राहुल शर्मा, भोपाल। लाख कोशिश करने के बाद भी प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हाई स्कूल परीक्षा परिणाम इस बार भी सुधरने के आसार कम ही है। इसकी मुख्य वजह यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल में ही 60 फीसदी से ज्यादा छात्र गणित, विज्ञान और इंग्लिश में बेहद कमजोर साबित हुए हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
प्रदेश में पिछले चार साल से हाई स्कूल का परीक्षा परिणाम 55 फीसदी और उससे कम ही रहा है। ऐसी स्थिति में रिजल्ट सुधारने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने जतन तो खूब किए लेकिन हालात नहीं सुधरे। वार्षिक परीक्षा के पहले अब फिर से विभाग ने नए सिरे से बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम सुधारने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने जो रिपोर्ट जारी की है वह त्रैमासिक परीक्षा के आधार पर बनाई गई है।
चार चरण का फार्मूला
परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए विभाग ने चार चरण का फार्मूला तैयार किया है। साथ ही इसकी मियाद भी तय की है। जो चरण बनाए गए हैं उनमें सिखाना, फिर उसका रिव्यू, छात्रों की कमजोरी जानने के लिए टेस्ट और चौथा चरण टेस्ट से पता चली कमजोरी जानने के लिए फिर से उपचारात्मक अभ्यास करवाना है।
डी और ई ग्रेड में सबसे ज्यादा छात्र
विभाग की आंतरिक रिपोर्ट में हाई स्कूल म ई गे्रड यानि सबसे निचले स्तर पर। गणित में 60 प्रतिशत से ज्यादा छात्र डी और ई ग्रेड में रहे। नौवीं कक्षा की स्थिति कमोबेश ऐसी ही पाई गई। साथ ही यह भी पाया गया कि स्कूलों में रेमिडियल कक्षाओं का संचालन नहीं किया जा रहा है। इस कारण इसका सीधा असर परीक्षा परिणाम पर पड़ता है। अब रिमेडियल कक्षाओं का संचालन 31 जनवरी तक करना होगा।
खास बात यह है कि ये कक्षाएं चार विषयों के लिए अनिवार्य रूप से लगाई जाएंगी। इनमें विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और इंग्लिश शामिल है। इसी के साथ रिमेडियल कक्षाएं उन्हीं शिक्षकों को लेने के लिए कहा गया है जो उस कक्षा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि किस छात्र का क्या स्तर है और क्या समस्या है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की अपर परियोजना संचालक शिल्पा गुप्ता ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं कि परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए रोजाना दो पीरियड रेमिडियल टीचिंग के लिए स्कूल के समय लगाए जाएं। दसवीं का परीक्षा परिणाम बढ़ाने का लक्ष्य रखा जाए।
डी और ई ग्रेड में ये है जिलों की स्थिति
भोपाल – 65 फीसदी गणित में कमजोर, अन्य विषयों में भी इसके आसपास।
इंदौर – 78 प्रतिशत गणित में और इंग्लिश में 69 फीसदी कमजोर।
जबलपुर – यहां भी गणित में 71 और इंग्लिश में 68 प्रतिशत छात्र पाए गए फिसड्डी।