यूनियन बजट व अन्य नीतिगत कदम

[inside] पढ़िए 2024-25 के अंतरिम बजट की महत्त्वपूर्ण बातें [/inside] 

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01 फरवरी को केन्द्रीय वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वित्तीय लेखा-जोखा पेश किया जिसे हम आम भाषा में बजट कहते हैं। इस बजट को अंतरिम बजट कहा जा रहा है। अंतरिम बजट, आम चुनाव से पूर्व सरकार के द्वारा सदन में पेश किया गया वित्तीय विवरण है। जिसके जरिये सरकार, व्यय और जरूरी सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करती है। जब नई सरकार का गठन हो जाता है तब पूर्ण बजट पेश किया जाता है। अंतरिम बजट संविधान के अनुच्छेद 112 की अनुपालना करते हुए पेश किया जाता है।

नीचे दी गई तस्वीर को देखिये; इस तस्वीर में बजट पत्रों का संक्षिप्त विवरण दिया है। इस लेख में हम इसी तस्वीर का अनुसरण करते हुए बात करेंगे।

 

 

वार्षिक वित्तीय विवरण
वार्षिक वित्तीय विवरण संविधान के अनुच्छेद 112 की अनुपालना करते हुए पेश किया जाता है। इसमें आगामी वित्त वर्ष के लिए अनुमानित प्राप्ति और अनुमानित व्यय का उल्लेख होता है। ध्यातव्य है कि बजट आगामी वित्तीय वर्ष के आँकड़े पेश करता है, इसलिए इन आँकड़ों को अनुमानित बतलाया जाता है। उदाहरण के लिए 01 फरवरी, 2024 को केन्द्रीय वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश किया था।

वार्षिक वित्तीय विवरण में मौजूदा वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमानों, पिछले वित्तीय वर्ष के वास्तविक आँकड़ों को भी पेश किया जाता है। उदाहरण के लिए नीचे दी गई तस्वीर को देखिये। यह तस्वीर 01 फरवरी, 2024 को पेश किये गए वार्षिक वित्तीय विवरण से ली है।

बजट अनुमान 2024-25 में कुल व्यय, ₹47,65,768 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है; जिसमें से कुल पूंजीगत व्यय ₹11,11,111 करोड़ है। 
मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए पेश किये गए संशोधित अनुमान में कुल व्यय राशि ₹44,90,486 करोड़ बताई है। जो कि पिछले वित्तीय वर्ष के वास्तविक आँकड़ों की तुलना में 2,97,328 करोड़ अधिक है। 

बजट अनुमान 2024-25 में प्रभावी पूंजीगत व्यय का ₹14,96,693 करोड़ होना, संशोधित अनुमान 2023-24 से 17.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

बजट अनुमान 2024-25 में 3001275 करोड़ रूपए की राजस्व प्राप्तियाँ और 176 4494 करोड़ रूपए की पूंजीगत प्राप्तियाँ अनुमानित की गई है। 
बजट अनुमान 2024-25 में राज्यों को कितना धन हस्तांतरित किया है ? बजट अनुमान में 22,22,264 रूपए हस्तांतरित किये जा रहे हैं। यह राशि वित्तीय वर्ष 2022-23 के वास्तविक आँकड़ों की तुलना में 4,13,848 करोड़ अधिक है। 

अनुदान माँगें

संविधान का अनुच्छेद 113 कहता है कि भारत की संचित निधि से होने वाले जिसे वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल किया है और जिसके लिए लोकसभा की स्वीकृति आवश्यक है, को अनुदान की माँगों के रूप में प्रस्तुत किया जाएँगा। 2024-25 के अंतरिम बजट के साथ पेश की गई अनुदान माँगों का सारांश देखने के लिएकृपया यहाँ क्लिक कीजिये। मंत्रालयों के आधार पर अनुदान माँगों को देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक कीजिये।

वित्त विधेयक के लिए यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिये।

राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 के तहत सरकार को राजकोषीय नीति का विवरण पेश करना होता है। अंतरिम बजट के साथ पेश की गई राजकोषीय नीति को देखने के लिए कृपया यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिये।

व्यय बजट के लिए यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिये, प्राप्ति बजट के लिए यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिये।

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वित्त मंत्रालय का बजट प्रभाग, बजट को तैयार करता है। बजट भाषण (2023-24) के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए। हिंदी में भाषण पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। संसद की पूरी कार्यवाही देखने के लिए यहां क्लिक करें। बजट पर भारत सरकार की वेबसाइट हिंदी में, अंगरेजी में। बीते वर्षों के बजट खंगालने के लिए यहाँ क्लिक करें।

[inside] पढ़ें बजट 2023-24 से जुड़ीं सभी ज़रूरी बातें [/inside]

1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री ने यूनियन बजट 2023–24 को लोकसभा के पटल पर रखा। आय–व्यय के इस लेखे–जोखे (बजट) के साथ कई अन्य तरह के काग़ज़ात भी सभा पटल पर रखे जाते हैं। इस लेख में हर पत्री के संक्षिप्त परिचय और मूल दस्तावेज़ों को संलग्न किया है।

बजट के साथ पेश किए जाने वाले अन्य कागजात

बजट के साथ करीब 1 दर्जन कागज़ात सभा पटल पर रखे जाते हैं। पूरी सूची नीचे दी गई तस्वीर में, इनमें से कुछ दस्तावेज़ों (3) के पीछे संवैधानिक बाध्यता रहती है। पहले संवैधानिक बाध्यता वाले दस्तावेज़ों की बात करते हैं।

विस्तार से जानने के लिए- हिंदी & अंगरेजी

तस्वीर में– बजट के साथ पेश किए जाने वाले कागज़ात।

अनुच्छेद 112 – वार्षिक वित्तीय विवरण

 

जनता के खजाने का दारोमदार सरकार के हाथों में रहता है। खजानों को तीन भागों में बाँटा है- संचित निधि, आकस्मिकता निधि और लोक लेखा निधि

हुकूमत, जनता के कल्याण हेतु इन खजानों से पैसे लेकर खर्च करती है। उसका हिसाब, वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में प्रस्तुत करना होता है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 112 में लिखा है। यानी एक साल के बजट को ही वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) कहते हैं। बजट में निम्न बिंदुओं को शामिल किया जाता है–

  • राजस्व और पूंजीगत प्राप्तियों का अनुमान
  • राजस्व बढ़ाने के तरीके और साधन
  • व्यय अनुमान
  • आगामी वर्ष में, करों में बदलाव या किसी नई योजना/परियोजना की घोषणा शामिल रहती है।

 

बजट में आय और व्यय का ब्यौरा होता है। आय यानी प्राप्ति. ये दो तरह की होती है, पहली राजस्व प्राप्ति और दूसरी पूंजीगत प्राप्ति। 

राजस्व प्राप्ति से सरकार के ऊपर किसी भी तरह की देयता नहीं चढ़ती है। और ना ही सरकार की संपत्ति में कमी आती है। पूंजीगत प्राप्ति में सरकार के ऊपर देयता बढ़ सकती है, और संपति में भी कमी आ सकती है।

नीचे दी गई तस्वीर को ध्यान से देखें!

तस्वीर-2. प्राप्तियां (Receipts)

तस्वीर, केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए बजट से ली गई है। तस्वीर में तीन वर्षों के आंकड़ों कोदर्शायागया है। हर बजट में तीन वर्षों का ब्यौरा रहता है। इस बार के बजट में 2021–22 के वास्तविक आंकड़े, 2022–23 के अनुमानित व संशोधित आंकड़े और आगमी वर्ष के अनुमानित आंकड़े अंकित है। ऊपर दी गई तस्वीर में दो तरह की प्राप्तियों के आंकड़े दिए गए हैं-राजस्व प्राप्ति और दूसरी पूंजीगत प्राप्ति। सरकार सदन में बताती है कि किस–किस माध्यम से पैसा आने वाला है। इन पैसों को जब जोड़ दिया जाता है तब बजट का आकार हमारे सामने आ जाता है। इस बार (2023–24) का बजट 4503097 करोड़ रुपए का है। जिसमें से 2632281 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्ति के रूप में आएंगे और 1870816 करोड़ रुपए पूंजीगत प्राप्ति के रूप में आएंगे, ऐसा अनुमान लगाया गया है। प्राप्तियां (Receipts) के बारे में विस्तार में जानने के लिए यहाँ और यहाँ क्लिक कीजिए!

 

इसी तरह सरकार व्यय का अनुमान भी लगाती है। व्यय के संदर्भ में भी तीन वर्षों के आंकड़ों को दर्शाया जाता है। नीचे दी गई तस्वीर–3 को देखिए! दो तरह के खर्चे दिए गए हैं। पहला, राजस्व खर्च और दूसरा पूंजीगत खर्च। बजट 2023–24 के अनुमान देखें तो राजस्व खर्च का आंकड़ा 3502136 करोड़ रुपए बनता है और पूंजीगत खर्च 1000961 करोड़ रुपए। जब इन दोनों तरह के खर्चों को जोड़ दिया जाता है तब ये संख्या 4503097 करोड़ रुपए बनती है। यानी कि बजट का अनुमानित आकार और अनुमानित व्यय के आंकड़े बराबर है। स्मरणीय है भारत में घाटे का बजट पेश नहीं होता है, आवक की जितनी संभावना है उतने ही धन को खर्च करने का अनुमान लगाया जाता है।

तस्वीर-3, व्यय (Expenditure)

बजट से पूर्व लिया गया श्री शिशिर सिन्हा का साक्षात्कार यहां से देखें।

बजट 2023-24 के बाद मनरेगा पर विस्तार से लिखे लेख को यहाँ से पढ़ें।

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खास बात

खेती किसानी के लिए दिया जाने वाला कर्ज साल २००३-०४ में ८७००० करोड़ रुपये था जो साल २००७-०८ में बढ़कर २५०००० लाख करोड़ हो गया।*

• साल २००३-०४ से २००७-०८ के बीच खेती की सालाना बढ़ोतरी दर ३.७ फीसद रही।*
• साल २००९-१० के लिए मिड डे मील योजना के लिए ८००० करोड़ रुपये आबंटित हुए हैं।*
• साल २००९-१० में समेकित बाल विकास योजना के लिए ६७०५ करोड़ रुपये का आबंटन प्रस्तावित है।*
• साल २००८-०९ में खेतिहर कर्ज का प्रवाह २८७००० करोड़ रहा। साल २००९-१० के लिए कर्ज-प्रवाह का लक्ष्य ३२५००० करोड़ रुपये का रखा गया है।**
• खेतिहर कर्ज राहत और कर्जमाफी योजना के अन्तर्गत दो हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की मिल्कियत वाले किसानों के लिए बकाया रकम (कर्ज का ७५ फीसदी हिस्सा) चुकाने की अंतिम तारीख ३० जून से बढ़ाकर ३१ दिसंबर २००९ कर दी गई है। ऐसा मॉनसून के देर से आने से उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर किया गया।**
• महाराष्ट्र में एक स्पेशल टास्क फोर्स गठित किया जाएगा ताकि कर्ज में डूबे किसानों की स्थिति का गहराई से आकलन किया जा सके। टास्क फोर्स अपना ध्यान महाजनों से लिए गए कर्ज पर केंद्रित करेगा।**
• राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में राशि में ३० फीसदी की बढ़त की गई है।( साल २००८-०९ के बजट आकलन से)**
• साल २००८-०९ में नरेगा में४.४७ करोड़ लोगों को रोजगार मिला जबकि साल २००७-०८ में नरेगा के अन्तर्गत रोजगार पाने वालों की तादाद ३.३९ करोड़ थी। साल २००९-१० के लिए नरेगा के मद में ३९१०० करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है। साल २००८-०९ के बजट आबंटन से यह राशि १४४ फीसदी ज्यादा है।**
• खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि शहरी और ग्रामीण इलाके के बीपीएल परिवारों को कानूनन २५ किलो चावल या गेहूं ३ रुपये प्रति किलो की दर से मुहैया कराया जाये। **
• स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का पुनर्गठन नेशनल रुरल लाइवलीहुड मिशन नाम से किया गया है और इसके क्रियान्वयन को सार्विक बनाया गया है। इसमें समयबद्ध तरीके गरीबी के खात्में का उद्देश्य(साल-2014-15) रखा गया है। **
• यह देखते हुए कि तकरीबन  22,000 स्वयंसहायता समूह फिलहाल बैंकों से जुड़े हैं, भारत सरकार ने कुल ग्रामीण महिलाओं में से 50%  को स्व सहायता समूहो में अगले पांच सालों में नामांकित करने का प्रस्ताव किया है।**
• राष्ट्रीय महिला कोष की निधि अगले पांच सालों में  100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर  500 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है।
• राष्ट्रीय स्तर पर एक महिला साक्षरता से संबंधित मिशन चलाने की बात कही गई है। **
• अंतरिम बजट में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को 12,070 करोड़ रुपये देने की बात कही गई थी इस राशि को नवीनतम बजट में बढ़ा दिया गया है। अब इस राशि के अलावा  2,057 करोड़ रुपये इस मद में और दिए जायेंगे। **
• राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में पिछले आबंटन में ४० फीसदी की बढोतरी करते हुए साल 2009-10 के बजट में . 350 करोड़ रुपये और देने की बात कही गई है। **
• नेशनल रिवर एंड लेक कंजर्वेशन प्लान के मद में बजटीय आबंटन बढ़ा दिया गया है। साल 2008-09 में इस मद में
 करोड़ रुपये दिए गए थे जिसे बढ़ाकर साल 2009-10  के बजट में 562  करोड़ रुपये कर दिया गया है। **

* अंतरिम बजट  2009-10, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
**  संघीय बजट  2009-10,- वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा  6 जुलाई  2009 को प्रस्तुत

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मुख्य बजटीय खर्च के हिसाब से [inside]केंद्रीय बजट 2022-23[/inside] के अनुसार (देखने के लिए यहां क्लिक करें):

पेंशन पर खर्च 2021-22 (संशोधित अनुमान-RE) में 1,98,962 करोड़ रुपए था, जिसे साल 2022-23 (बजट अनुमानB.E.) में बढ़ाकर 2,07,132 करोड़ रुपए कर दिया है. 2021-22 (बजट अनुमान-BE) में 1,89,328 करोड़ रुपए था.

• 2021-22 (B.E.) में कुल बजटीय व्यय के अनुपात के रूप में पेंशन पर बजटीय आवंटन 5.44 प्रतिशत था, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से घटकर 5.25 प्रतिशत हो गया.

'उर्वरक सब्सिडी' पर खर्च साल 202style="color:#333333">1style="background-color:white">-22 (R.E) में 1,40,122 करोड़ रुपए से घटाकर 2022-23 (B.E.) में 1,05,222 करोड़ रुपए कर दिया गया है. उर्वरक सब्सिडी पर बजटीय आवंटन साल 2021-22 (B.E.) में 79,530 करोड़ रुपए था. 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी पर खर्च के बजट अनुमान और संसोधित अनुमान के बीच बड़ा अंतर उर्वरकों की कीमत और इनपुट लागत में वृद्धि के कारण हुआ है.

कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में उर्वरक सब्सिडी 2021-22 (B.E.) में 2.28 प्रतिशत थी, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से बढ़कर 2.67 प्रतिशत हो गई.

खाद्य सब्सिडी पर खर्च साल 2021-22 (R.E) में 2,86,469 करोड़ रुपये से घटाकर साल 2022-23 (B.E.) में 2,06,831 करोड़ रुपए कर दिया गया. खाद्य सब्सिडी पर 2021-22 में बजटीय आवंटन 2,42,836 करोड़ (B.E.) रुपए था.

• 2021-22 (B.E.) में कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में खाद्य सब्सिडी 6.97 प्रतिशत थी, जो 2022-23 (B.E.) में गिरकर लगभग 5.24 प्रतिशत हो गई.

कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर खर्च साल 2021-22 (R.E) में 1,47,764 करोड़ रुपए था, जिसे साल 2022-23 (B.E.) में मामूली सा बढ़ाकर 1,51,521 करोड़ रुपए कर दिया गया है. कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर बजटीय आवंटन 2021-22 (B.E.) में 1,48,301 करोड़ रुपए था.

कुल बजटीय व्यय के अनुपात के रूप में कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर बजटीय आवंटन 2021-22 (B.E.) में 4.26 प्रतिशत था, जो 2022-23 (B.E.) में घटकर 3.84 प्रतिशत हो गया है.

•  ग्रामीण विकास पर खर्च साल 2021-22 (R.E) में 2,06,948 करोड़ रुपए था, जिसे मामूली सा घटाकर साल 2022-23 (B.E.) में 2,06,293 करोड़ रुपए कर दिया गया है. ग्रामीण विकास पर बजटीय आवंटन साल 2021-22 (B.E.) style="font-size:10.5pt">में 1,94,633 करोड़ रुपए था.

2021-22 (B.E.) में कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में ग्रामीण विकास पर बजटीय आवंटन 5.59 प्रतिशत था, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से घटकर 5.23 प्रतिशत हो गया.

स्वास्थ्य पर खर्च साल 2021-22 (R.E.) में 85,915 करोड़ रुपए था, जिसे इस साल 2022-23 (B.E.) में मामूली सा बढ़ाकर 86,606 करोड़ रुपए कर दिया गया है. स्वास्थ्य पर बजटीय आवंटन 2021-22 में 74,602 करोड़ रुपए (B.E.) था.

2021-22 (B.E.) में कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में स्वास्थ्य पर बजटीय आवंटन 2.14 प्रतिशत था, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से बढ़कर 2.2 प्रतिशत हो गया.

शिक्षा पर खर्च साल 2021-22 (R.E.) में 88,002 करोड़ रुपये था, जोकि साल 2022-23 (B.E.) में बढ़कर 1,04,278 करोड़ रुपए हो गया है. शिक्षा पर बजटीय आवंटन साल 2021-22 में 93,224 करोड़ (B.E.) था.

2021-22 (B.E.) में कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में शिक्षा पर बजटीय आवंटन 2.68 प्रतिशत था, जो 2022-23 (B.E.) में मामूली रूप से घटकर 2.64 प्रतिशत हो गया.

 • समाज कल्याण पर खर्च साल 2021-22 (R.E.) में 44,952 करोड़ रुपए था, जोकि इस साल 2022-23 (B.E.) में 51,780 करोड़ रुपए है. समाज कल्याण पर बजटीय आवंटन साल 2021-22 (B.E.) में 48,460 करोड़ रुपए था.

 

1 फरवरी 2022 को श्रीमति निर्मला सीतारमण द्वारा दिए गए केंद्रीय बजट भाषण 2022-23 तक पहुंचने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.

 

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मुख्य बजटीय खर्च के हिसाब से [inside] केंद्रीय बजट 2021-22 [/inside] के अनुसार (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें):

पेंशन पर खर्च 2020-21 (संशोधित अनुमान-RE) में 2,04,393 करोड़ रुपए था, जिसे घटाकर 2021-22 (बजट अनुमान-BE) में 1,89,328 करोड़ रुपए कर दिया गया है. पेंशन पर बजटीय आवंटन 2020-21 (बजट अनुमान-BE) में 2,10,682 करोड़ रुपए था.

कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में पेंशन पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में style="font-size:10.5pt">6.93style="color:#333333"> प्रतिशत था, जो 2021-22 (B.E.) में घटकर 5.4 प्रतिशत रह गया.

'उर्वरक सब्सिडीपर खर्च साल 2020-21 में 1,33,947 करोड़ रुपए (संशोधित अनुमान) से घटाकर साल 2021-22 (बजट अनुमान) में 79,530 करोड़ रूपए कर दिया है. हालांकिउर्वरक सब्सिडी पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 71,309 करोड़ रुपए थाजो 2020-21 के संशोधित अनुमान के आंकड़े का लगभग आधा है. बजटीय आवंटन (B.E) और संशोधित अनुमान (R.E.) के बीच इतना बड़ा अंतर 2020-21 में 'उर्वरक सब्सिडीपर खर्च के आंकड़े लेखांकन प्रथा में परिवर्तन के कारण हुआ (जैसा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) और 15 वें वित्त आयोगअन्य लोगों के बीच) और 'ऑफ-बजट वित्तपोषणमोड में बदलाव कर खर्च के अधिक पारदर्शी तरीके अपनाने की वजह से हुआ.

खाद्य सब्सिडी पर खर्च साल 2020-21 में 4,22,618 करोड़ रुपये (R.E.) से घटाकर 2021-22 (B.E) में बजटीय आवंटन 2,42,836 करोड़ रुपए कर दिया गया है. साल 2020-21 (B.E.) में 'खाद्य सब्सिडीपर बजटीय आंवटन 1,15,570 करोड़ रुपए थाजो कि 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान आंकड़े का लगभग एक चौथाई है. बजटीय आवंटन (B.E) और संशोधित अनुमान (R.E.) के बीच इतना बड़ा अंतर 2020-21 में 'खाद्य सब्सिडीपर खर्च के आंकड़े भी लेखांकन अभ्यास में परिवर्तन के कारण हुएऔर 'अतिरिक्त-बजटीय उधारमोड में बदलाव कर खर्च के अधिक पारदर्शी तरीके अपनाने की वजह से हुआ.

कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में खाद्य सब्सिडी पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 3.8 प्रतिशत था, जो 2021-22 (B.E.) बढ़कर में लगभग 7 प्रतिशत हो गया.

कृषि और संबद्ध गतिविधियोंपर खर्च 2020-21 (R.E.) में 1,45,355 करोड़ रुपए था, जोकि बढ़कर 2021-22 (B.E.) में 1,48,301 करोड़ रुपए है. कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E) में 1,54,775 करोड़ रुपए था.

कुल बजटीय व्यय के अनुपात के रूप में कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 5.1 प्रतिशत था, जो 2021-22 (B.E.) में घटकर 4.3 प्रतिशत हो गया.

ग्रामीण विकास पर खर्च 2020-21 (R.E.) में 2,16,342 करोड़ रुपए था, जोकि घटकर 2021-22 (B.E.) में 1,94,633 करोड़ रुपए रह गया. ग्रामीण विकास पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.)  में 1,44,817 करोड़ रुपए था.

 कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में ग्रामीण विकास पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 4.8 प्रतिशत था, जो 2021-22 (B.E.) में बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गया.

 स्वास्थ्य पर खर्च 2020-21 (R.E.) में 82,445 करोड़ से रुपए था, जोकि 2021-22 (B.E.) में घटकर 74,602 करोड़ रुपए हो गया है. स्वास्थ्य पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 67,484 करोड़ रुपए था.

 कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में स्वास्थ्य पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 2.2 प्रतिशत था, जो 2021-22 (B.E.) में मामूली कम होकर 2.1 प्रतिशत हो गया.

 शिक्षा पर खर्च 2020-21 (R.E.) में 85,089 करोड़ रुपए था, जोकि बढ़कर 2021-22 (B.E.) में 93,224 करोड़ रुपए हो गया है. शिक्षा पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 99,312 करोड़ रुपए था.

कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में शिक्षा पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 3.3 प्रतिशत था, जो 2021-22 (B.E.) में मामूली रूप से घटकर 2.7 प्रतिशत हो गया,

समाज कल्याण पर खर्च 2020-21 (R.E.)  में 39,629 करोड़ रुपए था, जो 2021-22 (B.E.) में बढ़कर 48,460 करोड़ रुपए हो गया है. समाज कल्याण पर 2020-21 (B.E.) में 53,876 करोड़ रुपए था.

1 फरवरी,2021 कोश्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा दिए गए केंद्रीय बजट भाषण 2021-22 तक पहुंचने के लिए कृपया यहां क्लिक करें.


 
केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटन (कृपया यहां क्लिक करें):

अति महत्वपूर्ण योजनाएं

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता प्रोगाम-एनएसएपी (जिसमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांगों के लिए पेंशन, राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना और अन्नपूर्णा शामिल हैं) – 2020-21 में 9,197 करोड़ रुपए (बजट अनुमान) और 2021-22 (B.E.) में 9,200 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 42,617 करोड़ रुपए (संशोधित अनुमान).

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम – 2020-21 (B.E.)  में 61,500 करोड़ रुपए, 2021-22 (B.E.)  में 73,000 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,11,500 करोड़ रुपए

अनुसूचित जातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम– 2020-21 (B.E.) में 4,191 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 4,303 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 3,183 करोड़ रुपए.

अनुसूचित जातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 2020-21 (B.E.) में 6,242 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 6,566 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 5,693 करोड़ रुपए.

अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 2020-21 (B.E.) में 1,820 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 1,564 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,282 करोड़ रुपए.

अन्य कमजोर समूहों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 2020-21 (B.E.)  में 2,210 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 2,140 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,675 करोड़ रुपए.

 (बी) महत्वपूर्ण योजनाएं

हरित क्रांति – 2020-21 (B.E.)  में 13,320 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 13,408 करोड़ रुपए. 2020-21 में 10,474 करोड़ रुपए (R.E.)

श्वेत क्रांति – 2020-21 में 1,805 करोड़ (B.E.) रुपए और 2020-21 (R.E.) में 1,642 करोड़ रुपए. 2021-22 केलिए आंकड़ा प्रदान नहीं किया गया है.

नीली क्रांति – 2020-21 (B.E.) में 570 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 1,015 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 710 करोड़ रुपए.

प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना – 2020-21 (B.E.) में 11,127 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 11,588 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 7,954 करोड़ रुपए.

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना – 2020-21 (B.E.)  में 19,500 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 15,000 करोड़ रुपए . 2020-21 (R.E.) में 13,706 करोड़ रुपए.

प्रधानमंत्री आवास योजना – 2020-21 (B.E.)  में 27,500 करोड़ रुपये और 2021-22 (B.E.)  में 27,500 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 40,500 करोड़ रुपए.

जल जीवन मिशन (JJM) / राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन – 2020-21 (B.E.) में 11,500 करोड़ रुपये और 2021-22 (B.E.)  में 50,011 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 11,000 करोड़ रुपए.

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-शहरी) – 2020-21 (B.E.) में 2,300 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 2,300 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,000 करोड़ रुपए.

स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-ग्रामीण) – 2020-21 (B.E.) में 9,994 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 9,994 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 6,000 करोड़ रुपए.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) – 2020-21 (B.E.) में 34,115 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 37,130 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 35,554 करोड़ रुपए.

राष्ट्रीय शिक्षा मिशन – 2020-21 (B.E.) में 39,161 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 34,300 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 28,244 करोड़ रुपए.

स्कूलों में मिड डे मील का राष्ट्रीय कार्यक्रम – 2020-21 (B.E.) में 11,000 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 11,500 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 12,900 करोड़ रुपए.

एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) – 28,557 करोड़रुपए (B.E.) style="font-size:10.5pt">और 2020-21 में 20,038 करोड़ रुपए (R.E.)

सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 (आईसीडीएस-आंगनवाड़ी सेवा, पोषण अभियान, किशोरियों के लिए योजना, राष्ट्रीय क्रेच योजना) – 2021-22 (B.E.) में 20,105 करोड़ रुपए.

महिलाओं के लिए सुरक्षा और अधिकारिता के लिए मिशन – 2020-21 (B.E.)  में 1,163 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 48 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 726 करोड़ रुपए.

राष्ट्रीय आजीविका मिशन – अजीविका – 2020-21 (B.E.) में 10,005 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 14,473 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 10,005 करोड़ रुपए.

नौकरी और कौशल विकास – 2020-21 (B.E.) में 5,372 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 3,482 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 3,885 करोड़ रुपए.

पर्यावरण, वानिकी और वन्यजीव – 2020-21 (B.E.)  में 926 करोड़ रुपये और 2021-22 (B.E.)  में 766 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 556 करोड़ रुपए.

शहरी कायाकल्प मिशन: AMRUT – कायाकल्प और शहरी परिवर्तन और स्मार्ट सिटीज मिशन के लिए अटल मिशन – 2020-21 (B.E.)  में 13,750 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 13,750 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 9,850 करोड़ रुपए.

पुलिस बलों का आधुनिकीकरण – 2020-21 (B.E.) में 3,162 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 2,803 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,864 करोड़ रुपए.

न्यायपालिका के लिए अवसंरचना सुविधाएं – 2020-21 (B.E.)  में 762 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 784 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 599 करोड़ रुपए.

सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम – 2020-21 (B.E.)  में 784 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 566 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 50 करोड़ रुपए.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन – 2020-21 (B.E.) में 600 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 600 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 372 करोड़ रुपए.

style="font-size:10.5pt">राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) – 2020-21 (B.E.)  में 858 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 661 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 565 करोड़ रुपए.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना – 2020-21 (B.E.)  में 6,429 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 6,401 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 3,129 करोड़ रुपए.

(सी) कुछ महत्वपूर्ण केन्द्रीय योजनाएं (देखने के लिए यहां क्लिक करें.)

फसल बीमा योजना – 2020-21 (B.E.) में 15,695 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 16,000 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 15,307 करोड़ (R.E.)

किसानों को अल्पकालिक ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी – 2020-21 (B.E.)  में 21,175 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 19,468 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 19,832 करोड़ रुपए.

बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना (MIS-PSS) – 2020-21 (B.E.) में 2,000 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 1,501 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 996 करोड़ रुपए.

प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि / आय सहायता योजना (PM-KISAN) – 2020-21 (B.E.)  में 75,000 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 65,000 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 65,000 करोड़ रुपए.

एलपीजी का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण – 2020-21 (B.E.) में 35,605 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 12,480 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 25,521 करोड़ रुपए.

मूल्य स्थिरीकरण कोष – 2020-21 (B.E.) में 2,000 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 2,700 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 11,800 करोड़ रुपए.

फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना – 2020-21 (B.E.) में 600 करोड़ रुपए और 2021-22 (style="color:#333333">B.E.)  में 700 करोड़style="font-size:10.5pt"> रुपए. 2020-21 (R.E.) में 600 करोड़ रुपए.

प्रधानमंत्री किसान सेवा योजना – 2020-21 (B.E.)  में 1,081 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 700 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 750 करोड़ रुपए.

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना – 2020-21 (B.E.) में 6,020 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 7,000 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 7,517 करोड़ रुपए.

पुलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर – 2020-21 (B.E.) में 4,135 करोड़ और 2021-22 (B.E.)  में 3,612 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,816 करोड़ रुपए.

प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) – 2020-21 (B.E.)  में 2,500 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 2,000 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 1,650 करोड़ रुपए.

दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना – 2020-21 (B.E.) में 4,500 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 3,600 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 2,000 करोड़ रुपए.

संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS) – 2020-21 (B.E.)  में 762 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 700 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 545 करोड़ रुपए.

कौशल विकास और आजीविका – 2020-21 (B.E.) में 602 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 573 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 427 करोड़ रुपए.

किसान उर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (कुसुम) – 2020-21 (B.E.)  में 700 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 776 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 180 करोड़ रुपए.

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) – 2020-21 (B.E.)  में 1,313 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.)  में 1,418 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.)style="font-size:10.5pt"> में 1,200 करोड़ रुपए.

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (NCGTC के माध्यम से) – 2020-21 (B.E.)  में 500 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 2,500 करोड़ रुपए. 2020-21 (R.E.) में 500 करोड़ रुपए.

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• केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने ‘कोरोना वायरस’ के खिलाफ लड़ाई लड़ने में मदद करने और भारत की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के उद्देश्य से  [inside] ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’  [/inside]  नामक 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. उन्होंने पहले (13 मई) दिन 5.94 लाख करोड़ रुपए, दूसरे (14 मई) दिन 3.10 लाख करोड़ रूपए, तीसरे (15 मई) दिन 1.5 लाख करोड़ रुपए, चौथे (16 मई) और पाँचवें (17 मई) दिन 48,100 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज: 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का सिलसिलेवार विवरण इस प्रकार है, 

• आत्मनिर्भर भारत पैकेज की पहली कड़ी की घोषणा 13 मई 2020 को की गई, जिसमें छोटे व्यवसायों को क़र्ज़ देने, ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा बिजली वितरण कंपनियों की सहायता के लिए 5.94 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ब्यौरा दिया था. 

आत्मनिर्भर भारत पैकेज पहली कड़ी की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

 

• आत्मनिर्भर भारत पैकेज की दूसरी कड़ी की घोषणा 14 मई 2020 को की गई, जिसमें अटके हुए प्रवासी मज़दूरों को दो महीने तक निःशुल्क अनाज देने और किसानों को क़र्ज़ देने जैसी सहायताओं के लिए 3.10 लाख करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज का ब्यौरा दिया था.

 
आत्मनिर्भर भारत पैकेज दूसरी कड़ी की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

 

 आत्मनिर्भर भारत पैकेज की तीसरी कड़ी की घोषणा 15 मई 2020 को की गई, जिसमें खेती के बुनियादी ढाँचे को ठीक करने और खेती से जुड़े संबंधित क्षेत्रों की मदद करने के लिए 3.10 लाख करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज का ब्यौरा दिया था.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज तीसरी कड़ी की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

 आत्मनिर्भर भारत पैकेज की चौथी और पांचवी कड़ी की घोषणा क्रमशः 15 मई 2020 और 16 मई 2020 को की गई, जिसमें कोयला क्षेत्र, खनन, विमानन, अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर शिक्षा, रोज़गार, व्यवसायों की मदद और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों के लिए सुधार और राज्यों को अतिरिक्त मदद देने के लिए 48,100 हजार करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज का ब्यौरा दिया था.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज चौथी और पांचवी कड़ी की विस्तृत जानकारी के लिए यहां और यहां क्लिक करें.
 

 सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के ऐलान से पहले भी राहत पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज के तहत 1,92,800 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी. इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 8,01,603 करोड़ रुपए के पैकेजकी घोषणा की थी.

आत्मनिर्भर भारतपैकेज के लिए घोषित 20,97,053 करोड़ रुपए का पूरा ब्यौरा

 

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[inside] गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (दिनांक 26 मार्च 2020) के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का विवरण [/inside] इस प्रकार है, (वित्त मंत्रालय द्वारा जारी पैकेज के विवरण तक पहुँचने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.)

  • ‘कोविड-19’ से लड़ने वाले प्रत्‍येक स्वास्थ्य कर्मी को बीमा योजना के तहत 50 लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा.
  • 80 करोड़ गरीबों को अगले तीन महीने तक हर माह 5 किलो गेहूं या चावल और पसंद की 1 किलो दालें मुफ्त में मिलेंगी.  
  • 20 करोड़ महिला जन धन खाता धारकों को अगले तीन महीने तक हर माह 500 रुपये मिलेंगे.
  • मनरेगा के तहत मजदूरी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है, 13.62 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे.
  • 3 करोड़ गरीब वरिष्ठ नागरिकों, गरीब विधवाओं और गरीब दिव्‍यांगजनों को 1,000 रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी.
  • सरकार वर्तमान ‘पीएम किसान योजना’ के तहत अप्रैल के पहले सप्ताह में किसानों के खाते में 2,000 रुपये डालेगी, 8.7 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे.
  • केंद्र सरकार ने निर्माण श्रमिकों को राहत देने के लिए राज्य सरकारों को ‘भवन और निर्माण श्रमिक कल्याण कोष’ का उपयोग करने के आदेश दिए हैं.

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज में निम्नलिखित उपाय शामिल हैं: — 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज

  • सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कोविड-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा योजना
  • सफाई कर्मचारी, वार्ड-ब्‍वॉय, नर्स, आशा कार्यकर्ता, सहायक स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी (पैरामेडिक्स), टेक्निशियन, डॉक्टर और विशेषज्ञ एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता एक विशेष बीमा योजना के तहत बीमा कवर पाएंगे। 
  • कोविड-19 मरीजों का इलाज करते समय किसी भी स्वास्थ्य प्रोफेशनल के साथ दुर्घटना होने पर उन्हें योजना के तहत 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
  • सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, वेलनेस सेंटरों और केंद्र के साथ-साथ राज्यों के अस्पतालों को भी इस योजना के तहत कवर किया जाएगा, इस महामारी से लड़ने के लिए लगभग 22 लाख स्वास्थ्य कर्मि‍यों को बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना

  • भारत सरकार अगले तीन महीनों के दौरान इस विपत्ति की वजह से खाद्यान्नों की अनुपलब्धता के कारण किसी को भी, विशेषकर किसी भी गरीब परिवार को कष्‍ट नहीं होने देगी।
  • 80 करोड़ व्यक्तियों, अर्थात, भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी को इस योजना के तहत कवर किया जाएगा।
  • इनमें से प्रत्येक व्‍यक्ति को अगले तीन महीनों के दौरान मौजूदा निर्धारित अनाज के मुकाबले दोगुना अन्‍न दिया जाएगा।
  • यह अतिरिक्त अनाज मुफ्त में मिलेगा।

दालें:

  • उपर्युक्त सभी व्यक्तियों को प्रोटीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, अगले तीन महीनों के दौरान क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार प्रत्‍येक परिवार को 1 किलो दालें दी जाएंगी।
  • ये दालें भारत सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाएंगी।

III. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत

किसानों को लाभ:

2020-21 में देय 2,000 रुपये की पहली किस्त अप्रैल 2020 में ही ‘पीएम किसान योजना’ के तहत खाते में डाल दी जाएंगी।
इसमें 7 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा।
 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत नकद राशि का हस्तांतरण:
गरीबों कीमदद:

कुल 40 करोड़ पीएमजेडीवाई महिला खाताधारकों को अगले तीन महीनों के दौरान प्रति माह 500 रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी. 

गैस सिलेंडर:

पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत अगले तीन महीनों में 8 करोड़ गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर मुफ्त में दिए जाएंगे।

संगठित क्षेत्रों में कम पारिश्रमिक पाने वालों की मदद:

  • 100 से कम कामगारों वाले प्रतिष्‍ठानों में प्रति माह 15,000 रुपये से कम पारिश्रमिक पाने वालों को अपना रोजगार खोने का खतरा है।
  • इस पैकेज के तहत सरकार ने अगले तीन महीनों के दौरान उनके पीएफ खातों में उनके मासिक पारिश्रमिक का 24 प्रतिशत भुगतान करने का प्रस्ताव किया है।
  • इससे उनके रोजगार में व्यवधान या खतरे को रोका जा सकेगा।

वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक), विधवाओं और दिव्यांगजनों के लिए सहायता :

ऐसी लगभग 3 करोड़ वृद्ध विधवाएं और दिव्यांग श्रेणी के लोग हैं, जो कोविड-19 की वजह से उत्‍पन्‍न हुए आर्थिक व्यवधान के कारण असुरक्षित हैं।
सरकार अगले तीन महीनों के दौरान कठिनाइयों से निपटने के लिए उन्हें 1,000 रुपये देगी।

मनरेगा

  • ‘पीएम गरीब कल्याण योजना’ के तहत 1 अप्रैल, 2020 से मनरेगा मजदूरी में 20 रुपये की बढ़ोतरी की जाएगी। मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ने से प्रत्‍येक श्रमिक को सालाना 2,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ होगा।
  • इससे लगभग 62 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे।

स्वयं सहायता समूह:

  • 63 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से संगठित महिलाएं 85 करोड़ परिवारों को आवश्‍यक सहयोग देती हैं।
  •  ए. जमानत (कोलैटरल) मुक्त ऋण देने की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की जाएगी।

 पीएम गरीब कल्याण पैकेज के तहत अन्य उपाय
संगठित क्षेत्र:

कर्मचारी भविष्य निधि नियमनों में संशोधन कर ‘महामारी’ को भी उन कारणों में शामिल किया जाएगा जिसे ध्‍यान में रखते हुए कर्मचारियों को अपने खातों से कुल राशि के 75 प्रतिशत का गैर-वापसी योग्य अग्रिम या तीन माह का पारिश्रमिक, इनमें से जो भी कम हो, प्राप्‍त करने की अनुमति दी जाएगी।
ईपीएफ के तहत पंजीकृत चार करोड़ कामगारों के परिवार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण कोष:

  • ‘भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के लिए कल्याण कोष’ केंद्र सरकार के एक अधिनियम के तहत बनाया गया है।
  • कोष में लगभग 3.5 करोड़ पंजीकृत श्रमिक हैं।
  • राज्य सरकारों को इस कोष का उपयोग करने के लिए निर्देश दिए जाएंगे, ताकि वे इन श्रमिकों को आर्थिक मुश्किलों से बचाने के लिए आवश्‍यक सहायता और सहयोग प्रदान कर सकें।

जिला खनिज कोष

राज्य सरकार से जिला खनिज कोष (डीएमएफ) के तहत उपलब्ध धनराशि का उपयोग करने को कहा जाएगा, ताकि कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए चिकित्सा परीक्षण (टेस्टिंग), स्क्रीनिंग और अन्य आवश्यकताओं की पूरक एवं संवर्धित या बढ़ी हुई सुविधाओं का इंतजाम किया जा सके और इसके साथ ही इस महामारी की चपेट में आए मरीजों का इलाज भी हो सके।

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मुख्य बजटीय खर्च जानने के लिए [inside] केंद्रीय बजट 2020-21  [/inside] के अनुसार (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें):

 • पेंशन पर खर्च वर्ष 2019-20 (संशोधित अनुमान Revised Estimates-RE) में 1,84,147 करोड़ रुपये था, जिसमें बढ़ोतरी करवर्ष 2020-21 (बजट अनुमान Budget Estimates-BE) में 2,10,682करोड़ रुपये पेंशन पर बजटीय आवंटन किया गया है. वर्ष 2019-20 (संशोधित अनुमान Revised Estimates-RE) में यह राशि 1,74,300 करोड़ रुपये थी.

 • कुल बजटीय खर्च के अनुपात के रूप में पेंशन पर बजटीय आवंटन 2019-20 (B.E.) में 6.3 प्रतिशत था, जोकि 2020-21 (B.E.) में बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गया. 

 • उर्वरक सब्सिडी के लिए वर्ष 2019-20 (R.E.) में आंवटित 79,998 करोड़ रुपये को घटाकर इस वर्ष 2020-21 (B.E.) में 71,309 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 2019-20 (B.E.) में उर्वरक सब्सिडी पर बजटीय आवंटन 79,996 करोड़ रुपये था.

 • 2020-21 में खाद्य सब्सिडी के लिए 1,15,570 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जोकि 2019-20 (R.E.) के 1,08,688 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 6.3% अधिक है, लेकिन 2019-20 (B.E.) के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए बजट अनुमान 1,84,220 करोड़ रुपये था.

• कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से खाद्य सब्सिडी पर बजटीय आवंटन 2019-20 (B.E.) में 6.6 प्रतिशत था, जो 2020-21 (B.E.) में घटकर 3.8 प्रतिशत रह गया.

• कृषि और संबंधित गतिविधियों पर खर्च को 2019-20 (R.E.) में 1,20,835 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 2020-21 (B.E.) में बजट अनुमान 1,54,775 करोड़ कर दिया गया है. कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए 2019-20 में अनुमानित बजट 1,51,518 करोड़ (B.E.) था.

• कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर 2019-20 (B.E.) में अनुमानित बजट 5.4 प्रतिशत था, जो 2020-21 (B.E.) में घटकर 5.1 प्रतिशत हो गया.

• ग्रामीण विकास पर खर्च के लिए 2019-20 (R.E.) में संशोधित अनुमान 1,43,409 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2020-21 (B.E.) का बजट अनुमान 1,44,817 करोड़ है. ग्रामीण विकास 2019-20 में बजट अनुमान 1,40,762 करोड़ (B.E.) रुपये था.

• कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से ग्रामीण विकास पर 2019-20 (B.E.) में बजट अनुमान 5.1 प्रतिशत था, जो 2020-21 (B.E.) में घटकर 4.8 प्रतिशत रह गया.

• स्वास्थ्य पर खर्च के लिए वर्ष 2019-20 (R.E.) में संशोधित अनुमान 63,830 करोड़ रुपये को बढ़ाकर 2020-21 (बी.ई.) में बजट अनुमान 67,484 करोड़ रुपये कर दिया है. स्वास्थ्य के लिए 2019-20 में बजट अनुमान 64,999 करोड़ (B.E.) रुपये था.

• कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से स्वास्थ्य के लिए 2019-20 (B.E.) में बजट अनुमान का हिस्सा 2.3 प्रतिशत था, जो 2020-21 (B.E.) में मामूली रूप से घटकर 2.2 प्रतिशत हो गया.

• शिक्षा पर खर्च को वर्ष 2019-20 (R.E.) के संशोधित अनुमान 94,854 करोड़ रुपये के मुकाबले वर्ष 2020-21 (B.E.) में बढ़ाकर बजट अनुमान 99,312 करोड़ रुपये किया गया. 2019-20 में शिक्षा के लिए 94,854 करोड़ (B.E.) रुपये बजट अनुमान था.

• कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से 2019-20 (B.E.) में शिक्षा के लिए बजटीय अनुमान 3.4 प्रतिशत था, जो 2020-21 (B.E.) में मामूली कम होकर 3.3 प्रतिशत हो गया.

• समाज कल्याण पर खर्च के लिए 2019-20 (R.E.) के 48,210 करोड़ रुपये की तुलना में 2020-21 में बढ़ाकर 53,876 करोड़ (B.E.) कर दिया है.

 

श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी 2020 को दिए गए यूनियन बजट भाषण 2020-21 को देखने के लिए यहां क्लिक करें.

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 केंद्रीय बजट 2020-21 के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटन (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें)

 

अतिमहत्वपूर्ण योजनाएं

• राष्ट्रीय सामाजिक सहायता प्रोगाम-एनएसएपी (जिसमें वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांगों के लिए पेंशन, राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना और अन्नपूर्णा शामिल हैं) के लिए – वर्ष 2019-20 (B.E.) में 9,200 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 9,197 करोड़ रुपये। 2019-20 (R.E.) में 9,200 करोड़ रुपये. (संशोधित अनुमान)

• महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम – 2019-20 (B.E.) में 60,000 करोड़ रु और 2020-21 (B.E.) में 61,500 करोड़ रुपये। 2019-20 में 71,002 करोड़ (R.E.)

• अनुसूचित जातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 2019-20 (B.E.) में 5,445 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 6,242 करोड़ रुपये। 2019-20 में 5,568 करोड़ (R.E.)

• अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम- 2019-20 (B.E.) में 3,810 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 4,191 करोड़ रुपये। 2019-20 में 4,194 करोड़ (R.E.)

• अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम- 2019-20 (B.E.) में 1,590 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 1,820 करोड़ रुपये। 2019-20 में 1,709 करोड़ (R.E.)

• अन्य कमजोर समूहों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम- 2019-20 (B.E.) में 1,818 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 2,210 करोड़ रुपये। 2019-21 में 1,846 करोड़ (R.E.)

 

महत्वपूर्ण योजनाएं

• हरित क्रांति – 2019-20 (B.E.) में 12,561 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 13,320 करोड़ रुपये। 2019-20 में 9,965 करोड़ (R.E.)

• श्वेत क्रांति – 2019-20 (B.E.) में 2,240 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 1,805 करोड़ रुपये। 2019-20 में 1,799 करोड़ (R.E.)

• नीली क्रांति – 2019-20 (B.E.) में 560 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 570 करोड़ रुपये। 2019-20 में 455 करोड़ (R.E.)

• प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना – 2019-20 (B.E.) में 9,682 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 11,127 करोड़ रुपये। 2019-20 में 7,896 करोड़ (R.E.)

• प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना – 2019-20 (B.E.) में 19,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 19,500 करोड़ रुपये। 2019-20 में 14,070 करोड़ (R.E.)

• प्रधानमंत्री आवास योजना – 2019-20 (B.E.) में 25,853 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 27,500 करोड़ रुपये। 2019-20 में 25,328 करोड़ (R.E.)

• राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन का पुनर्गठन और जल जीवन मिशन (JJM) – 2019-20 (B.E.) में 10,001 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 11,500 करोड़ रुपये। 2019-20 में 10,001 करोड़ (R.E.)

• स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-शहरी) – 2019-20 (B.E.) में 2,650 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 2,300 करोड़ रुपये। 2019-20 में 1,300 करोड़ (R.E.)

• स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-ग्रामीण) – 2019-20 (B.E.) में 9,994 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 9,994 करोड़ रुपये। 2019-20 में 8,338 करोड़ (R.E.)

• राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) – 2019-20 (B.E.) में 33,651 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 34,115 करोड़ रुपये। 2019-20 में 34,290 करोड़ (R.E.)

• राष्ट्रीय शिक्षा मिशन – 2019-20 (B.E.) में 38,547 करोड़ और 2020-21 (B.E.) में 39,161 करोड़ रुपये। 2019-20 में 37,672 करोड़ (R.E.)

• स्कूलों में मिड डे मील का राष्ट्रीय कार्यक्रम – 2019-20 (B.E.) में 11,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 11,000 करोड़ रुपये। 2019-20 में 9,912 करोड़ (R.E.)

• छाता एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) – 2019-20 (B.E.) में 27,584 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 28,557 करोड़ रुपये। 2019-20 में 24,995 करोड़ (R.E.)

• महिलाओं के लिए सुरक्षा और अधिकारिता के लिए मिशन– 2019-20 (B.E.) में 1,330 करोड़ रुपये और 2020-21(B.E.) में 1,163 करोड़ रुपये। 2019-20 में 961 करोड़ (R.E.)

• राष्ट्रीय आजीविका मिशन – अजीविका – 2019-20 (B.E.) में 9774 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 10,005 करोड़ रुपये। 2019-20 में 9,774 करोड़ (R.E.)

• नौकरी और कौशल विकास – 2019-20 (B.E.) में 7,260 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 5,372 करोड़ रुपये। 2019-20 में 5,749 करोड़ (R.E.)

• पर्यावरण, वानिकी और वन्यजीव – 2019-20 (B.E.) में 886 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 926 करोड़ रुपये। 2019-20 में 787 करोड़ (R.E.)

• शहरी कायाकल्प मिशन: AMRUT-कायाकल्प और शहरी परिवर्तन और स्मार्ट सिटीज मिशन के लिए अटल मिशन – 2019-20 (B.E.) में 13,750 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 13,750 करोड़ रुपये। 2019-20 में 9,872 करोड़ (R.E.)

• पुलिस बलों का आधुनिकीकरण – 2019-20 (B.E.) में 3,462 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 3,162 करोड़ रुपये। 2019-20 में 4,155 करोड़ (R.E.)

• न्यायपालिका के लिए अवसंरचना सुविधाएं – 2019-20 (B.E) में 720 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 762 करोड़ रुपये। 2019-20 में 990 करोड़ (R.E.)

• सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम – 2019-20 (B.E.) में 825 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 784 करोड़ रुपये। 2019-20 में 825 करोड़ (R.E.)

• श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन – 2019-20 (B.E) में 800 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 600 करोड़ रुपये। 2019-20 में 300 करोड़ (R.E.)

• राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) – 2019-20 (B.E.) में 822 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 858 करोड़ रुपये। 2019-20 में 465 करोड़ (R.E.)

• पीएमजेएवाई-आयुष्मान भारत – 2019-20 (B.E.) में 6,556 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 6,429 करोड़ रुपये। 2019-20 में 3,314 करोड़ (R.E.)

 

कुछ महत्वपूर्ण केन्द्रीय योजनाएं (देखने के लिए यहां क्लिक करें.)

• फसल बीमा योजना – 2019-20 (B.E.) में 14,000 करोड़ रु। 2020-21 (B.E.) में 15,695 करोड़; रुपये। 2019-20 में 13,641 करोड़ (R.E.)

• किसानों को अल्पकालिक ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी – 2019-20 (B.E.) में 18,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 21,175 करोड़ रुपये। 2019-20 में 17,863 करोड़ (R.E.)

• बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना (MIS-PSS) – 2019-20 (B.E.) में 3,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 2,000 करोड़ रुपये। 2019-20 में 2,010 करोड़ (R.E.)

• कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों को दलहन का वितरण – 2019-20 (B.E) में 800 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 800 करोड़ रुपये। 2019-20 में 370 करोड़ (R.E.)

• प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि / आय सहायता योजना (PM-KISAN) – 2019-20 (B.E.) में 75,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 75,000 करोड़ रुपये। 2019-20 में 54,370 करोड़ (R.E.)

• गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन – 2019-20 (B.E.) में 2,724 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 1,118 करोड़ रुपये। 2019-20 में 3,724 करोड़ (R.E.)

• मूल्य स्थिरीकरण कोष – 2019-20 (B.E.) में 2,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 2,000 करोड़ रुपये। 2019-20 में 1,820 करोड़ (R.E.)

• फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना – 2019-20 (B.E.) में 600 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 600 करोड़ रुपये। 2019-20 में 594 करोड़ (R.E.)

• प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना – 2019-20 (B.E.) में 1,101 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 1,081 करोड़ रुपये। 2019-20 (R.E.) में 889 करोड़

• प्रधानमंत्रीस्वास्थ्य सुरक्षा योजना – 2019-20 (B.E.) में 4,000 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 6,020 करोड़ रुपये। 2019-20 में 4,733 करोड़ (R.E.)

• परिवार कल्याण योजना – 2019-20 (B.E.) में 700 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 600 करोड़ रुपये। 2019-20 में 514 करोड़ (R.E.)

• पुलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर – 2019-20 (B.E.) में 4,757 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 4,135 करोड़ रुपये। 2019-20 में 4,479 करोड़ (R.E.)

• प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) – 2019-20 (B.E.) में 2,327 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 2,500 करोड़ रुपये। 2019-20 में 2,464 करोड़ (R.E.)

• दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना – 2019-20 (B.E.) में 4,066 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 4,500 करोड़ रुपये। 2019-20 में 4,066 करोड़ (R.E.)

• संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS) – 2019-20 (B.E.) में 700 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 762 करोड़ रुपये। 2019-20 में 494 करोड़ (R.E.)

• महिलाओं की सुरक्षा के लिए योजनाएं – 2019-20 (B.E.) में 50 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 855 करोड़ रुपये। 2019-20 में 50 करोड़ (R.E.)

• कौशल विकास और आजीविका – 2019-20 (B.E.) में 557 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 602 करोड़ रुपये। 2019-20 में 582 करोड़ (R.E.)

• किसान उर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (कुसुम) – 2020-21 में 700 करोड़ रुपये (B.E.)

• एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) – 2020-21 (B.E.) में 1,313 करोड़ रुपये। 2019-20 में 16 करोड़ (R.E.)

• प्रधानमंत्री मुद्रा योजना – 2019-20 (B.E.) में 500 करोड़ रुपये और 2020-21 (B.E.) में 500 करोड़; रुपये। 2019-20 में 500 करोड़ (R.E.)

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मुख्य बजटीय खर्च जानने के लिए [inside]  केंद्रीय बजट 2019-20 [/inside]  के अनुसार (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें):

• पेंशन पर खर्च वर्ष 2018-19 (संशोधित अनुमान Revised Estimates-RE) में 1,66,618 करोड़ रुपये था, जिसमें बढ़ोतरी कर वर्ष 2019-20 (बजट अनुमान Budget Estimates-BE) में 1,74,300 करोड़ रुपये पेंशन पर बजटीय आवंटन किया गया है. 

• उर्वरक सब्सिडी के लिए वर्ष 1 फरवरी 2019 को पेश किए गए अंतरिम केंद्रीय बजट 2018-19 (बजट अनुमान) में 70,080 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. 5 जुलाई, 2019 को पेश किए गए अंतिम केंद्रीय बजट 2019-20 में 70,090 करोड़ (B.E.) आंवटित किए गए हैं. जोकि पिछले साल 2018-19 में आवंटित 70,080 करोड़ (B.E.) रुपए के लगभग ही है.  

• उर्वरक सब्सिडी के लिए वर्ष 2019-20 में बजटीय आवंटन 79,996 करोड़ (बजट अनुमान) रुपये है.

• खाद्य सब्सिडी के लिए वर्ष 2019-20 (B.E.) में 1,84,220  करोड़ रुपए का आबंटन किया गया जोकि 2018-19 (R.E.) के 1,71,298 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में अधिक है. 2018-19 (B.E.) के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए बजट अनुमान 1,69,323 करोड़ रुपये था.

• 2018-19 (B.E.) में कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से खाद्य सब्सिडी पर बजटीय आवंटन 6.9% था, जो 2019-20 (B.E.) में थोड़ा कम होकर 6.6 प्रतिशत रह गया.

• कृषि और संबंधित गतिविधियों पर खर्च को 2018-19 (R.E.) में 86,602 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 2019-20 (B.E.) में बजट अनुमान 1,51,518 करोड़ कर दिया गया है. कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए 2018-19 में अनुमानित बजट 63,836 करोड़ (B.E.) था.

• कुल बजटीय व्यय के अनुपातके हिसाब से कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर बजटीय आवंटन2018-19 (B.E.) में 2.6 प्रतिशत था, जो 2019-20 (B.E.) में 5.4 प्रतिशत हो गया है.

• ग्रामीण विकास पर खर्च के लिए 2018-19 (R.E.) में संशोधित अनुमान 1,35,109 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2019-20 (B.E.) का बजट अनुमान 1,40,762 करोड़ रुपए है. ग्रामीण विकास 2018-19 में बजट अनुमान 1,38,097 करोड़ (B.E.) रुपये था.

• कुल बजटीय खर्च के अनुपात के हिसाब से ग्रामीण विकास पर बजटीय आवंटन 2018-19 (बी.ई.) में 5.7 प्रतिशत था, जो 2019-20 (बी.ई.) में घटकर 5.1 प्रतिशत रह गया.

• स्वास्थ्य पर खर्च के लिए वर्ष 2018-19 (R.E.) में संशोधित अनुमान 55,949 करोड़ रुपये को बढ़ाकर 2019-20 (बी.ई.) में बजट अनुमान 64,999 करोड़ रुपये कर दिया है. स्वास्थ्य के लिए 2019-20 में बजट अनुमान 54,668  करोड़ (B.E.) रुपये था.

• 2018-19 (B.E) में कुल बजटीय व्यय के अनुपात के हिसाब से स्वास्थ्य पर बजटीय आवंटन 2.2 प्रतिशत था, जो कि 2019-20 (B.E.) में मामूली रूप से बढ़कर 2.3 प्रतिशत हो गया.

 

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मुख्य बजटीय खर्च जानने के लिए [inside] केंद्रीय बजट 2018-19 [/inside] के अनुसार (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें):

• पेंशन पर खर्च वर्ष 2017-18 (संशोधित अनुमान Revised Estimates-RE) में 1,47,387 करोड़ रुपये था, जिसमें बढ़ोतरी कर वर्ष 2018-19 (बजट अनुमान Budget Estimates-BE) में 1,68,466 करोड़ रुपये पेंशन पर बजटीय आवंटन किया गया है. 

• उर्वरक सब्सिडी के लिए वर्ष 2017-18 (R.E.) में आंवटित 64,974 करोड़ रुपये को बढ़ाकर वर्ष 2018-19 (B.E.) में 70,080 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 

• खाद्य सब्सिडी के लिए 2017-18 में आवंटित 1,40,282 करोड़ रुपए को बढ़ाकर 2018-19 में 1,69,323 करोड़ (B.E.) कर दिया गया है.

• पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए 2017-18 में आवंटित 24,460 करोड़ रुपये (R.E.) को मामूली सा बढ़ाकर 2018-19 में 24,933 करोड़ (B.E.) रुपए कर दिया गया है.

• कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर व्यय के लिए 2017-18 में आवंटित 56,589 करोड़ रुपये (R.E.) को साल 2018-19 में बढ़ाकर 63,836 करोड़ (B.E.) रुपये कर दिया गया है.

• शिक्षा पर खर्च के लिए 2017-18 में आंवटित 81,869 करोड़ रुपये (R.E.) को 2018-19 में बढ़ाकर 85,010 करोड़ (B.E.) रुपये कर दिया गया है.

• ग्रामीण विकास पर खर्च के लिए वर्ष 2017-18 में आवंटित 1,35,604 करोड़ रुपये (R.E.) को 2018-19 में 1,38,097 करोड़ (B.E.) कर दिया गया है.

• समाज कल्याण पर खर्च के लिए 2017-18 में आवंटित 38,624 करोड़ रुपये (R.E.) को 2018-19 में बढ़ाकर 44,220 करोड़ (B.E.) कर दिया गया है. 

Please click here to access Union Budget Speech 2018-19, which was delivered by Shri Arun Jaitley, on 1st February, 2018

Please click here to access 'Know Your Budget' (published in 2018)

Please click here to access the Union Budget Primer, which has been prepared by Avinash Celestine for PRS Legislative Research, February, 2008.

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[inside] केंद्रीय बजट 2017-18 [/inside]  के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटन (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें)

 (क) अति महत्वपूर्ण योजनाएं

• राष्ट्रीय सामाजिक सहायता प्रोगाम – 9,500 करोड़ रुपये (B.E.)

• महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम – 48,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• अनुसूचित जातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 5,114 करोड़ रुपये (B.E.)

• अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 3,490 करोड़ रुपये (B.E.)

• अल्पसंख्यकों केविकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 4,072 करोड़ रुपये (B.E.)

• अन्य कमजोर समूहों के विकास के लिए अम्ब्रेला स्कीम – 1,580 करोड़ रुपये (B.E.)

 (ख) महत्वपूर्ण योजनाएं

• हरित क्रांति – 13,741 करोड़ रुपये (B.E.)

• श्वेत क्रांति – 1,634 करोड़ रुपये (B.E.)

• नीली क्रांति – 401 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना – 7,377 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना – 19,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री आवास योजना – 29,043 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) – 23,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) – 6,043 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन – 6,050 करोड़ रुपये (B.E.)

• स्वच्छ भारत मिशन (SBM) –  16,248 करोड़ रुपये (B.E.)

• स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) –  13,948 करोड़ रुपये (B.E.)

• स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) –  2,300 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) –  27,131 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन – 21,189 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन – 752 करोड़ रुपये (B.E.)

• तृतीयक देखभाल कार्यक्रम – 725 करोड़ रुपये (B.E.)

• स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन –  4,025 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय आयुष मिशन – 441 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (तत्कालीन आरएसएसवाई) – 1,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय शिक्षा मिशन –  29,556 करोड़ रुपये (B.E.)

• सर्व शिक्षा अभियान –  23,500 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय मध्यम शिक्षा अभियान –  3,830 करोड़ रुपये (B.E.)

• शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा –  926 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय अभियान शिक्षा अभियान –  1,300 करोड़ रुपये (B.E.)

• स्कूलों में मिड डे मील का राष्ट्रीय कार्यक्रम –  10,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• एकीकृत बाल विकास सेवा –  20,755 करोड़ रुपये (B.E.)

• आंगनवाड़ी सेवाएं –  15,245 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय पोषण मिशन –  1,500 करोड़ रुपये (B.E.)

• मातृत्व लाभ कार्यक्रम –  2,700 करोड़ रुपये (B.E.)

• किशोर लड़कियों के लिए योजना –  460 करोड़ रुपये (B.E.)

• बाल संरक्षण योजना और देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता में कामकाजी बच्चों के कल्याण के लिए योजना –  650 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय क्रेच योजना –  200 करोड़ रुपये (B.E.)

• महिलाओं के लिए सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए मिशन –  1,089 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय आजीविका मिशन – अजीविका –  4,849 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन –  4,500 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन –  349 करोड़ रुपये (B.E.)

• नौकरी और कौशल विकास –  4,089 करोड़ रुपये (B.E.)

• पर्यावरण, वानिकी और वन्यजीव –  962 करोड़ रुपये (B.E.)

• शहरी कायाकल्प मिशन: AMRUT – कायाकल्प और शहरी परिवर्तन और स्मार्ट सिटीज मिशन के लिए अटल मिशन –  9,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• पुलिस बलों का आधुनिकीकरण –  2,022 करोड़ रुपये (B.E.)

• न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाएं –  629 करोड़ रुपये (B.E.)

• सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम –  1,100 करोड़ रुपये (B.E.)

• श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन –  1,000 करोड़ रुपये (B.E.)

कुछ प्रमुख केंद्रीय क्षेत्रों की योजनाएँ

• किसानों को अल्पकालिक ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी –  15,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• नमामि गंगे-राष्ट्रीय गंगा योजना –  2,250 करोड़ रुपये (B.E.)

• गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन –  2,500 करोड़ रुपये (B.E.)

• फसल बीमा योजना –  9,000 करोड़ रुपये (B.E.)

• मूल्यस्थिरीकरण कोष –  3,500 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री मुद्रा योजना औरअन्य क्रेडिट गारंटी फंड –  1,040 करोड़ रुपये (B.E.)

• परिवार कल्याण योजनाएं –  755 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना –  3,975 करोड़ रुपये (B.E.)

• राष्ट्रीय साधन सह मेरिट छात्रवृत्ति योजना –  282 करोड़ रुपये (B.E.)

• माध्यमिक शिक्षा के लिए बालिकाओं के प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय योजना –  320 करोड़ रुपये (B.E.)

• अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप और छात्रवृत्ति –  120 करोड़ रुपये (B.E.)

• अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप –  230 करोड़ रुपये (B.E.)

• क्रेडिट सपोर्ट प्रोग्राम –  3,002 करोड़ रुपये (B.E.)

• प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) –  1,024 करोड़ रुपये (B.E.)

• दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना –  4,814 करोड़ रुपये (B.E.)

• संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS) –  2,013 करोड़ रुपये (B.E.)

केंद्रीय बजट 2017-18 के मुख्य अंशों तक पहुँचने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.
 

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[inside] केंद्रीय बजट 2016-17 [/inside] के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटन (उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें)

• महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना –  38,500 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम –  9,500 करोड़ रुपये (BE)

• सभी मंत्रालयों में जनजातीय उप-योजना के तहत योजनाएं –  24,005 करोड़ रुपये (BE)

• सभी मंत्रालयों में अनुसूचित जाति उप-योजना के तहत योजनाएं –  38,833 करोड़ (बीई)

• उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए आवंटन – सभी मंत्रालयों में –  33,097 करोड़ रुपये (BE)

• अल्पसंख्यकों के विकास के लिए एम्ब्रेला स्कीम –  1,245 करोड़ रुपये (BE)

• हरित क्रांति –  12,980 करोड़ रुपये (BE)

• श्वेत क्रांति –  1,273 करोड़ (बीई)

• नीली क्रांति –  575 करोड़ रुपये (BE)

• प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (पीएमकेएसवाई) –  5717 करोड़ रुपये (BE)

• प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना –  19,000 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम –  5,000 करोड़ रुपये (BE)

• स्वच्छ भारत अभियान (SBA) –  11,300 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) –  20,037 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (आरएसएसवाई) –  1,500 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय शिक्षा मिशन (एनईएम) –  28,010 करोड़ रुपये (BE)

• सर्व शिक्षा अभियान (एनईएम के तहत) –  22,500 करोड़ रुपये (BE)

• स्कूलों में मध्याह्न भोजन का राष्ट्रीय कार्यक्रम –  9,700 करोड़ रुपये (BE)

• एकीकृत बाल विकास योजना (छाता ICDS) –  16,120 करोड़ रुपये (BE)

• प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) –  20075 करोड़ रुपये (BE)

• शहरी कायाकल्प मिशन (AMRUT और 100 स्मार्ट शहरों के विकास के लिए मिशन) –  7,296 करोड़ (बीई)

• मेक इन इंडिया: निवेश प्रोत्साहन और संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना के लिए योजना –  1,804 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय औद्योगिक कोरिडार –  1,448 करोड़ (बीई)

• डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और ई-लर्निंग, ई-पंचायत, भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण –  2,059 करोड़ रुपये (BE)

• उत्तर पूर्वी क्षेत्र और सिक्किम के लिए संसाधनों का केंद्रीय पूल –  900 करोड़ रुपये (BE)

• उत्तर पूर्वी परिषद की योजनाएं –  795 करोड़ (बीई)

• राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष –  4,000 करोड़ रुपये (BE)

• प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मुद्रा और क्रेडिट गारंटी फंड में इक्विटी कैपिटल –  2,400 करोड़ रुपये (BE)

• स्टार्ट अप और स्टैंड अप –  1,100 करोड़ रुपये (BE)

• रोजगार सृजन के लिए योजनाएं –  1,155 करोड़ रुपये (BE)

• गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन के लिए योजना –  2,000 करोड़ रुपये(BE)

• दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और एकीकृत बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) –  8,500 करोड़ रुपये (BE)

• सागरमाला –  450 करोड़ रुपये (BE)

• प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना –  1,771 करोड़ रुपये (BE)

• मेट्रो परियोजनाएँ –  10,000 करोड़ रुपये (BE)

• नमामि गंगे- राष्ट्रीय गंगा योजना –  2,250 करोड़ रुपये (BE)

• राष्ट्रीय युवा सशक्तीकरण कार्यकर्म –  397 करोड़ रुपये (BE)

• खेलो भारत –  216 करोड़ रुपये (BE)

• सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण –  25,000 करोड़ रुपये (BE)
 
कृपया केंद्रीय बजट 2016-17 के तहत महत्वपूर्ण मंत्रालयों, क्षेत्रों और कमजोर वर्गों के आवंटन के लिए नीचे दी गई तालिका देखें

Table Union Budget 2016-17

29 फरवरी, 2016 को अरुण जेटली द्वारा दिया गया केंद्रीय बजट भाषण 2016-17 के अनुसार (कृपया यहाँ क्लिक करें):

  • बजट 2017-18 के लिए कुल व्यय 21.47 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। 
  • वर्ष 2017-18 में राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों को कुल 4.11 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जा रहे हैं, जबकि बजट अनुमान 2016-17 में यह 3.60 लाख करोड़ रुपये था।
  • रक्षा व्यय 2,74,114 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है, इसमें पेंशन शामिल नहीं है।
  • वर्ष 2017-18 में कृषि ऋण के लिए ऐतिहासिक रूप से 10 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है। “प्रति बूंद अधिक फसल” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक तौर पर 5000 करोड़ रुपये की संचित निधि से एक समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही कुल 40,000 करोड़ रुपये की संचित निधि से दीर्घ अवधि सिंचाई कोष भी स्थापित किया जाएगा।
  • किसानों की आय को दोगुना करने में समर्थन करने के लिए पुनःअभिमुख मनरेगा योजना के अंतर्गत, लक्षित पांच लाख तालाबों के विपरीत मार्च 2017 तक करीब 10 लाख तालाबों का निर्माण पूरा किए जाने की उम्मीद है। इससे सूखा से प्रभावित ग्राम पंचायतों को जल की कमी से निजात मिल जाएगी। वर्ष 2016-17 में मनरेगा के अंतर्गत 38,500 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान को वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 48,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए बजट अनुमान 2016-17 में आवंटित 15,000 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाकर बजट 2017-18 में 23,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • महिला एवं बाल कल्याण के लिए बजट अनुमान 2016-17 के 1,56,528 करोड़ रुपये की धनराशि को बढ़ाकर बजट 2017-18 में 1,84,632 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है।
  • अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए किया जाने वाला आवंटन बजट अनुमान 2016-17 में 38,833 करोड़ रुपये था, जिसे बजट 2017-18 में बढ़ाकर 52,393 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है। यह बजट अनुमान 2016-17 की तुलना में करीब 35 फीसदी अधिक है। वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित बजट तो बढ़ाकर 31,920 करोड़ रुपये और अल्पसंख्यकों के लिए 4,195 करोड़ रुपये किया गया है। सरकार इन क्षेत्रों में खर्च की जाने वाली धनराशि की नीति आयोग द्वारा परिणाम आधारित निगरानी की व्यवस्था शुरू करेगी।
  • 2017-18 में बुनियादी अवसंरचना विकास के लिए कुल 3,96,135 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें 2,41,387 करोड़ रुपये रेल, सड़क एवं जहाज़रानी आदि परियोजनाओं पर व्यय किए जाने हैं।
  • सड़क क्षेत्र के लिए बजट 2017-18 में 64,900करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं, जबकि बजट अनुमान 2016-17 में यहधनराशि 57,976 करोड़ रुपये थी।

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28 फरवरी, 2015 को अरुण जेटली द्वारा दिए गए  [inside]  केंद्रीय बजट भाषण 2015-16 [/inside] के अनुसार (डाउनलोड करने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें ) :

केंद्रीय वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने लोकसभा में केंद्रीय बजट 2015-16 प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार मनरेगा के जरिए रोजगार में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी गरीब रोजगार के बगैर न रह जाए। वित्तमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए 34,699 करोड़ रुपये का आरंभिक आवंटन किया गया है। 

मध्यम वर्ग के करदाताओं को रियायतों का तोहफा

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में दिए अपने बजट भाषण में विभिन्न कर रियायतों एवं प्रोत्साहनों को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव किया, ताकि कर विवादों में कमी आ सके और कर प्रशासन बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि बचत को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के मामले में इसे 20,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है।

घरेलू विनिर्माण एवं मेक इन इंडियाको प्रोत्साहन के जरिए रोजगारों का सृजन

बड़ी संख्या में रोजगारों के सृजन हेतु घरेलू विनिर्माण एवं मेक इन इंडियाको प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद में पेश आम बजट 2015-16 में सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में अनेक रियायतों की घोषणा की।

स्वच्छ भारत कोष और स्वच्छ गंगा निधि में अंशदान कर 100 फीसदी कटौती

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा आज पेश आम बजट में स्वच्छ भारत कोष और स्वच्छ गंगा निधि के बारे में एक अहम प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत स्वच्छ भारत कोष (निवासी और अनिवासी दोनों द्वारा) और स्वच्छ गंगा निधि (निवासी द्वारा) में दिए गए दान (कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अनुसार किए गए सीएसआर अंशदान को छोड़कर) आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत 100 फीसदी कटौती के पात्र होंगे।

रोजगार सृजन के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80 जेजेएए में संशोधन का प्रस्ताव

आयकर अधिनियम की धारा 80 जेजेएए के प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव, न्यूनतम 100 मजदूरों की पात्रता को घटाकर 50 मजदूर करने का प्रस्ताव

स्वच्छ भारत कोष की स्थापना

स्वच्छ भारत कोष और स्वच्छ गंगा निधि के महत्व पर विचार करते हुए अधिनियम की धारा 10 (23 ग) में संशोधन का प्रस्ताव है, जिससे स्वच्छ भारत कोष और स्वच्छ गंगा निधि की आय को आयकर से छूट दी जा सके। ये संशोधन 1 अप्रैल 2015 से प्रभावी होंगे।

विश्व सांस्कृतिक धरोहर स्थलों का जीर्णोंद्धार किया जाएगा

निम्नलिखित धरोहर स्थलों पर काम शुरू करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है:

1- पुराने गोवा के गिरिजाघरों और कॉन्वेन्टस

2- हम्पी, कर्नाटक

3- कुम्भलगढ़ और राजस्थानके अन्य किले

4- रानी की वाव, पाटन, गुजरात

5- लेह पैलेस, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर

6. वाराणसी मंदिर शहर, उत्तर प्रदेश

7. जलियांवाला बाग, अमृतसर पंजाब

8. कुतुबशाही मकबरा, हैदराबाद, तेलंगानाश्री जेटली ने 43 देशों के यात्रियों को आगमन पर वीजा देने की सुविधा की सफलता के बाद 150 देशों के यात्रियों को यह सुविधा देने का प्रस्ताव किया है।

क्षेत्र तटस्थ वित्तीय शिकायत निवारण एजेंसी गठित करने के लिए कार्यबल का गठन किया जाएगा

सरकार को भारतीय वित्तीय कोड (आईएफसी) के बारे में बड़ी संख्या में सुझाव प्राप्त हुए हैं जिसकी समीक्षा वर्तमान में न्यायमूर्ति श्री कृष्णा कमेटी द्वारा की जा रही है। वित्त मंत्री ने आशा व्यक्त की आने वाले समय में वे विचार-विमर्श के लिए संसद में आईएफसी पेश कर सकेंगे।

वायदा बाजार आयोग का सेबी में विलय किया जाएगा

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने वस्तु वायदा बाजार के निगमन को मजबूत बनाने और अन्धाधुंध सट्टेबाजी कम करने के लिए वायदा बाजार आयोग को सेबी में विलय करने का प्रस्ताव किया है। वित्त विधेयक-2015 में सरकारी प्रतिभूति अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है।

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के तहत कर्मचारियों को दो विकल्प दिए जाएंगे

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण ने घोषणा की है कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के संदर्भ में कर्मचारियों को दो विकल्प देने की आवश्यकता है। पहला, कर्मचारी या तो ईपीएफ को चुन सकते हैं अथवा नई पेंशन योजना को। दूसरा, निश्चित मासिक आय के नीचे के कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में योगदान वैकल्पिक होना चाहिए और यह मालिकों के योगदान को कम किए बिना या प्रभावित किए बिना होना चाहिए। ईएसआई के बारे में उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को ईएसआई या बीमा निगमन विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) द्वारा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य बीमा उत्पाद में से किसी एक को चुनने का विकल्प होना चाहिए।

वित्त मंत्री ने घोषणा की हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद इस बारे में संशोधित कानून लाया जाएगा।

कारपोरेट टैक्स में कमी होगी और जीएसटी को लागू किया जाएगा

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने कहा है कि कारपोरेट टैक्स दर के अगले 4 वर्षों के दौरान वर्तमान 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रावधान है।

स्वरोजगार और प्रतिभा का उपयोग (सेतु) की स्थापना होगी

सेतु एक औद्योगिकीय-वित्तीय उद्भवन होगा और अन्य स्व-रोजगार के क्रियाकलापों, विशेषकर प्रौद्योगिकी प्रेरित क्षेत्रों में व्यवसाय चलाने के सभी पहलुओं की सहायता करने हेतु सहायता कार्यक्रम होगा। इस प्रयोजन के लिए, नीति आयोग में आरंभिक रूप में 1000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

सरकार की एक्ट ईस्टनीति

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने आज कंबोडिया, म्यांमार, लाओस, और वियतनाम नामक सीएमएलवी देशों मेंविनिर्माण केंद्रों के गठन की घोषणा की। लोकसभा में आम बजट 2015-16 कोप्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार की एक्ट ईस्टनीति दक्षिण-पूर्वी एशिया में सघन आर्थिक और कार्यनीतिक संबंधों को बढ़ाने की दिशा में किया गया प्रयास है।

विदेशी निवेश जुटाने के लिए प्रक्रिया को अधिक सरल बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के विदेशी निवेशों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेशों के बीच के विभेद को दूर

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने विदेशी निवेश जुटाने के लिए, भारतीय कंपनियों हेतु प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाने हेतु, विभिन्न प्रकार के विदेशी निवेशों, खासकर विदेशी पोर्टफोलियों निवेशों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेशों के बीच के विभेद को दूर करने और उनके स्थान पर समिश्र उच्चतम सीमाएं लाए जाने की मांग की है। जो क्षेत्र पहले से ही 100 प्रतिशत स्वचालित मार्ग के अंतर्गत आते हैं, प्रभावित नहीं होंगे।

सोने का मुद्रीकरण

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने सोने के मुद्रीकरण के लिए कई कदमों की घोषणा की है। आज लोकसभा में आम बजट 2015-16 प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विश्व में सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है तथा प्रतिवर्ष 800-1000 टन स्वर्ण का आयात करता है।

विकास को हरित होना चाहिए

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने कहा है कि सरकार विकास प्रक्रिया को जहां तक संभव है, हरी-भरी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आज यहां संसद में आम बजट 2015-16 प्रस्तुत करते हुए श्री जेटली ने कहा है कि अधिकांश पैट्रोलियम उत्पादों पर हमारा वास्तविक कार्बन टैक्सअंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

 

आम बजट 2015-16 का सारांश

मनरेगा के लिए 34,699 करोड़ रुपये का आरंभिक आवंटन

मध्यम वर्ग के करदाताओं को रियायतों का तोहफा

घरेलू विनिर्माण एवं मेक इन इंडियाको प्रोत्साहन के जरिए रोजगारों का सृजन

स्वच्छ भारत कोष और स्वच्छ गंगा निधि में अंशदान पर 100 फीसदी कटौती

केंद्र प्रायोजित 8 योजनाओं को केंद्रीय सहायता से मुक्त किया गया

24 योजनाएं परिवर्तित हिस्सेदारी के साथ चलाई जाएंगी जबकि 31 योजनाओं को सरकार से पूरी सहायता मिलेगी

देशभर में फैले डाक नेटवर्क का उपयोग औपचारिक वित्तीय प्रणाली तक पहुंच बढ़ाने के लिए किया जाएगा

सुकन्या समृद्धि खाता योजना के तहत बालिकाओं के लिए धारा-80सी के तहत कर लाभ

बुनियादी ढांचे में निवेश 70,000 करोड़ रुपये बढ़ापांच नई अल्ट्रा मेगा पावर परियोजनाएं स्थापित होंगी

कुडानकुलम नाभिकीय बिजली स्टेशन की दूसरी इकाई 2015-16 में शुरू होगी

बजट संभाषण में सरकार की प्राथमिकताओं में प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी और अधिकतम आवंटन और वित्तीय समावेषण शामिल

लोगों के विकास के लिए नीलामी के माध्यम से कोयला और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी और अधिकतम आवंटन।

वित्तीय समायोजन

सभी के स्वास्थ्य और स्वच्छता

बालिका और देखभाल और उनकी शिक्षा

युवाओं के लिए रोजगार सृजन

बाधा मुक्त व्यापारिक वातावरण

गरीबों के लिए लाभों की प्राप्ति को और उपयुक्त बनाया जाएगा।

रोजगारों के सृजन के लिए आकर्षक निवेष

रोजगार बाजार का विस्तार और श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करना

किसानों के लिए अधिक आय के सृजन हेतु कृषि उत्पादकता में सुधार

नवीन और नवीकरण ऊर्जा स्रोतों सहित सभी संसाध्नों का उपयोग करते हुए देश को ऊर्जा युक्त बनाना

धरा से अंतरिक्ष तक प्रौद्योगिकी को अपनाना

कौशल भारत कार्यक्रम

सरकार में कुशल और बेहतर कार्य वातावरण

व्यापार के सरलीकरण के लिए रेड टेप से रेड कारपेट तक की नीति

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों को मुख्य धारा में शामिल करना।

राष्ट्र के सम्मान और इसकी संस्कृति को प्रोत्साहन देना।

 

(ए) केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से समर्थित योजनाएं:

1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA)

2. अल्पसंख्यकों के लिए बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (MSDP)

3. अशुद्ध व्यवसाय में लगे लोगों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति

4. एससी, एसटी और ओबीसी के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं (पोस्ट और प्री-मैट्रिक)

5. नागरिक अधिकार अधिनियम, 1955 के संरक्षण और अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के कार्यान्वयन के लिए मशीनरी का समर्थन

6. दिव्यांग व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम

7. अल्पसंख्यकों को शिक्षा प्रदान करने की योजना

8. एसटी बच्चों की शिक्षा के लिए एम्ब्रेला योजना

9. इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना (IGMSY)

10. समेकित बाल संरक्षण योजना (ICPS)

11. राजीव गांधी किशोर लड़कियों के सशक्तीकरण के लिए योजना (RGSEAG) -SABLA

12. राष्ट्रीय पोषण मिशन

13. महिलाओं की सुरक्षा और विकास के लिए योजना

14. संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत प्रोविज़ो (i) के तहत योजनाओं के लिए सहायता

15. जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता

16. सर्व शिक्षा अभियान (शिक्षा उपकर से)

17. मिड डे मील

18. उत्तर पूर्वी परिषद की योजनाएं

19. बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के लिए विशेष पैकेज

20. अन्नपूर्णा सहित राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP)

21. उत्तर पूर्वी क्षेत्र और सिक्किम के लिए संसाधनों के केंद्रीय पूल से अनुदान

22. असंगठित श्रमिक योजना के लिए सामाजिक सुरक्षा

23. शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा सहित शैक्षिक विकास का समर्थन

24. सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम

25. संसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के सदस्य

26. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लिए उपकर का आवंटन

27. केंद्रीय सड़क निधि से सड़कों और पुलों का वित्त पोषण

28. प्रोजेक्ट टाइगर

29. परियोजना हाथी

30. बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त केंद्रीय सहायता (ऋण भाग)

31. अतिरिक्त सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता(अनुदान भाग)

(बी) परिवर्तन साझा पैटर्न के साथ चलाई जाने वाली योजनाएँ:

style="font-size:11pt">1. मवेशी विकास

2. बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन

3. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

4. राष्ट्रीय पशुधन मिशन

5. सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन

6. दुग्ध विकास अभियान

7. पशु चिकित्सा सेवाएं और पशु स्वास्थ्य

8. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम

9. स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण और शहरी)

10. राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम

11. जलीय पर्यावरण प्रणाली (NPCA) के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना

12. राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम

13. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

14. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम)

15. राष्ट्रीय मध्यम शिक्षा अभियान (RMSA)

16. राज्य उच्च शिक्षा के लिए रणनीतिक सहायता – राष्ट्रीय शिक्षा अभियान (रूसा)

17. न्यायपालिका के लिए अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए

18. राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम

19. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम)

20. सभी के लिए ग्रामीण आवास-आवास

21. समेकित बाल विकास सेवा

22. राजीव गांधी खेल अभियान (RGKA) (तत्कालीन पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (PYKKA)

23. पीएमकेएसवाई (वाटरशेड कार्यक्रम और सूक्ष्म सिंचाई सहित)

24. AIBFMP का प्रभाव आकलन अध्ययन

(ग) केंद्र के समर्थन से बदली योजनाएँ:

1. राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना

2. पिछड़े क्षेत्र अनुदान निधि

3. पुलिस बलों का आधुनिकीकरण

4. राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान (RGPSA)

5. निर्यात बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्यों को केंद्रीय सहायता के लिए योजना

6. 6000 मॉडल स्कूल स्थापित करने की योजना

7. खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय मिशन

8. टूरिस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर

 

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10 जुलाई, 2014 को अरुण जेटली द्वारा दिए गए  [inside] केंद्रीय बजट भाषण 2014-15 [/inside]  के अनुसार (डाउनलोड करने के लिए कृपया यहां क्लिक करें):

बजट का अनुमान

•  12,19,892 करोड़ रुपए का गैर-योजना व्यय के साथ-साथ सशस्त्र बलों के लिए उर्वरक सब्सिडी और पूंजीगत व्यय के लिए अतिरिक्त प्रावधान।

•  5,75,000 करोड़ रुपये योजना व्यय – वर्ष 2013-14 की वास्तविक दर में 26.9 फीसदी की वृद्धि।

• कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा, ग्रामीण सड़क और राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना के क्षेत्र में क्षमता निर्माण, रेलवे नेटवर्क में विस्तार, स्वच्छ ऊर्जा पहल, जल संसाधन और नदी संरक्षण योजनाओं के विकास आदि की दिशा में लक्षित योजना।

• 17,94,892 करोड़ रुपये के कुल खर्च का अनुमान है।

•  सकल कर प्राप्तियों का अनुमान 13,64,524 करोड़ है।

• 9,77,258 करोड़ रुपए का कुल केन्द्रीय अनुमान है।

•  सकल घरेलू उत्पाद के 4.1% के राजकोषीय घाटे और 2.9% के राजस्व घाटे का अनुमान है।

•  पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बनाई गई योजना के लिए आवंटन को अलग से दिखाने के लिए नया विवरण।

•  पूर्वोत्तर क्षेत्र को 53,706 करोड़ रुपये का आवंटन।

 

आर्थिक पहल

• "सौ स्मार्ट शहरों के विकास की परियोजना के लिए चालू राजकोषमें रू 7060 करोड़ की राशि मुहैया कराई जाएगी।

• सुनिश्चित सिंचाई हेतु "प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना" के लिए रू 1000 करोड़ दिए गए हैं।

•  ग्रामीण क्षेत्रों में एकीकृत परियोजना आधारित अवसंरचना हेतु श्यामा प्रसाद मुख़र्जी नगरीय मिशन।

•  ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बढाने हेतु फीडर अलग करने के लिए "दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना" के लिए रू 500 करोड़।

•  प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए रू 14,389 करोड़ दिए गए हैं।

•  मनरेगा के अंतर्गत अधिक उत्पादक, आस्ति सृजन और कृषि सम्बद्ध क्रियाकलापों के लिए दिहाड़ी रोज़गार दिया जाएगा।

•  आजीविका के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों के लिए 4% पर बैंक ऋण के प्रावधान को अन्य 100 जिलों तक बढाया गया।

• ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम आरम्भ करने के लिए आरम्भ में रू 100 करोड़ दिए जायेंगे ताकि ग्रामीण युवकों को स्थानीय उद्यमिता कार्यक्रम शुरू करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके।

• राष्ट्रीय आवास बैंक का आवंटन ग्रामीण आवास सहायता हेतु रू 8000 करोड़ बढाया गया।

•  आरंभिक 2142 करोड़ के परिव्यय के भीतर देश में जल संभरण विकास को गति देने के लिए नये कार्यक्रम "नीरांचल" की शुरुआत।

• अंतर जिला असमानता के समाधान हेतु पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि का पुनर्गठन।

•  अनुसूचित जाति योजना के अंतर्गत 50,548 करोड़ तथा जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत 32,387 करोड़ देने का प्रस्ताव है।

•  जनजाति के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये के आरंभिक आवंटन के साथ "वन बंधू कल्याण योजना" शुरू की गई।

•  60 वर्ष और इससे अधिक आयु वाले नागरिकों के लाभ के लिए 15 अगस्त, 2014 से 14 अगस्त, 2015 तक सीमित अवधि के लिए वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना फिर से शुरू की जाएगी।

•  एक समिति जांच करेगी और सिफारिश करेगी कि पीपीएफ, डाकघर, बचत योजनाओं की दावा न की जाने वाली राशि का उपयोग वरिष्ठ नागरिकों के वित्तीय हितों को सुरक्षित रखने और बढ़ाने में किया जा सके।

•  सरकार ने ईपी योजनाओं के सभी सदस्यों को न्यूनतम पेंशन के रूप में 1000 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की है, इसके लिए आरंभिक प्रावधान 250 करोड़ रुपये का है।

• अंशदान की अनिवार्य नेज सीमा बढाकर रू 15,000 की गई है। इसके लिए चालू बजट में 250 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

• ईपीएफओ सभी अंशदायी संदायों की सेवा के लिए "समरूप खाता संख्या" जारी करेगा।

• यूनिवर्सल डिजाइन, मानसिक स्वास्थ्य, पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों और निशक्तता खेलों के लिए केंद्र स्थापित किया जाएगा।

•  15 नई ब्रेल प्रेस की स्थापना तथा 10 मौजूदा ब्रेल प्रेस में आधुनिकीकरण के लिए राज्य सरकारों को सहायता।

•  सरकार दृष्टि बधित व्यक्तियों के लिए ब्रेल लिपि में चिह्नांकित मुद्रा नोट छापेगी।

• "सार्वजनिक सड़क परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा" हेतु रू 500 करोड़ के परिव्यय से एक प्रायोजिक परिक्षण योजना।

• बड़े नगरों में महिलाओं की सुरक्षा बढानेकी योजना के लिए 150 करोड़ की राशि।

• राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सभीजिलों में इस वर्ष सरकारी तथा निजी अस्पताल तथा "रक्त प्रबंधन केंद्र"।

•  महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाओं की दक्षता व उनके सुधार के लिए जागरूकता बढाने व सहायता हेतु "बेटी बचाओ- बेटी पढाओ" योजना हेतु 100 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई है।

• स्कूलों के पाठ्यक्रम में लैंगिक मुख्य धारा पर एक अलग अध्याय।

•  आर्सेनिक, फ्लोराइड, भारी विषैले पदार्थों, कीटनाशकों/ उर्वरकों से प्रभावित 20,000 घरों को अगले तीन वर्षों में सामुदायिक जल सफाई सयंत्रों द्वारा साफ़ और सुरक्षित पेयजल मुहैया कराया जाएगा।

•  प्रत्येक घर को 2019 तक स्वच्छता सुविधा उपलब्ध कराने के लिए "स्वच्छ भारत अभियान"।

•  "सबके लिए स्वास्थ्य" का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निःशुल्क दवा सुविधा तथा निःशुल्क निदान सेवा।

•  भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली और मद्रास मेडिकल कॉलेज, चेन्नई में आयुर्वेद सम्बन्धी दो राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किये जाएँगे।

•   दन्त चिकित्सा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर का अनुसंधान और रेफरल संस्थान स्थापित किया जाएगा।

•  आन्ध्र प्रदेश, प. बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में एम्स जैसे संस्थान की स्थापना के लिए 500 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

• 12 नये सरकारी चिकित्सा संस्थानों की स्थापना।

•  नई ड्रग परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना एवं राज्य दावा विनियामक और खाद्य विनियामक प्रणाली का सुदृढ़ीकरण होगा और 31 मौजूदा प्रयोगशालाओं को भी सुदृढ़ किया जाएगा।

  • ग्रामीणों की देखभाल के लिए स्थानीय स्वास्थ्य मामलों पर शोध व अनुसंधान के लिए 15 ग्रामीण स्वास्थय अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना।
  • छ: महीनों के भीतर भारत में कुपोषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जाएगा।
  • पहले चरण में सभी बालिका विद्यालयों में शौचालय और पेयजल की सुविधा मुहैया कराई जाएगी, इसमें सर्वशिक्षा अभियान(एसएसए) के लिए रू 28635 करोड़ तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के लिए 4966 करोड़ की राशि प्रदान की जा रही है।
  • 30 करोड़ की आरंभिक लागत से स्कूल आकलन कार्यक्रम आरम्भ किया जाएगा।
  • नए प्रशिक्षण उपकरण लगाने और अध्यापकों के प्रोत्साहन हेतु "पंडित मदनमोहन मालवीय नए अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम" हेतु 500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं।
  • ज्ञान बढाने और ऑनलाइन पाठ्यक्रम हेतु संचार से जुडी प्रणाली के रूप में वास्तविक कक्षाओं की स्थापना हेतु 100 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं।
  • मध्य प्रदेश में जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय मानविकी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाएगा।
  • जम्मू, छत्तीसगढ़, गोवा, आन्ध्र प्रदेश और केरल में 5 और आईआईटी की स्थापना हेतु 500 करोड़ दिये गए हैं।
  • हिमाचल प्रदेश, पंजाब, बिहार, उड़ीसा और राजस्थान में 5 आईआईएम।
  • उच्च अध्ययन हेतु शिक्षा सम्बन्धी ऋण के लिए मानदंडो का सरलीकरण।
  • सरकार रू 100 करोड़ की आरंभिक राशि से असम और झारखण्ड में दो अन्य उत्कृष्ट कृषि अनुसंधान संस्थान स्थापित करेगी।
  • "एग्री टेक अवसंरचना निधि" हेतु 100 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है।
  • आंध्रप्रदेश और राजस्थान में कृषि विश्वविद्यालय और तेलंगाना वहरियाणा में बागवानी विश्वविद्यालय के लिए 200 करोड़ की राशि निर्धारित की गई है।
  • प्रत्येक किसान को मिशन मोड में मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने की योजना है। इस योजना हेतु 100 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं और देश भर में 100 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने हेतु अतिरिक्त 56 करोड़ उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए 100 करोड़ की राशि से "राष्ट्रीय अनुकूलन निधि" बनाई जाएगी।
  • कृषि में 4% की वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • "प्रोटीन क्रांति" सहित उच्च उत्पादकता पर ध्यान देते हुए प्रौद्योगिकी आधारित दूसरी हरित क्रांति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • कृषि उत्पादों में मूल्य अस्थिरता के जोखिम को कम करने के लिए "मूल्य स्थिरीकरण निधि" बनाने हेतु 500 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई है।
  • केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर उनके एपीएमसी अधिनियमों को पुनःउन्मुख करने के लिए काम करेगी।
  • स्वदेशी पशुओं की नस्लों के विकास और अंतर्देशीय मत्स्यपालन में मत्स्य क्रांति शुरू करने के लिए के लिए 50-50 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
  • भण्डागार क्षेत्र को मज़बूत करने और किसानों को फसल कटाई के पश्चात ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा में सुधार लाने के लिए परिवर्तन योजना।
  • अल्पसंख्यकों के विकास के लिए पुश्तैनी कला में कौशल और प्रशिक्षण के उन्नयन हेतु "कला, संसाधन और सामग्रियों में पारंपरिक कौशल का उन्नयन" कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
  • मदरसों के आधुनिकीकरण हेतु रू 100 करोड़ की अतिरिक्त राशि।
  • केंद्रीय सरकार के विभागों और मंत्रालयों को प्राथमिकता के आधार पर इस वर्ष 31 दिसम्बर तक अपनी सेवाओं को ई-बिज-एकल विंडो आईटी प्लेटफार्म के साथ जोड़ना।
  • राष्ट्रीय औद्योगिक प्राधिकरण की स्थापना के लिए 100 करोड़ उपलब्ध कराये गए हैं।
  • अमृतसर कोलकाता औद्योगिक मास्टर योजना को शीघ्र पूर्ण करना।
  • चेन्नई-बेंगलुरु ओद्योगिक क्षेत्र में 3 नए स्मार्ट शहरों की मास्टर योजना, तमिलनाडु में पोन्नेरी, आन्ध्रप्रदेश में कृष्णापट्टनम और कर्नाटक में तुमकुर को पूरा किया जाना।
  • 20 नए औद्योगिक क्लस्टरों के लिए प्रावधान के साथ-साथ बेंगलुरु- मुंबई आर्थिक कॉरिडोर (बीएमईसी) और विजाग-चेन्नई कॉरिडोर हेतु संभावित योजना को पूरा किया जाना।
  • विनिर्माण और शहरीकरण में वृद्धि हेतु परिवहन संयोजकता से जुड़े स्मार्ट शहरों पर बल देते हुए औद्योगिक कॉरिडोर के विकास में तेज़ी लाई जाएगी।
  • सभी हितधारकों को एक सीमा के अंतर्गत लाने के लिए एक निर्यात संवर्धन मिशन स्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • प्रशिशुता अधिनियम को उपयुक्त ढंग से संशोधित किया जाएगा ताकि उद्योग और युवाओं को और उत्तरदायी बनाया जा सके।
  • "एक रैंक एक पेंशन" के लिए जरूरत को पूरा करने हेतु 1000 करोड़ की अतिरिक्त राशि।
  • रक्षा के लिए पूंजीगत व्यय 5000 करोड़ बढ़ा दिया गया है जिसमें सीमा क्षेत्रों में रेलवे प्रणाली के विकास को गति प्रदान करने के लिए 1000 करोड़ की राशि शामिल है।
  • अधिप्राप्तिप्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए तत्काल कदम उठाये जाएंगे ताकि इसे तेज और अधिक दक्षबनाया जा सके।
  • प्रिंसेस पार्क में युद्ध स्मारक के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं जिसे युद्ध संग्रहालय द्वारा संपूरित किया जाएगा।
  • रक्षा के लिए प्रौद्योगिकी विकास निधि स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं।
  • राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए चालू वित्त वर्ष में 3000 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं।
  • वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिलों के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता हेतु पर्याप्त आवंटन।
  • सीमावर्ती अवसंरचना को मजबूत बनाने तथा आधुनिक बनाने के लिए 2250 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं।
  • सीमावर्ती गांवों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं।
  • मरीन पुलिस स्टेशन, जेट्टी के निर्माण एवं नौकाओं की खरीद के लिए 150 करोड़ रुपये की राशि चिन्हित की गई है।
  • राष्ट्रीय पुलिस स्मारक के निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये प्रदान किये गए हैं।
  • प्रत्यक्ष कर संबंधी प्रस्ताव
  • 60 वर्ष से कम आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है अर्थात इसे 2 लाख से बढ़ाकर रू 2.5 लाख कर दिया गया है। वहीँ वरिष्ठ नागरिको के लिए इसे 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दिया गया है।
  • कॉर्पोरेट अथवा व्यक्तिगत, एचयूएफ, व्यवसाय संघो आदि के लिए कर की दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
  • शिक्षा उपकर 3 प्रतिशत ही रहेगा।
  • आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत निवेश की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर रू 1.5 लाख कर दिया गया है।
  • आवासीय संपत्ति के लिए ऋण पर ब्याज कटौती की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है।
  • अवसंरचना निवेश न्यासों और स्थावर सम्पदा निवेश न्यासों की सहायक कर पद्धति की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के विनियमों के अनुरूप की जाएगी।
  • किसी वर्ष में नए संयंत्र और मशीनरी में 25 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली विनिर्माण कंपनी को 15 प्रतिशत की दर से निवेश छूट दी जाएगी। यह सुविधा तीन वर्षों के लिए अर्थात 31.03.2017 तक किये जाने वाले निवेशों के लिए है।
  • निवेश संबद्ध कटौती को दो नए क्षेत्रों, लौह अयस्क की ढुलाई के लिए गारा पाइपलाइन और सेमी-कंडक्टर वफर संरचना इकाईयों तक बढ़ाना।
  • 31.03.2017 तक विद्युत् का उत्पादन, वितरण और सम्प्रेषण शुरू करने वाले उपक्रमों को 10 वर्षों के लिए कर की छूट।
  • प्रतिभूतियों में लेन-देन से विदेशी निवेशको को होने वाली आय को पूंजीगत लाभ समझा जाएगा।
  • बिना अंतिम तिथि वाले विदेशी लाभांशो पर 15 प्रतिशत की रियायती दर बनी रहेगी।
  • ब्याज के भुगतान पर कर की दर में 5 प्रतिशत की रियायत के लिए विदेशी मुद्रा में उधार की योग्य तिथि को 30.06.2015 से 30.06.2017 तक कर दिया गया है। अवसंरचना संबंधी ऋणपत्र को छोड़कर सभी प्रकार के ऋणपत्र पर कर संबंधी प्रोत्साहन दिया गया है।
  • सेवा कर के दायरेमें शामिल की गई कुछ अन्य सेवाएं
  • सेवा क्षेत्र में कराधार को व्यापक करने के लिए प्रसारण मीडिया में स्थान के विक्रय या विज्ञापन के लिए अधिरोप्य सेवा कर का विस्तार किया जा रहा है जिससे ऑनलाइन और मोबाइल विज्ञापन जैसे अन्य क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया जा सके। कर प्रस्तावों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने अपने पहले बजट भाषण में कहा कि प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों को सेवा कर के दायरे से बाहर रखा जायेगा। हालांकि रेडियो टैक्सियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को सेवा कर के अंतर्गत लाया गया है। वित्त मंत्री के अनुसार 2014-15 के कर प्रस्ताव में अप्रत्यक्ष कर के द्वारा रु 7525 करोड़ की प्राप्ति होगी।
  • वित्त मंत्री ने वातानुकूलित संविदा कैरिजों और मानव प्रतिभागियों पर नव विकसित दवाओं के तकनीकी परीक्षण द्वारा दी जा रही सेवाओं पर सेवा कर लगाने की घोषणा की है। भारत के बाहर संचालित किये जाने वाले दौरे के संबंध में विदेशी पर्यटकों को भारतीय टूर ऑपरेटरों द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं को सेवा कर के दायरे से बाहर रखा जायेगा। रेंट-ए-कैब और टूर ऑपरेटरों के द्वारा प्रदान की जाने वाली पर्यटन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए सेनवेट क्रेडिट की अनुमति दी गई है।

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[inside]  व्हिसिल ब्लोअर बिल- मुख्य बातें  [/inside]

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इस विधेयक को लोक सभा में 26 अगस्त 2010 को मिनिस्ट्री आफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीवान्स, एण्ड पैन्शन ने पेश किया। इसे पर्सनल, पब्लिक ग्रीवान्स लॉ एण्ड जस्टिस स्टैन्डिंग कमेटी (अध्यक्षः जयंती नटराजन) के पास विचार के लिए भेजा गया । इस पर 14 फरवरी 2011 तक रिपोर्ट मिलनी थी।

 

यह विधेयक, जनहित के लिए, सरकारी कर्मचारी द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग एवं अपराधों का खुलासा करने वाले व्यक्ति (एवं व्हिसिल ब्लोअर) को सुरक्षा देता है।

 

कोई भी सरकारी कर्मचारी, गैर सरकारी संस्था या कोई भी अन्य व्यक्ति क¢न्द्रीय या राज्य सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) को इस तरह का खुलासा कर सकता है।

 

इस तरह की किसी भी शिकायत में उस शिकायतकर्ता की जानकारी शामिल होनी चाहिए।

 

सतर्कता आयोग शिकायतकायतकर्ता की जानकारी गोपनीय रखेगा। ज़रुरत पड़ने पर यह जानकारी सम्बद्ध विभागाध्यक्ष को दी जा सकती है। विधेयक गोपनीयता का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को दण्डित करता है। विधेयक में जानबूझकर झूठी शिकायत करने के लिए दण्ड का प्रावधान है।

 

मुख्य मुद्दे और उनका विश्लेषण

 

यह विधेयक ईमानदार अफसरों को झूठी शिकायतो की परेशानियों से बचाने के साथ साथ जनहित के लिए खुलासा करने वाले व्यक्ति का संरक्षण करता है। गलत शिकायत करने वाले व्यक्ति के लिए इसमें दण्ड का प्रावधान है। हालांकि इसमें शिकायतकर्ता को सताए जाने के लिए किसी दण्ड का प्रावधान नहीं किया गया है।

 

• 2004 के एक सरकारी निर्णय में जनहित के लिए किये जाने वाले इन खुलासों को प्राप्त करने के लिए केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) को नामित किया गया था। हर वर्ष सी.वी.सी इस प्रकार की केवल कुछ सौ शिकायतें ही प्राप्त करता रहा है। इस विधेयक में किये गये प्रावधान उस सरकारी निर्णय से मिलते¨-जुलते¨ हैंअतः शिकायतों की संख्या के बहुत बढ़ने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

 

सतर्कता आयोग के अधिकार सीमित हैं। वह केवल अपनी सिफारिश दे सकता है। उसे दण्ड देने का अधिकार नहीं है। यह दिल्ली और कर्नाटक लोकायुक्त के अधिकारों से विपरीत है।

 

विधेयक में डिस्क्लोजर (खुलासा) को बहुत सीमित अर्थों में परिभाषित किया गया है और उत्पीड़न की कोई व्याख्या नहीं की गयी है। यू.एस., यू.के. और कनाडा जैसे अन्य देश डिस्क्लोजर की व्यापक व्याख्या देते हैं और उत्पीड़न को परिभाषित करते हैं।

 

कई मामलों में यह विधेयक ला कमीशम के प्रस्तावित विधेयक से और दूसरे ऐडमिनिस्ट्रेटिव रिफार्म कमीशन (ए.आर.सी.) की रिपोर्ट से भिन्न है। इसमें गुमनाम शिकायतों को स्वीकार न करना और व्हिसिल ब्लोअर्स को पीडि़त करने वाले अफसरों के लिए दण्ड की किसी व्यवस्था का न होना आता है।

 

विशेष जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक देखें- http://www.prsindia.org/uploads/media/Public%20Disclosure/Whistleblower%20Bill%20HINDI.pdf

 

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[inside] लोकपाल विधेयक- मुख्य बातें [/inside]

 

इस विधेयक को लोक सभा में 4 अगस्त 2011 को मिनिस्ट्री आफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीवान्स, एण्ड पैन्शन ने पेश किया।इसे पर्सनल, पब्लिक ग्रीवान्स लाॅ एण्ड जस्टिस स्टैन्डिंग कमेटी (अध्यक्षः अभिषेक मनु सिंघवी) के पास विचार के लिए भेजा गया । इसे अपनी रिपोर्ट 7, दिसंबर 2011 तक देनी है ।

 

यह विधेयक भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच करने व दण्ड देने के लिये लोकपाल की स्थापना करता है।

 

लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधान-मंत्री (कार्यभार से मुक्त हो जाने के बाद), मंत्री, संसद सदस्य, ग्रुप ए अफसर, व सरकारी अनुदान पर या दान के पैसे पर काम करने वाली संस्थाओं के अधिकारी आने चाहिए।

 

कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक कर्मचारी के विरूद्ध शिकायत लगा सकता है। यह शिकायत अपराध करने के सात वर्षो के भीतर की जानी चाहिए। इस विधेयक में जाँच व छानबीन की प्रकिया दी गयी है।

 

यदि लोक पाल यह पाता है कि अपराध किया गया है तो वह अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने की सिफारिश कर सकता है व विशेष अदालतों में मुकदमा दर्ज कर सकता है।

 

यह विधेयक कुछ अपराधों के लिये भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988 के अनुसार सात साल की सजा को बढ़ा कर दस साल करता है। झूठी और निराधार शिकायतों के लिये इसमें दण्ड का प्रावधान भी किया गया है।

 

लोकपाल के सभी ख़र्चो का वहन भारत की संचित निधि मंे से किया जाना चाहिए।

 

मुख्य मुद्दे और उनका विश्लेषण

 

मौजूदा स्थिति में ग्रुप ए अफसर क¢न्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। लोकपाल भी ग्रुप ए अफसरों की जाँच एवं छानबीन करेगा। अतः ग्रुप ए अफसरों के ऊपर जाँच पड़ताल का दोतरफा अधिकार क्षेत्र होगा।

 

विधेयक लोकपाल के अन्तर्गत एक जाँच पड़ताल का शाखा (विंग) बनाता है। पहले की स्टैन्डिंग कमेटी ने इस प्रकार की एक अतिरिक्त जाँच पड़ताल शाखा बनाये जाने का विरोध किया है।

 

यह विधेयक सार्वजनिक कर्मचारी(पब्लिक सर्वैन्ट) की व्याख्या बढाता है और कुछ ग़ैर सरकारी व्यक्तियों को भी इसमें शामिल करता है। यह अन्य कानूनों मे दिये गये प्रावधानों से भिन्न है।

 

इस के अन्तर्गत छानबीन और अभियोग की कार्यप्रणाली में कुछ कमियां है। किसी मामले में अपराध के लिये उकसाने वाले किसी ग़ैर सरकारी व्यक्ति के विरूद्ध लोकपाल अभियोग नही लगा सकता। सात वर्ष की समय सीमा होने से दो टर्म में रहे प्रधान मंत्री के कार्यकाल के आंरभिक वर्षो की छानबीन नही की जा सकती।

 

झूठी शिकायतों के लिये निधार्रित दण्ड की व्यवस्था इसी प्रकार के अन्य कानूनो में दिये गये प्रावधानों से भिन्न है।

 

विशेष जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक देखें- http://www.prsindia.org/uploads/media/Lok%20Pal%20Bill%202011/Lokpal_Legislative_Brief_Hindi.pdf

 

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[inside]  भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन विधेयक 2011- महत्वपूर्ण तथ्य  [/inside]

 

भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन, 2011 लोकसभा में 7 सितंबर 2011 को ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा पेश किया गया। इस विधयक को ग्रामीण विकास की स्थायी समिति( अध्यक्ष सुमित्रा महाजन) को विचारार्थ भेजा गया जिसे 11 मई 2012 तक अपने सुझाव देने थे।

 

यह विधेयक भू मि अधिग्रहण के अलावा पनुर्वास और पुरनर्व्यवस्थापन भी संभव बनाता है। यह भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1984 का स्थान लेता है।

 

भूमि अधिग्रहण की इस प्रक्रिया में सामाजिक प्रभाव आकलन सर्वेक्षण(एसआईए), अधिग्रहण का उद्देश्य बताती हुई आरंभिक सूचना, अधिग्रहण की घोषणा, और एक निश्चित समय तक दिया जाने वाला मुआवजा शामिल है। सभी अधिग्रहणों में अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को पुनर्वास और पुनर्व्यावस्थापन देने की आवश्यकता है।

अधिग्रहित भूमि के स्वामियों के लिए मुआवजा ग्रामीण क्षेत्र के मामले में बाजार भाव का चार गुणा और शहरी क्षेत्रों के मामले में दोगुना होगा।

निजी कंपनियों या सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा प्रयोग के लिए भूमि अधिग्रहण में 80 प्रतिशत विस्थापित लोगों की सहमति आवश्यक है। निजी कंपनी द्वारा भूमि के विशाल टुकड़े की खरीद में पुनर्व्यवस्थापन और पुनर्वास को आवश्यक माना गया है।

इस विधेयक के प्रावधान विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम 2005, परमाणु उर्जा अधिनियम 1962, रेलवे अधिनियम 1989 सहित मौजूदा 16 विधानों के अंतर्गत किए जाने वाले अधिग्रहणों पर लागू नहीं होंगे।

मुख्य मुद्दे और विश्लेषण

यह सपष्ट नहीं है कि कृषि-भूमि की निजी खरीद पर पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन को लागू करना संसद के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं।

बिना किसी न्यूनतम सीमा के, प्रत्येक अधिग्रहण के लिए एसआईए सर्वे की आवश्यकता कुछेक सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में देरी का कारण बन सकता है।

निजी कंपनियों या सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा प्रयोग के लिए भूमि अधिग्रहण में 80 प्रतिशत विस्थापित लोगों की सहमति आवश्यक है जबकि पीएसयू के लिए ऐसी सहमति की आवश्यकता नहीं है।

बाजार भाव हाल में हुई लेनदेन की सूचनाओं पर आधारित होताहै। यह विधि भूमि लेन-देन में संभावित तौर पर कम दर्ज की गई कीमत के लिए सटीक समायोजन प्रदानना कर सके।

सरकार अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के लिए भूमि का अस्थायी तौर पर अधिग्रहण कर सकती है। ऐसे मामलों में पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं है।

 

कृपया विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक चटकायें- http://www.prsindia.org/uploads/media/Land%20and%20R%20and%20R/LARR%20-%20Hindi%20Brief.pdf

 

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[inside]  द ज्यूडिशियल स्टैंडर्डस् एंड अकाऊंटेबिलिटी विधेयक की प्रमुख विशेषताएं  [/inside]

 

इस विधेयक को लोक सभा में 1 दिसम्बर 2010 को मिनिस्ट्री आफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीवान्स, एण्ड पैन्शन ने पेश किया। इस विधेयक को पर्सनल और पब्लिक ग्रीवान्स, लाॅ एण्ड जस्टिस की स्टैंडिंग कमेटी (अध्यक्षः जयंती नटराजन) के पास विचार के लिए भेजा गया है। इस पर 30 अप्रैल 2011 तक रिपोर्ट मिलनी थी।

 

यह विधेयक जजों से उनकी पूरी संपत्ति का खुलासा करने के लिये कहता है, कुछ न्यायिक मानक तय करता है और साथ ही उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के जजों के निष्कासन की प्रक्रिया बनाता है।

 

जजों को स्वयं अपनी, व अपनी पत्नी/पति, तथा संतान की संपति और देनदारी का पूरा खुलासा करना होगा।

 

विधेयक में राष्ट्रीय न्यायिक ओवरसाइट कमेटी, कम्प्लेंट स्क्रूटनी पैनल ,व एक इन्वैस्टिगेशन कमेटी की स्थापना की है। कोई भी व्यक्ति किसी जज के खिलाफ उसके अनुचित व्यवहार के आधार पर ओवरसाइट कमेटी कों अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।

 

अनुचित व्यवहार के आधार पर किसी जज के निष्कासन के लिये संसद में प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। इस प्रस्ताव को ओवरसाइट कमेटी की तहकीकात व जांॅच के लिये भेजा जाएगा।

 

जजों के विरूद्ध शिकायतें व जांच गोपनीय रखी जाऐंगी व निराधार आरोपों के लिये शिकायत कर्ता को दंडित किया जाएगा।

 

ओवरसाइट कमेटी जजों को सुझाव या चेतावनी दे सकती हैं तथा राष्ट्रपति को उनके निष्कासन की सिफारिश भेज सकती है।

 

मुख्य मुद्दे और उनका विश्लेषण

 

मुख्य बात यह है कि विधेयक में प्रस्तावित कार्यविधि से जजों की जवाबदेही और उनकी स्वतंत्रता के बीच में पर्याप्त संतुलन का निर्वाह संभव है कि नहीं। ओवरसाइट कमेटी में गैर न्यायिक व्यक्ति सदस्य हैं। उनके द्वारा न्यायिक सेवा की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का ख़तरा हो सकता है।

 

विधेयक में शिकायत की गोपनीयता भंग करने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित किया गया है। प्रश्न यह उठता है कि गोपनीय रहने वाली किसी निराधार शिकायत पर दंड की ज़रूरत है या नहीं।

 

स्क्रूटनी पैनल में उसी उच्च न्यायालय से जज सदस्य हैं। यह स्थिति उच्चतम न्यायालय के आन्तरिक कार्यविधि (इन हाउस प्रोसीजर) से भिन्न है।

 

ओवरसाइट कमेटी में गैर न्यायिक सदस्य होते हैं। इस कमेटी की कार्यविधि न्यायपालिका की आन्तरिक कार्यविधि (इन हाउस प्रोसीजर) नहीं है। यह स्पष्ट नही है कि ओवरसाइट कमेटी के द्वारा साधारण दंड देने के अधिकार संवैधानिक रूप से वैध हैं या नहीं।

 

विधेयक इस बात की कोई चर्चा नही करता कि संसद के द्वारा दोषी ठहरा दिये जाने के बाद राष्ट्रपति के आदेश से जज के निष्कासित कियेजाने पर वह उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दर्ज कर सकता है या नहीं।

 

विशेष जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक देखें- http://www.prsindia.org/uploads/media/Judicial%20Standard/Judicial%20Bill%20%20HINDI.pdf

 

 

 

 

Name="Colorful Grid Accent 2"/> SemiHidden="false" UnhideWhenUsed="false" Name="Light Grid Accent 3"/> भारत सरकार के वित्तमंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत नए बजट(2010-11) की सुर्खियां

  http://indiabudget.nic.in/ub2010-11/bs/speecha.htm:

SemiHidden="false" UnhideWhenUsed="false" QFormat="true" Name="heading 1"/> SemiHidden="false" UnhideWhenUsed="false" Name="Medium Grid 2 Accent 3"/> 67567621;} @list l3:level1 {mso-level-number-format:bullet; mso-level-text:; mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in; font-family:Symbol;} @list l4 {mso-list-id:708262861; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:-1892880400 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643;} @list l4:level1 {mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in;} @list l5 {mso-list-id:850026336; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:1848686564 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643;} @list l5:level1 {mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in;} @list l6 {mso-list-id:1044913663; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:-763448396 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643;} @list l6:level1 {mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in;} @list l7 {mso-list-id:1192111071; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:1930166428 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621;} @list l7:level1 {mso-level-number-format:bullet; mso-level-text:; mso-level-tab-stop:.75in; mso-level-number-position:left; margin-left:.75in; text-indent:-.25in; font-family:Symbol;} @list l8 {mso-list-id:1517966493; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:-1607317998 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621;} @list l8:level1 {mso-level-number-format:bullet; mso-level-text:; mso-level-tab-stop:.75in; mso-level-number-position:left; margin-left:.75in; text-indent:-.25in; font-family:Symbol;} @list l9 {mso-list-id:1647472471; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:1692030906 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643 67567631 67567641 67567643;} @list l9:level1 {mso-level-tab-stop:.25in; mso-level-number-position:left; margin-left:.25in; text-indent:-.25in;} @list l10 {mso-list-id:1817408876; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:1792709518 955781882 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621;} @list l10:level1 {mso-level-start-at:9; mso-level-number-format:bullet; mso-level-text:-; mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in; font-family:"Arial","sans-serif"; mso-fareast-font-family:Arial;} @list l11 {mso-list-id:1847210729; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:-504584100 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621;} @list l11:level1 {mso-level-number-format:bullet; mso-level-text:; mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in; font-family:Symbol;} @list l12 {mso-list-id:1949963842; mso-list-type:hybrid; mso-list-template-ids:807286922 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621 67567617 67567619 67567621;} @list l12:level1 {mso-level-number-format:bullet; mso-level-text:; mso-level-tab-stop:.5in; mso-level-number-position:left; text-indent:-.25in; font-family:Symbol;} ol {margin-bottom:0in;} ul {margin-bottom:0in;} -->महिलाओं का उत्थान
-महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी आवाज योजना के अंतर्गत 10 हजार करोड़ रुपए का बजट। इसके अलावा महिलाओं के सशक्तिकरण एवं शिक्षा पर 100 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।
-अल्प संख्यnकों की शिक्षा को प्रोत्सारहन देने के लिए 2600 करोड़ रुपए। इसके अंतर्गत विभिन्नव प्रकार की छात्रवृत्तियां प्रदान की जाएंगी।

विकास कार्यक्रम
-देश के इंफ्रास्ट्रडक्चार डेवलपमेंट के लिए इस साल 1,73,552 करोड़ रुपए का प्राविधान किया गया है।
-बिजली क्षेत्र के लिये आवंटन दोगुना कर 5,130 करोड़ रुपये करने का प्रावधान
-राष्ट्री य राजमार्गों को 20 किलोमीटर प्रति दिन बढ़ाने का लक्ष्यय। सड़क निर्माण के लिए बजट में 13 प्रतिशत की वृद्धि।
-लद्दाख क्षेत्र में सौर और पनबिजली परियोजनाओं के लिये 500 करोड़ रुपये
-राजीव आवास योजना के लिए फंड 700% बढ़ेगा
-नरेगा के लिए 41 हजार करोड़ और भारत निर्माण योजना के लिए 48 हजार करोड़
-रेलवे के लिये आवंटन को 950 करोड़ रुपये बढ़ाकर 16,752 करोड़ रुपये किया गया।
-गंगा नदी की सफाई के लिए 500 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य 
-शिक्षा के लिए बजट 26800 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3136 करोड़ रुपए तक बढ़ाया गया है।
-साढ़े तीन हजार करोड़ एलीमेंट्री एजूकेशन के लिए रखा गया है।
– स्वास्थ्य के मद में 22,300 करोड़ रुपए निर्धारित।

सामाजिक सुरक्षा
-लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए नेशनल सोशल सिक्योररिटी फंड की स्थापना की जाएगी। हेल्थ् इंश्योरंस कवर गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए दिया जाएगा। इसका लाभ रिक्शा़ चालक, फेरी लगाने वलो लोगों, घरों में काम करने वाले लोगों, आदि को मिलेगा।

रक्षा बजट
-इस वर्ष रक्षा बजट में 1,47,344 रुपए का प्रावधान किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में यह 4 प्रतिशत ज्यादा है।

किसानों को लाभ
-कृषि के लिए कर्ज को लौटाने की मियाद 6 महीने बढ़ाई गई, किसान 30 जून 2011 तक कर्ज चुका सकते हैं।
-जलवायु चुनौतियों से संबंधित कृषि पहल के लिये 200 करोड़ रुपये
-बुंदेलखंड के सूख प्रभावित इलाकों के लिए 12 हजार करोड़ रुपए।
-ग्रामीण विकास के लिए 66 हजार करोड़ रुपए निर्धारित
-ग्रामीण विकास के क्षेत्र में पहाड़ी और जमीनी क्षेत्रों में समानता लाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त  धनराशि रखी गई है।
-जमीनी क्षेत्रों के लिए 45 हजार करोड़ औरपहाड़ी क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए 48 हजार करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।
-कृषि उत्पा्दों को बढ़ावा देनेके लिए पांच मेगा फूड पार्क स्था पित किए जाएंगे।
-16,500 करोड़ रुपए का बजट पीएसयू बैंकों के लिए
-आपदाओं से प्रभावित किसानों को दो प्रतिशत की दर पर ऋण मुहैया कराया जाएगा
-फूड सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा।

अन्य घोषणाएं
-साल २००९-१० के बजट में महिलाओं के लिए चलाई जा रही इंदिरा गांधी आवाज योजना के लिए 10,000 करोड़, स्वास्थ्य  योजनाओं के लिए 22 हजार 300 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।
 
-महिलाओं के साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है। महिलाओं को सामाजिक न्याय के लिए 4500 करोड़ रुपए का निर्धारण किया गया है। इसके अंतर्गत मिनिस्ट्रीए ऑफ मायनॉरिटी को 2600 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। जो विभिन्नर प्रकार की छात्रवृत्तियां प्रदान करेगी।
 
-स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम लोगों को रोजगार देने के लिए चलाया जाएगा। कपड़ा मंत्रालय द्वारा यह योजना चलायी जाएगी, जिसमें कामगारों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

-लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए नेशनल सोशल सिक्योयरिटी फंड की स्था पना की जाएगी। हेल्थ् इंश्योरंस कवर गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए दिया जाएगा। इसका लाभ रिक्शाड चालक, फेरी लगाने वलो लोगों, घरों में काम करने वाले लोगों, आदि को मिलेगा।
 
-शहरी क्षेत्रों से झुग्गियों को हटाने की योजना है। बेघर होने वाले लोगों को मकान भी दिया जाएगा।

-बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित इलाकों के लिए 12 हजार करोड़ रुपए ।
 
-नारेगा के लिए 40 हजार 100 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।

-ग्रामीण विकास के क्षेत्र में पहाड़ी और जमीनी क्षेत्रों में समानता लाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्तम धनराशि रखी गई है। जमीनी क्षेत्रों के लिए 45 हजार करोड़ और पहाड़ी क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए 48 हजार करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।

-अगले वित्तीय वर्ष में ग्रामीण विकास के लिए 66 हजार करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है। गंगा नीद की सफाई के लिए 500 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए।

-शिक्षा के लिए सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा दिया जा रहा है। शिक्षा के लिए पूर्वनिर्धारित बजट को बढाया गया है।(26800 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3136 हजार करोड़ रुपए तक)।साढ़े तीन हजार करोड़ प्राथमिक शिक्षा के लिए रखा गया है।

-फूड सिक्योरिटी बिल यानी खाद्य सुरक्षा बिल जल्द ही सदन में प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार ने इस बिल को पेश करने के लिए सभी तैयारियां कर ली हैं।

-इंफ्रास्ट्रडक्चोर के मामले में सरकार तेजी से काम कर रही है। सरकार का लक्ष्य राष्ट्रीय राजमार्गों को 20 किलोमीटर प्रति दिन बढ़ाने का होगा।

-बिजली के लिए निर्धारित ढाई हजार करोड़ को बढ़ाकर पांच हजार करोड़ कर दिया गया है। इसके अलावा एनएचपीसी के नए पावर प्लांाट जल्द  ही शुरू हो जाएंगे, जिससे बिजली का उत्पाुदन बढ़ेगा। सड़क निर्माण के लिए बजट में 13 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
 
-कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए पांच मेगा फूड पार्क स्था पित किए जाएंगे। साथ ही प्राइवेट बैंकों को बढ़ावा दिया जाने के लिए अधिक लाइसेंस दिए जाएंगे।

-प्रणब मुखर्जी ने कहा इस साल कृषि को बढ़ावा देने पर ज्यादाजोर रहेगा। कृषि के क्षेत्र में 4 बड़ी कार्य योजनाएं बनायी गई हैं।
-पहली- 16,500 करोड़ रुपए का बजट पीएसयू बैंकों के लिए निर्धारित किया गया है। इन योजनाओं के अंतर्गत कृषि उत्पाशदों को देश-विदेश तक सुगमता से पहुंचाने के लिए फूड सप्लािई चेन को मजबूत किया जाएगा।

-आपदाओं से प्रभावित किसानों को दो प्रतिशत की दर पर ऋण मुहैया कराया जाएगा, ताकि वे अपने व्यावसाय को पुन: स्थापित कर सकें।
-2009 में किसानों को खाद के लिए अधिक सबसिडी की घोषणा की गई, जिसे बाद में सरकार ने लागू भी कर दिया है। जल्द  ही खाद पर सबसिडी कम होगी
 

  • राष्ट्रीय किसान आयोग ने नीतिगत उपायों के तहत सुझाव दिया है कि किसानों के लिए जीविका की सुरक्षा की दृष्टि से एक पैकेज तैयार किया जाय। इसके अन्तर्गत किसानों को पारिस्थितिकी और बाजार की मांगों के अनुकूल किसानी के लिए प्रौद्योगिकी चुनने की छूट दी जानी चाहिए। मिट्टी की उवर्रा शक्ति की रक्षा और संवर्धन तथा जल-संरक्षण के लिए उपाय किए जाने चाहिए। ध्यान रखा जाना चाहिए कि खेती में इस्तेमाल होने वाले साजो सामान उच्च गुणवत्ता के हों और किसानों को सही वक्त पर कर्ज और बीमा की सुविधा मिल जाय। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत किसानों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए। 
  • सरकार ने कर्ज माफी और राहत के अपने वायदे के तहत ३१ दिसंबर २००७ तक अधिसूचित व्यावसायिक बैंक और सहकारी समितियों से लिए गए कर्जों को माफ कर दिया है। यह कर्ज माफी सीमांत और छोटे किसानों को दी गई है।
  • अन्य किसानों के बारे में प्रावधान किया गया है कि अगर वे कर्ज की बकाया रकम एकमुश्त चुकाते हैं तो चुकायी जानी वाली रकम में से २५ फीसदी माफ कर दिया जाएगा।  
  • कर्ज माफी की इस योजना के तहत उन किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा जिन्होंने निजी श्रेणी के बैंकों से कर्ज लिए हैं। शुष्क और कम उर्वरा शक्ति की जमीन पर खेती करने वाले २ एकड़ से ज्यादा जमीन की मिल्कियत वाले किसानों को भी इस कर्ज माफी का कोई लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि कई अध्ययनों से स्पष्ट है कि ऐसे इलाकों के किसान आजीविका की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।
  • केरल की सरकार ने एक कर्ज राहत आयोग की स्थापना की है। इसका उद्देश्य गंभीर खेतिहर संकट से जूझ रहे इलाकों और कृषक-वर्गों की पहचान करना और इसके अनुकूल किसानों को राहत पहुंचाना है।
  • खाद्यान्न के उपार्जन को बढ़ाने और किसानों को उनकी उपज का लाभकर मूल्य देने की कोशिश में सरकार ने २००८-०९ के रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को जनवरी २००९ में बढ़ाया। पहले गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य १००० रुपये प्रति क्विंटल था जिसे बढ़ाकर १०८० रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। धान की सामान्य किस्म के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ७४५ रुपये प्रति क्विंटल था जिसे बढ़ाकर ८५० रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

साल २००९-१० के अंतरिम बज़ट के अनुसार-
href="http://indiabudget.nic.in/ub2009-10(I)/bh/bh1.pdf">http://indiabudget.nic.in/ub2009-10(I)/bh/bh1.pdf

  • वर्ष २००३-०४ से २००८-०९ के बीच कृषि के लिए योजनागत आबंटन में ३०० फीसदी का इजाफा हुआ है। साल २००७-०८ में २५हजार करोड़ रुपये के साथ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की शुरुआत हुई। इसका उद्देश्य खेती और उससे जुड़े क्षेत्रों मे ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत सालाना ४ फीसदी की दर वृद्धि करना है।
  • वास्तविक कृषि-ऋण में साल २००३-४ से लेकर २००७-०८ के बीच चीन गुने का इजाफा हुआ है। पूंजी-प्रवाह साल २००३-०४ में ८७००० करोड़ था जो साल २००८-०९ में बढ़कर २,५०,००० करोड़ हो गया।
  • सहकारी संस्थाओं द्वारा छोटी अवधि के लिए दिए जाने वाले कर्ज की व्यवस्था को मजबूत करनेके लिए १३,५०० करोड़ रुपये का एक पैकेज दिया गया है। इसका इस्तेमाल २५ राज्यों में इस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए होगा।
  • साल 2009-10 के दौरान भी किसानों को सूद की कम दर पर कर्ज दिया जाना जारी रखा जाएगा ताकि किसानों को 3 से 7 लाख रुपये का कर्ज(फसलों के लिए) 7 फीसदी सूद की दर से हासिल हो सके।
  • कर्जमाफी और कर्ज-राहत की योजना 30 जून 2008 की तय समय सीमा में ही चालू हो चुकी है। इसके अन्तर्गत 65,300 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किये गए हैं। इस योजना से 3.6 करोड़ किसानों को फायदा हुआ है।.
  • पिछले पांच सालों के दौरान उपार्जन की लागत और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य ऊंचे रहने के बावजूद लक्ष्य केंद्रित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में  बीपीएल श्रेणी और अंत्योदय अन्न योजना के दायरे में आने वाले  परिवारों के लिए वही मूल्य कायम रखे गए जो जुलाई 2000 में थे। गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में साल 2002 के जुलाई से लागू मूल्यों को कायम रखा गया है।
  • साल 2008-09 के फसली वर्ष के लिए धान की सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 900 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। साल 2003-04 में समान्य श्रेणी की धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 550 रुपये प्रति क्विंटल था।साल 2003-04 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 630 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे साल 2009 में बढ़ाकर 1080 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

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[inside] खेतिहर कर्ज पर केंद्रित विशेषज्ञ समूह(एक्सपर्ट ग्रुप) के दस्तावेज(जुलाई 2007)  [/inside] के अनुसार- http://www.igidr.ac.in/pdf/publication/PP-059.pdf

कुछ सुझाव

  • खेती के उत्पादनगत आधार में विस्तार देना जरुरी है। इस प्रक्रिया में जोर सीमांत और छोटे किसानों पर दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। इसके समुचित प्रद्योगिकी का विकास तो जरुरी है ही साथ ही साथ मौजूदा सांस्थानिक बनावट के वैकल्पिक रुपों की खोज भी जरुरी है।
  • ध्यान रखा जाना चाहिए कि खेतिहर समाज को सांस्थानिक कर्जा ज्यादा से ज्यादा मिले। जिन किसान परिवारों को सांस्थानिक कर्जा नहीं हासिल हो पाता उन्हें इस दायरे में लाना होगा। कर्ज देने की मौजूदा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार जरुरी है। किसानों के ऊपर महाजनों के कर्ज का जो बोझा बरकरार है उसे कम करना होगा। इसके लिए जरुरी है कि अनौपचारिक स्रोतों से लिए गए कर्ज को औपचारिक ढांचे में लाया जाय।
  • जो इलाके सिंचाई के लिए वर्षाजल पर निर्भर हैं वहां साल दर साल पर्यावरण का ज्यादा नुकसान होता है और उत्पादन में भी घट-बढ़ होते रहती है।इस बात के सघन प्रयास होने चाहिए कि ऐसे लाके के प्राकृतिक संसाधन पुनर्जीवन प्राप्त कर सकें और इन इलाकों के किसान परिवारों की आमदनी में एक किस्म की स्थिरता लायी जा सके।
  • मौसम की भविष्यवाणी के लिए अंतरिक्ष और सूचना प्रौद्योगिकी पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के जो कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं उनका लाभ गरीब किसान परिवारों को मिले। इसके लिए किसान-संघों को ऐसे कार्यक्रम के की बनावट, क्रियान्वयन और निगरानी के काम में शामिल किया जाना चाहिए।
  • खेतिहर संकट से निपटने के लिए सरकार ने संकट से जूझ रहे 31 जिलों की पहचान की है और इन जिलों में राहत के उपाय किये किए हैं। ये जिले आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, और महाराष्ट्र में हैं। केंद्र सरकार के अतिरिक्त इन प्रदेशों की सरकार ने बी अपनी तरफ से राहत के प्रयास किये हैं। पंजाब सरकार ने भी कुत राहत के कदम उठाये हैं। इन उपायों के तहत संकट से जूझ रहे किसान परिवारों को मदद दी जा रही है।
  • विशेषज्ञ समूह का सुझाव है कि किसानों को वित्तप्रवाह की मुख्यधारा में शामिल करने के काम में इस बात का प्रयाप्त ध्यान रखा जाना चाहिए कि छोटे-मोटे कर्ज लेने वाले किसान परिवार की वित्तीय जरुरतें किस किस्म की हैं। सांस्थानिक कर्ज देने की मौजूदा प्रमाली में उन किसान परिवारों को शामिल किया जाना चाहिए जो अभी तक सांस्थानिक कर्ज नहीं ले पा रहे।
  • ग्रामीण इलाकों में बैंकों की सचल शाखा खोलने की त्वरित जरुरत है ताकि किसानों को उनके दरवाजे पर जाकर वित्तीय सहायता उपलब्ध करवायी जा सके। इससे कर्ज देने के क्रम में आने वाली लागत और इस लागत के कारण कर्ज लेने वाले किसान पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय बोझ को कम किया जा सकेगा।
  • वशेषज्ञ समूह का मानना है कि किसान क्रेडिट कार्ड को इलेक्ट्रानिक रुप देकर इसे बहुआयामी भारत किसान कार्ड के रुप में जारी किया जाना चाहिए। इस कार्ड पर किसान की जमीन, जायदाद सहित इन्य संपदा और कर्ज की जिन सुविधाओं का उसने इस्तेमाल किया है सके ब्यौरे दर्ज होने चाहिए। इस काम को एक मशन मानकर इसे उसी त्वरा से किया जाना चाहिए। .
  • लीड बैंक स्कीम की रचना इस उद्देश्य से की गई थी कि जिला स्तरीय नियोजन अधिकारियों और बैंकों के बीच बेहतर तालमेल कायम हो सके। अब परिद-श्य में कुछ नए संगठन भी आ गये हैं, जैसे स्व सहायता समूह। किसानों के बीच कर्ज के लेन देने को लेकर जानकारी का बड़ा अभाव है।विशेषज्ञ समूह का सुझाव है कि भारतीय रिजर्व बैंक को लीड बैंक स्कीम को मजबूती देने के लिए प्रयास करने चाहिए।
  • विशेषज्ञ समूह का सुझाव है कि जमीन के दस्तावेजों को अद्यतन रुप दिया जाना चाहिए और उन्हें कंप्यूटरीकृत किया जाना चाहिए। 
  • विशेषज्ञ समूह का सुझाव है कि जो किसान पट्टे पर जमीन लेकर उस पर खेती कर रहे हैं उन्हेंपट्टे पर ली गई जमीन के ब्यौरों को देखकर कर्ज की सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिए। इसके अलावा पट्टे पर ली गई जमीन परकिसानी के लिए दिए जाने वाले कर्ज से संबंधित कानून बनाने के क्रम में सीमांत और छोटे किसानों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
  • विशेषज्ञ समूह का सुझाव है कि माइक्रो फाइनेंस की संस्थाओं को मुख्यधारा की बैंकिंग का अविभाज्य अंग बनाया जाय।
  • राष्ट्रीय कृषि एवम् ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) को चाहिए कि वह ग्रामीण क्षेत्र में खेती और गैर खेतिहर कामों के विकास के लिए बन रही परियोजनाओं की तैयारी में बैंकों को समुचित प्रशिक्षण और दिशा निर्देश प्रदान करे। 
  • बैंकों को चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों में खेती और उससे जुड़े क्षेत्रों के साईंस ग्रेजुएट को शामिल करें। 
  • समूह का विचार है कि खेती को प्राथमिकता के आधार पर 18 फीसदी कर्ज देने की बैंकों की नीति एक दूरगामी महत्त्व वाली नाति है और बैंकों ने इसके अनुपालन की प्रतिबद्धता भी जतायी है। लेकिन बैंकों ने अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे उपाय करे कि बैंक अपनी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित तौर पर पूरा कर सकें।
  • विशेषज्ञ समूह का सुझाव है कि राज्य और जिला स्तर पर किसानों की जीविका को बढ़ावा देने के लिए एक खास कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए ।राज्य स्तर पर इस कार्यक्रम की कमान मुख्यमंत्री के हाथों में और जिसा स्तर पर कलेक्टर के हाथों में सौंपी जाय।  इस कार्यक्रम को कारगर बनाने के लिए कुछ सहायक केंद्र बनाये जाये जिनके पास किसानों को को एकजुट करने, उनके लिए आर्थिक अवसर पहचानने और किसानों के लिए विभिन्न स्तर पर चल रही योजनाओं के बीच तालमेल बैठाने की पेशेवर दक्षता हो। इस कार्यक्रम में छोटे और सीमांत किसानों पर खास जोर दिया जाना चाहिए।
  • फसल के मारे जाने की स्थिति में फसली बीमा किसानों को संकट से उबारने का काम करती है। इसके महत्त्व को देखते हुए समूह का सुझाव है कि फसल बीमा योजना की समग्र समीक्षा होनी चाहिए और इसे कारगर बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति की सलाह ली जानी चाहिए।
  • अगर किसी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं तय किया गया है या फिर वह न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने वाले फसलो की श्रेणी में सामिल नहीं है परंतु उस फसल के दामों में कमी आने से किसान को संकट व्यापता है सरकार को चाहिए कि मूल्यों के उतार चढ़ाव के जोखिम से बचाने के लिए कायम किए गए फंड(प्राइस रिस्क मिटिगेशन फंड) से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करे।
  • ऐसी तकनीकी व्यवस्था कायम की जानी चाहिए कि सिंचाई के लिए वर्षाजल पर आधारित और किसानी के संकट से जूझ रहे जिलों में उपग्रह से प्राप्त  चित्रों के इस्तेमाल से पहले ही पता लगाया जा सके कि इलाके में उपज की हालात कैसे रहने वाले हैं। .
  • पचायत या प्रखंड स्तर पर ऐसी प्रयोगशालाएं प्रयाप्त संख्या में खोली जानी चाहिए जहां खाद, बीज, कीटनाशक आदि की गुणवत्ता परखी जा सके। 

 

 

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