रियायती दालों की राशन पर बिक्री फरवरी तक!

केंद्र सरकार राशन की दुकानों के जरिये रियायती दालों की बिक्री छह महीने और जारी रखने पर विचार कर रही है। सरकार अगले साल फरवरी तक दालों की राशन की दुकानों से बिक्री जारी रख सकती है।
हालांकि राज्य दालें उठाने में उदासीन बने हुए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मूल्यों में बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए स्कीम को छह महीने और लागू रखने पर विचार हो रहा है। पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने दस रुपये प्रति किलो रियायत पर दाल सुलभ कराने की योजना बनाई थी।

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सरकार ने इस योजना में चार लाख टन दालों की सप्लाई की योजना बनाई थी। यह स्कीम पहले छह महीने के लिए लागू की गई थी। इसके बाद इसकी अवधि छह माह और बढ़ाकर 30 सितंबर तक लागू रखने का फैसला किया गया। इस समय खुले बाजार में अरहर की दाल महंगी होकर 85 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। स्कीम इस महीने के अंत में खत्म होने वाली है। पूरे एक साल में एक लाख टन से कम दालों का राज्यों द्वारा उठान किया गया। यह दाल सिर्फ चार राज्यों ने मंगाई। इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। आंध्र प्रदेश ने 40 हजार टन दाल मंगाई। कई राज्यों ने यह योजना लागू नहीं की। इनमें से अनेक राज्यों के पास वितरण के लिए पर्याप्त परिवहन और दूसरी सुविधाएं नहीं है। इस संबंध में संपर्क करने पर कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति आयुक्त एच. आर. श्रीनिवास ने बताया कि खुले बाजार के मुकाबले सिर्फ दस रुपये प्रति किलो की रियायत होने के कारण उपभोक्ताओं ने दाल खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

रियायत के बावजूद दाल काफी महंगी होने के कारण पैसे की तंगी से हमने दाल नहीं मंगाई। केंद्र सरकार ने आयात मूल्य के आधार पर सब्सिडी देने का फैसला किया था। विशेषज्ञों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां खुले बाजार से नीचे भाव पर दालें आयात करने में सफल नहीं हो पाई।

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