मुंबई। देश में इस साल सितंबर के दौरान डेबिट और क्रेडिट कार्डों के जरिये लेनदेन या भुगतान 84 फीसद उछलकर 74,090 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सितंबर, 2016 में यह आंकड़ा 40,130 करोड़ रुपये था।
यूरोपीय भुगतान समाधान प्रदाता वर्ल्डलाइन के अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। इस अध्ययन में कहा गया है कि सरकार की ओर से गैर नकदी लेनदेन को प्रोत्साहित करने की वजह से काडोर् के माध्यम से भुगतान में खासी वृद्धि हो रही है।
वर्ल्डलाइन ने रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि सभी पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल्स) पर सितंबर में लेनदेन 86 फीसद बढ़कर 37.8 करोड़ पर पहुंच गया। यह पिछले साल इसी महीने 20.3 करोड़ था। यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) के माध्यम से भुगतान में भी 85 फीसद की जोरदार बढ़ोतरी हुई है।
वर्ल्डलाइन के सीईओ (दक्षिण एशिया एवं मध्यपूर्व) दीपक चंदनानी ने कहा कि नोटबंदी के बाद लोगों को अपने दैनिक खर्चों का भुगतान डिजिटल तरीके से करना पड़ रहा है। हालांकि अब में नकदी पर्याप्त मात्रा में आ गई है।
इसके बावजूद डिजिटल भुगतान में खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अध्ययन के मुताबिक अगस्त, 2014 में लांच प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत करोड़ों भारतीयों के खाते खोले गए हैं।
इसके तहत कार्ड के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस साल सितंबर तक देश में कुल काडोर् की संख्या 85.3 करोड़ थी। इसमें 3.33 करोड़ क्रेडिट कार्ड तथा 81.98 करोड़ डेबिट कार्ड हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि डेबिट कार्ड की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2015 में जनधन खातों की वजह से डेबिट कार्ड की संख्या में 39 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
नोटबंदी के बाद डेबिट कार्ड की वृद्धि दर औसतन 22 प्रतिशत रही। वर्ष 2016 से 2017 के दौरान क्रेडिट कार्ड की वृद्धि दर 24 फीसद रही है। वर्ष 2011 से 2016 के दौरान क्रेडिट कार्ड की वृद्धि दर नौ फीसद रही है।