ग्रामीणों ने कृषि अधिकारियों को बंधक बनाया

ब्रजराजनगर। शनिवार को लखनपुर ब्लाक के सागरपाली गांव में किसान गौरहरि पात्र की आत्महत्या के मामले में जांच करने पहुंचे कृषि उपनिदेशक समेत कृषि विभाग के दो अन्य अधिकारियों को ग्रामीणों के आक्रोश शिकार होना पड़ा। ग्रामीणों ने उन्हें करीब पांच घंटे तक बंधक बनाए रखने के बाद तब छोड़ा जब कृषि उपनिदेशक ने अपनी गलत बयानी के लिए माफी मांगी और सही रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजने का आश्वासन दिया।

उल्लेखनीय है कि विभाग के संबलपुर कार्यालय में कार्यरत कृषि उपनिदेशक धु्रवचरण पाल ने किसान की आत्महत्या के मामले में सरकार को प्रदत्त रिपोर्ट में कहा था कि मृतक गौरहरि ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए लिये गये ऋण के भुगतान की चिंता के कारण आत्महत्या की थी जबकि वास्तविकता यह थी कि अल्प वर्षा एवं फसल में कीड़े लगने की वजह से फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी थी। इस स्थिति में खेती के लिए सोसायटी से लिया गया ऋण का भुगतान तथा परिवार चलाने की चिंता में गौरहरि ने आत्महत्या की थी। कृषि विभाग द्वारा मामले को अलग मोड़ देने के प्रयास ने ग्रामीणों को उत्तेजित कर दिया था। शनिवार को अचानक ग्रामीणों ने देखा कि एक कैमरामैन गांव के एक खेत में वीडियो फिल्म बना रहा है। पूछताछ करने पर उसने बताया कि वह कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ आया है और उनके कहने पर ऐसा कर रहा है। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने कैमरे से रील निकाल ली और वहां उपस्थित कृषि उपनिदेशक धु्रवचरण पाल, जिला अतिरिक्त कृषि अधिकारी वेणुधर पंडा तथा लखनपुर ब्लाक कनीय कृषि अधिकारी किशोर चंद्र द्विवेदी को जोर जबर्दस्ती गांव के एक घर में बंद कर दिया। ग्रामीणों की जिद थी कि जब तक कृषि उप निदेशक सरकार को गलत ब्यौरा देने की अपनी भूल नहीं स्वीकारेगे, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। करीब पांच घंटे बाद उपनिदेशक श्री पाल ने स्वीकार किया कि जिला अतिरिक्त कृषि अधिकारी द्वारा प्रदत्त रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने अपना बयान दिया था, लेकिन मृतक का खेत देख यह स्पष्ट हो गया कि उनके द्वारा दी गयी रिपोर्ट गलत तथ्यों पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या मामले में वास्तविक कारणों की जानकारी वे सरकार को देंगे। सूचना पाकर लखनपुर थाना प्रभारी निरीक्षक पीके बारला सदलबल सागरपाली गांव पहुंचे, ताकि स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सके। सुबह 11 बजे बंधक बनाए गए तीनों अधिकारियों को शाम चार बजे ग्रामीणों ने मुक्त किया।

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