जयपुर। राजस्थान में धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए नौ वर्ष पहले पारित किया गया धर्म स्वातंत्र्य विधेयक अब जल्द लागू हो सकता है। इस पर जल्द ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने की सम्भावना है। यह विधेयक लागू होता है तो धर्म परिवर्तन से पहले जिला कलक्टर को सूचित करना होगा । जो लोग जबरन या किसी लोभ लालच से धर्म परिवर्तन कराते है, उन्हें एक से तीन साल तक की सजा हो सकेगी।
राजस्थान में धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले वर्ष 2006 में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक पारित किया गया था। सरकार ने इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा तो तत्कालीन राज्यपाल ने इसमें कुछ संशोधन सुझाते हुए इसे वापस सरकार को भेज दिया।
वर्ष 2008 में सरकार ने संशोधित विधेयक पारित किया तो यह राज्यपाल के यहां से तो मंजूर हो गया, लेकिन केन्द्र सरकार में जाकर अटक गया। इस वर्ष जून में केन्द्र सरकार ने विधेयक के बारे में सरकार से कुछ जानकारी मांगी गई।
सरकार के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने मीडिया से बातचीत में बताया कि केन्द्र सरकार ने जो जानकारी मांगी थी वह भेज दी गई है और केन्द्र ने यह भी पूछा था कि क्या यह संविधान के अनुरूप है तो इसका जवाब भी भेज दिया गया है। अब जैसे ही स्वीकृति आती है, इसे लागू कर दिया जाएगा।
कटारिया ने बताया कि बिल में जबरन या लालच के जरिए धर्म परिवर्तन कराने पर एक से तीन साल की सजा ओर अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला व अवयस्क के मामले में दो से पांच साल की सजा का प्रावधान है।
कोर्ट ने पूछा तो तेज हुई कार्रवाई-
दरअसल इस मामले में तेजी का एक बडा कारण राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ में आया एक केस भी रहा है। जोधपुर में पायल नाम की एक युवती के एक मुस्लिम युवक से शादी और धर्म परिवर्तन का मामला हाल में आया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि राजस्थान में धर्म परिवर्तन के लिए क्या नियम बने हुए है।
कोर्ट में यह केस लगने के बाद सरकार ने इस विधेयक पर कार्रवाई तेज कर दी। पिछले दिनों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलीं तो उन्होंने इस बिल को मंजूरी दिलाने का आग्रह किया। बताया जाता है कि यह बिल केन्द्रीय गृह मंत्रालय से अब विधि मंत्रालय पहुंच गया है और वहां से इसे जल्द ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है।
इस मामले में मंगलवार को भी हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और सरकार की ओर से यही जवाब पेश किया गया कि सरकार ने धर्म परिवर्तन के सम्बन्ध में एक बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा हुआ है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 नवम्बर को करने के आदेश दिए है