अब भारत के दुग्ध बाजार पर भी चीन की नजर

लुधियाना [बिंदु उप्पल]। अगर कुछ समय बाद भारत में मेड इन चाइना दूध भी मिलने लगे तो चौंकिएगा नहीं। असल में चीन भारत की बढि़या नस्ल की गायों का सीमन ले जाकर अपना दूध उत्पादन बढ़ाने की तैयारी में है। इसके बाद वह सस्ता दूध निर्यात करने की रणनीति भी अपना सकता है। अन्य चीनी सामान की तरह दूध के लिए भी भारत एक बड़ा बाजार साबित हो सकता है।

डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में काफी पीछे होने के कारण चीन ने इस दिशा में अपने पैर मजबूत करने के लिए पंजाब और हरियाणा को टारगेट बनाया है। इस सिलसिले में चीनी प्रतिनिधिमंडल ने बीते दिनों लुधियाना का दौरा किया। इससे पहले हरियाणा से भी दुधारू पशुओं की अच्छी नस्ल पैदा करने की तकनीक ले जाने की संभावनाएं तलाशी गई। चीन ने ज्यादा दूध देने वाली भैसों, गायों और बकरी की नस्लों को विकसित करने पर जोर देना शुरू कर दिया है।

इसके लिए चीन के ग्वाग सी बफैलो रिसर्च सेंटर के 12 वैज्ञानिकों के प्रतिनिधिमंडल ने लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव वेटनरी साइंस एंड एनीमल हसबेंडरी यूनिवर्सिटी [गडवासू] का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल में शामिल डिप्टी डायरेक्टर डा. होआग जियाग संग ने दैनिक जागरण को बताया कि चीन की भैंसें भारतीय भैसों की तुलना में कम दूध देती हैं। इसे लेकर चीनी सरकार काफी गंभीर है। उन्होंने बताया कि सरकार की कोशिश है कि भारत में अधिक दूध उत्पादन वाले राच्यों का दौरा कर अच्छी किस्म की दूध देने वाली भैंसों और अन्य पशुओं के सीमन एकत्र किए जाएं। इसके बाद चीन में भैंस, गाय, बकरी, याक और अन्य दुधारू पशुओं की उन्नत नस्लें विकसित की जाएं।

चीन की स्वैंप किस्म की भैंसें एक सुए [सीजन] में 400-500 किलो दूध देती हैं। पंजाब की मुर्रा किस्म की भैंसें एक सुए में ढाई से तीन हजार किलो दूध देती हैं। गडवासू से दुधारू मुर्रा भैसों के सीमन निर्यात किए जाएंगे। इससे वहा की स्वैंप बफैलो से क्त्रास-ब्रीड करवा कर अच्छी किस्म की भैंसो को विकसित किया जाएगा।

इतना ही नहीं लुधियाना के अलावा प्रतिनिधिमंडल करनाल स्थित नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट [एनडीआरआई] और हिसार स्थित बफैलो रिसर्च सेंटरों का भी दौरा कर रहा है। चीनी वैज्ञानिक एनडीआरआई से दुधारू पशुओं की उन्नत नस्लों के पशु आहार को विकसित करने की तकनीक भी लेकर जाएंगे। साथ ही दुधारू पशुओं के सीमन के लिए गडवासू के साथ चीन गठबंधन करने की तैयारी में है। गडवासू के प्रसार शिक्षा निदेशक डा. ओंकार सिंह परमार ने बताया कि चीनी प्रतिनिधिमंडल ने वेटनरी वैज्ञानिकों से भैसों से दूध की मात्रा बढ़ाने संबंधी जानकारी ली है। चीन अच्छी किस्म की मुर्रा भैसों के सीमन यहा से निर्यात करने की योजना में है।

उन्होंने बताया कि इस प्रयास से चीन में दूध के उत्पादन में वृद्धि होगी और गडवासू को सीमन निर्यात का बड़ा बाजार मिलेगा। इस तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि कुछ सालों बाद अन्य क्षेत्रों की तरह दूध उत्पादन में भी चीन भारत को चुनौती दे सकता है। इस तरफ भी सरकार कोनजर रखनी होगी। कारण यह है कि देश में पशुधन योजना पर पहले से ही गंभीरता से काम नहीं हो रहा है।

 

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