कवर्धा। किसान बजरहा ने अपने बाड़ी में कुआं क्या खुदवायां उससे उनकी तकदीर ही बदल गई। साल भर काम की तलाश में भटकने वाला यह किसान अब दूसरों को रोजगार देने लगा है। कुआं खुदवाने से उन्हें सिंचाई का साधन मिल गया है।
धान का फसल लेने के बाद अब गर्मी में गेहूं का फसल लेता है और साग-सब्जियां की खेती भी करता है। उसे कुआं खुदवाने में सरकार की ओर से 2 लाख 21 हजार रुपए मिला।
वह खुद मजदूरी कर 96 हजार रुपए भी कमा लिया। अब तकनीकी पद्घति से खेती भी करने लगा है। किसान बजरहा की कुएं ने उनकी जिंदगी ही बदल दी है। खरीफ के मौसम में धान, रबी के मौसम में गेहूं, साग सब्जी लगाकर अपना घर चला रहा है। यह कहानी बजरहा पिता हरि की है।
रणवीरपुर गांव में रहने वाले बजरहा ने अपने घर से लगे हुए खेत में कुआं क्या बनाया उन्हें तो बारह माह रोजगार ही मिल गया है। धान बेचकर पैसे भी कमाए और घर में खाने के लिए उन्हें अच्छा चावल भी मिल गया। मौसमी साग-सब्जी इतना हुआ की बाजार में बेचकर उससे दो पैसे भी कमा लिए और अपने लिए बचा भी लिए।
धान के बाद वह गेहूं की खेती भी करता है। कुआं का पानी मिलने से बजरहा के पास साल भर का काम तो मिला ही दो पैसे की आवक से रोजी रोटी की चिन्ता भी दूर हो गई। महात्मा गांधी नरेगा योजना से बजरहा ने अपने खेत में पक्का कुएं का निर्माण कराया।
खेत में लहलहा रही फसल
कुआं बन जाने से बजरहा अपने खेत में लगाए गए गेहूं एवं फूलगोभी, टमाटर, लाल भाजी, मेथी भाजी की सब्जी के लिए पाइप के द्वारा चारों ओर सिंचाई का साधन बना लिया है इससे लगभग एक हेक्टेयर के जगह में खेती का काम आसानी से हो जाता है।
किसान बजरहा का कहना है कि कुआं बनने के पहले मौसम पर खेती का काम निर्भर था केवल धान की एक फसल ही ले पाता था उसमें भी साल दो साल पहले सूखा पड़ने के कारण बहुत नुकसान उठाया था।