किये जा चुके हैं। प्रतिवर्ष 300 आईटीआई इस योजना में शामिल हो रहे हैं। इसके अंतर्गत प्रत्येक आईटीआई को सुधार के लिए 2.05 करोड़ रुपये आर्थिक सहायता भी मुहैया होती है। मर्चेण्ट्स चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश की माग पर कानपुर आईटीआई को भी इस योजना में शामिल करने पर सहमति बनी है। यहा के चर्म उद्योग का निर्यात बढ़ाने में यह योजना काफी कारगर साबित हो सकती है। इसके बारे में यहा के चर्म निर्यातकों को भी जागरूक किया जायेगा। उनकी ओर से ऐसा कोई सुझाव आता है तो स्थानीय आईटीआई के पाठ्यक्त्रम में भी अपेक्षित बदलाव किये जायेंगे। सोमवार को मर्चेण्ट्स चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश में एक कार्यक्त्रम में आए फिक्की के लेबर इम्प्लायमेंट एंड स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के निदेशक बीपी पंत ने बताया कि फेडरेशन के सर्वे के अनुसार, योजना का काफी लाभ भी मिल रहा है। इससे रोजगार के भी बेहतर अवसर मिल रहे हैं। निर्यात लक्ष्य पूरा करने में मदद मिल रही है।