प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, "डॉ़ नॉर्मन बोरलॉग के निधन से एक युग का अवसान हो गया है, जिसमें उन्होंने कृषि में वैज्ञानिक क्रांति का सूत्रपात किया। साठ के दशक में जब देश भोजन की गंभीर कमी से जूझ रहा था उस समय डॉ़ बोरलॉग के उच्च उपज वाले बीजों के आने से भारतीय कृषि में प्रौद्योगिकीय क्रांति का पदार्पण हुआ जिससे देश को अनाज के मामले में आत्मर्निर बनने में मदद मिली। "
उन्होंने कहा कि हरित क्रांति ने भारत की जनता की भावना को उत्कर्ष पर पहुंचाया और उनमें आशा की नई किरण का संचार किया तथा देश को आर्थिक चुनौतियों से निपटने की क्षमता प्रदान की। भारत के विज्ञान और अर्थव्यवस्था पर डॉ़ नॉर्मन बोरलॉग का प्रभाव हरित क्रांति से कहीं अधिक है। कृषि की समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक सोच उनकी सोच का बुनियादी आधार थी और हरित क्रांति ने पशु पालन, डेयरी और कृषि जैसे क्षेत्रों में सफलता का सूत्रपात किया।
उल्लेखनीय है कि नॉरमन ई.बॉरलांग का 95 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। टेक्सास ए एंड एम युनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय कृषि के प्राध्यापक बॉरलांग कैंसर से पीड़ित थे और शनिवार को डाल्लास में उनका निधन हो गया। बॉरलांग ने गरीब देशों में अकाल से मुकाबले के लिए गेहूं की रोग प्रतिरोधी प्रजातियां विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।