फरीदाबाद. सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद सूरजकुंड की पहाड़ियों में बेखौफ अवैध निर्माण जारी है। कई जगह तो बड़े स्तर पर निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे निर्माण में न केवल फर्म संचालकलिप्त हैं, बल्कि वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। इस तरह हो रहे निर्माण के कारण न केवल पर्यावरण की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहा है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई जा रही है।
अरावली की पहाड़ियों में कुकरमुत्तों की तरह बढ़ चुके निर्माणों से न केवल वन क्षेत्र घट रहा था, बल्कि पर्यावरण में सेंध लग रही है। अभी हाल ही में इस तरह के निर्माणों के निरीक्षण के लिए अदालत द्वारा सीईसी गठित की गई थी। सीईसी ने पूरे वन क्षेत्र का दौरा किया तो अचंभित करने वाले तथ्य सामने आए थे।
सीईसी की रिपोर्ट के अनुसार सूरजकुंड क्षेत्र में दबकर निर्माण हो रहे हैं और वो भी बगैर परमिशन के। इसके अलावा काफी ऐसे अवैध निर्माण भी जोर पकड़ रहे थे। इसकेबाद सीईसी ने अपनी इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वन क्षेत्र में सभी निर्माण कार्यो पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी गई थी।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि यहां पर न केवल निजी निर्माण बल्कि हुडा ने भी कुछ सेक्टर काटे हुए हैं, जिनका भविष्य खतरे में है। इसके अलावा कई बड़े-बड़े स्कूल, फार्म हाउस सहित अन्य निर्माण भी शामिल है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ये आदेश वन विभाग और निर्माणकर्ताओं के लिए कोई अहमियत नहीं रखते।
भास्कर टीम ने देखा कि कई जगह तो पहाड़ियों को खोदकर प्रतिबंधित क्षेत्र में कमरे और वैली बनाई जा रही हैं। सैकड़ों मजदूर काम पर लगे हुए हैं। उधर सूरजकुंड रोड पर एक फार्म हाऊस में चल रहे जबरदस्त निर्माण के बारे में फार्म हाऊस के मैनेजिंग डायरेक्टर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके यहां पर कोई निर्माण नहीं हो रहा है, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि बगैर परमिशन के कोई निर्माण नहीं कर रहे हैं।
क्यों लिया गया था निर्माण रोकने का निर्णय
हजारों हेक्टेयर में फैला वन क्षेत्र जो अरावली की वादियों से छूता हुआ है। प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा नमूना है। इसकी खूबसूरती की छटा विदेशों तक फैली हुई है। इसलिए यहां पर विदेशों से भी सैलानी आते हैं। यहां पर वन क्षेत्र काफी है। जिसके कारण पर्यावरण का संतुलन बना रहता है।
लेकिन पिछले कुछ समय से इस वन क्षेत्र का रकबा लगातार घटता जा रहा था। यहां पर निजी स्कूल, सेक्टर, वैली, फार्म हाऊस, मंदिर आदि निर्माणों ने वन क्षेत्र को घेर लिया। जिससे पर्यावरण संतुलन को खतरा पैदा हो गया। कुछ पर्यावरणविदों ने मामला सुप्रीम कोर्ट में रखा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यहां निर्माण करने पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी थी।
क्या हो सकती है कार्रवाई
वन विभाग के एक्ट के अनुसार अगर प्रतिबंधित क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य शुरू करता है तो उसकार्य को पहले तुरंत रोकना होगा। इसके बाद वन विभाग द्वारा संबंधित एक्ट व निर्माण को देखकर केस बनाकर पर्यावरण अदालत में फाईल करता है। अदालत के आदेशानुसार संबंधित निर्माणकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। ऐसे काफी मामले अभी भी अदालत में विचाराधीन हैं और कई मामलों में निर्णय आ चुका है। अदालत से इस मामले में सजा व जुर्माना दोनों का प्रावधान है।
वन अधिकारी का पक्ष
वन अधिकारी जी.रमन से जब बड़खल रोड स्थित प्रतिबंधित अरावली रेंज में चल रहे अवैध निर्माण को लेकर बात की गई तो उनका जवाब था कि गार्ड ने क्षेत्र में दौरा कर रिपोर्ट भेजी है कि कुछ जगह अवैध निर्माण कार्य चल रहा है। रमन के अनुसार इस वन क्षेत्र में निर्माण बिल्कुल नहीं हो सकता और अगर निर्माण हो रहा है तो आवश्यक कार्रवाई करेंगे। उन्होंने किसी भी ऐसे निर्माण की परमिशन नहीं दी है और न ही परमिशन दी जा सकती है। इसलिए वो अपने स्टाफ की टीमों को भेजकर तुरंत निर्माण कार्य बंद करा देंगे।