नील माधब पांडा की फिल्म कड़वी हवा 24 नवंबर को सिनेमाघरं में रिलीज हो रही है। फिल्म में रणवीर शौरी और संजय मिश्रा की दमदार परफॉर्मेंस है। यह फिल्म सामाजिक मुद्दों पर बनाई गई है इसलिए आपको इसमें मनोरंजन वाले मसाले देखने को नहीं मिलेंगे बल्कि फिल्म देखते समय आपको सच्चाई का वो आईना दिखाई देगा, जिससे जाने-अनजाने हम जी चुराते हैं। फिल्म की कहानी दो बड़े मुद्दों जलवायु में आ रहे बदलाव, जलस्तर बढ़ने और सूखा पड़ने के इर्द-गिर्द बुनी गई है। कहानी आपको देश के विभिन्न हिस्सों में जारी मौसम बदलावों के बारे में बताती है। जैसे कोई राज्य सूखे से ग्रस्त है तो कहीं बाढ़ आ रही है। कहीं बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है तो कहीं लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
कहानी दो अलग-अलग राज्यों के व्यक्तियों की है। संजय मिश्रा ने फिल्म में एक अंधे व्यक्ति का किरदार निभाया है जो बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाके से है तो वहीं रणवीर शौरी ओढिशा के तटीय इलाके से ताल्लुक रखने वाले शख्स हैं। संजय का बेटा फसल उगाने के लिए लोन लेता है लेकिन बरसात ना होने की वजह से वह कर्जा चुका नहीं पाता है। जिसकी वजह से मिश्रा को हर समय यहीं चिंता रहती है कि कहीं उनका बेटा भी दूसरे किसानों की तरह आत्महत्या ना कर लें। ट्रेलर में एक लाइन है किसाने के लिए खेती से ज्यादा आसान है मौत को गले लगाना। जो काफी हद तक सही भी है। शौरी की बात करें तो उनका किरदार एक रिकवरी एजेंट का है जो पैसा कमाने के लिए अपने घर से दूर आते हैं। यहां आने के कुछ समय बाद उन्हें न्यूज द्वारा पता चलता है कि उनका पूरा परिवार बाढ़ की चपेट में आने वाला है क्योंकि जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
परिवार को बचाने के लिए शौरी मिश्रा से मदद मांगते हैं। दोनों की ही कोशिश अपने परिवार को बचाने की है। क्या दोनों आपसी सहयोग से अपने परिवार को मौत के मुंह से बचा पाएंगे? क्या दोनों जलवायु परिवर्तन से लड़ पाएंगे? यही है फिल्म की कहानी। निर्देशक नील ने उस विषय को बहुत ही बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारा है जिससे इस समय पूरी दुनिया पीड़ित है लेकिन कोई पहल नहीं करना चाहता। फिल्म समाज को झकझोरने वाली है ताकि हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दें क्योंकि आज नहीं तो कल इसकी चपेट में हम भी आ सकते हैं।