योगेंद्र ठाकुर, दंतेवाड़ा। बस्तर के जंगलों में पाए जाने वाले कंद-मूल और आदिवासियों ने अन्य जंगली भोज्य पदार्थों पर शोध होगा। इतना ही नहीं बस्तरिया बीयर सलफी पर भी कार्य किया जाएगा। प्राकृतिक रुप से पेड़ से निकलने वाले इस रस को अधिक समय तक प्रिजर्व करने पर कार्य होगा।
इसके लिए वैज्ञानिकों ने रुचि दिखाई है। 14 नवंबर को दंतेवाड़ा में होने वाले आदिवासी उद्यमिता सम्मेलन के बाद जिला प्रशासन के साथ डिफेंस फूड रिसर्च लैब अनुबंध करेगा।
जावंगा एजुकेशन सिटी में होने वाले वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन में शामिल होने वाले देशी-विदेशी उद्यमियों के बीच बस्तर के आदिवासी उत्पाद का भी प्रदर्शन होगा। साथ ही यहां जैविक उत्पाद (धान, लघु धान्य), कड़कनाथ, शहद को बड़े शहरों में बिक्री के लिए कंपनियों के साथ अनुबंध होगा।
सम्मेलन में डिफेंस फूड रिचर्स लैब के अधिकारी और वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। जिनकी रूचि बस्तर के जंगल में पाए जाने वाले औषधीय पौधे, आदिवासियों के भोज्य सामग्री और बस्तरिया बीयर सलफी पर है।
सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के फूड रिसर्च लैब की टीम बस्तरिया बीयर सलफी को अधिक समय तक प्रिजर्व कर महानगर पहुंचाने पर शोध करेंगे। वहीं बस्तर के लोग जंगलों में अपनी बीमारियों पर जड़ी-बूटियों का किस तरह इस्तेमाल करते हैं और रोजना के भोजन में कौन-कौन से कंद-मूल और पत्तों का उपयोग करते है। इस पर भी शोध करेंगे।