इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) इंदौर ने गेहूं की नई वैरायटी ईजाद की है। इसे प्रमाणित करने के लिए सेंट्रल वैरायटी रिलीज कमेटी (सीवीआरसी) में जमा किया गया है। इसे किसानों तक पहुंचने में लगभग एक साल लगेगा। इसकी विशेषता है कि इसमें बीटा कैरोटीन, आयरन, जिंक व प्रोटीन भरपूर मात्रा में है, जो एनिमिया से बचाने के साथ मनुष्यों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
आईएआरआई के प्रधान वैज्ञानिक एसवी सांई प्रसाद ने बताया कि इसमें बीटा कैरोटीन, आयरन 48.7 पाट्स पर मिलियन (पीपीपी), जिंक 43.7 पीपीपी व प्रोटीन अधिक मात्रा में है। ये तत्व मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक हैं। बीटा कैरोटीन सन बर्न कम करने और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए लाभदायक है।
इस गेहूं में गेरुआ व करनाल बंट रोग की आशंका भी कम रहती है। आईएआरआई ने वाराणसी वर्कशॉप में एचआई 8777 वैरायटी आइडेंटिफाइड की थी। इसे पूसा बीट 8777 नाम दिया गया। इसे आईएआरआई ने सीवीआरसी को भेजा है। अन्य गेहूं की अपेक्षा यह किस्म चमकदार और आकर्षक है।
इसलिए महत्वपूर्ण है बीटा कैरोटीन
बीटा कैरोटीन एक एंटी ऑक्सीडेंट और इम्यून सिस्टम बूस्टर के रूप में काम करता है। यह शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) से रक्षा करता है और इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को मजबूत बनाता है। यह विटामिन-ए का अच्छा स्रोत है, जो त्वचा में सूर्य से होने वाले नुकसान को कम करता है। इसे निरंतर लेते रहने से नेत्र रोग, कैंसर व हृदय संबंधी बीमािरयां होने की आशंका कम होती है। वहीं आयरन की कमी को दूर कर नवजात, किशोरों व गर्भवतियों में होने वाली खून की कमी को दूर करता है।
कम पानी में अच्छी पैदावार
वैज्ञानिक एके सिंह ने बताया कि पूसा 8777 समुद्र तटीय क्षेत्रों जैसे कर्नाटक व महाराष्ट्र में भी अच्छी पैदावार देगी। वहीं मध्यप्रदेश के ऐसे किसान जिनके पास पानी की कमी है वे एक या दो बार की सिंचाई में 40 से 45 क्विंटल पैदावार ले सकते हैं। इस फसल को 105 दिन में काटा जा सकता है।