रायपुर। रायपुर जिले से लगे गांवों को सरकार ने भले ही ओडीएफ घोषित कर दिया है, लेकिन शौचालय मुक्त गांव बनने के लिए इन ग्राम पंचायतों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। पंचायतों ने दबाव में 14 वित्तीय योजनाओं के तहत जारी राशि यानी मूलभूत सुविधाओं के लिए मिलने वाले पैसों को शौचालय बनवाने में खर्च कर दिए।
अब वे कंगाल हो गई हैं, ऊपर से लाखों का भुगतान भी बाकी है। दूसरे मद की राशि को ओडीएफ में खर्च करने से ग्रामीणों में भी आक्रोश है। मिली जानकारी के अनुसार ओडीएफ के लिए केंद्रीय योजना के तहत रकम का भुगतान नहीं हो रहा, नतीजतन पंचायतों में अभी भी 60 लाख रुपए से अधिक का पेमेंट बाकी है।
एक गांव में निर्मित शौचालयों का 8 से 15 लाख रुपए तक का भुगतान बाकी है। लोगों ने पंचायतों के भरोसे शौचालय बनवा लिए, अब इसके बदलने सरकार की तरफ से मिलने वाले 12 हजार रुपए के लिए वे पंचायतों पर बना रहे हैं, इससे माहौल बिगड़ रहा है।
जनपद पंचायत अभनपुर के सभापति टिकेंद्र सिंह ठाकुर के मुताबिक उनके ब्लॉक में अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां शौचालय निर्माण का भुगतान नहीं हो सका है। समय पर राशि नहीं मिलने से गुणवत्ताहीन शौचालय बनाए जा रहे हैं।
चंदखुरी में 400 शौचालयों का भुगतान बाकी
शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर चंदुखरी में 400 शौचालय बनाए गए हैं। इनका भुगतान अब तक नहीं हो सका है। सरपंच ने दूसरे मद की राशि शौचालय के लिए खर्च किए। वहीं ग्रामीणों को शौचालय बनवाने के लिए जो प्रोत्साहन राशि मिलनी है, वह भी नहीं मिली। वे दबाव बना रहे हैं।
जुलूम में सिर्फ 55 फीसदी ही भुगतान
अभनपुर ब्लॉक के ग्राम जुलूम में शौचालय बनाने के लिए 55 फीसदी राशि मिली है। गांव को ओडीएफ बनाने के लिए दो बार सर्वे कराया गया। इसके बाद 370 घरों में शौचालय निर्माण करने की आवश्यकता बताते हुए रिपोर्ट बनाई गई। इनके निर्माण में 14 वित्तीय योजना की राशि खर्च की गई। अभी लगभग 10 लाख रुपए का भुगतान बाकी है।
प्रतिव्यक्ति विकास खर्च 444 रुपए
ग्राम पंचायतों को 14 वित्तीय योजना के अंतर्गत प्रति व्यक्ति विकास खर्च के रूप में 444 रुपए मिलते हैं। अगर किसी गांव की आबादी 1 हजार है तो प्रावधान के अनुसार उस गांव को 4 लाख 44 हजार रुपए हर वर्ष मिलेंगे। इस योजना की राशि से मूलभूत सुविधाएं पूरी करने और दूसरे विकास कार्यों पर खर्च करने का प्रावधान है।