देश में सिर्फ पांच से सात बड़े बैंकों की जरूरत : अरविंद सुब्रमणियन

नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए सरकार की तरफ से 2.11 लाख करोड रुपये के पूंजी समर्थन की घोषणा के एक दिन बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने आज बैंकिंग क्षेत्र में सुदृढीकरण और एकीकरण पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि देश में आदर्श रुप से पांच से सात बडे बैंक ही होने चाहिये.


शिरोमणि गुरतेग बहादुर खालसा (एसजीटीबी) कालेज में एक कार्यक्रम में यहां सुब्रमणियन ने कहा कि आने वाले समय के बैंकिंग परिवेश में देश में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में ऐसे बडे बैंक होने चाहिये जो घरेलू स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी हों. उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुये कहा कि वहां चार बड़े बैंक हैं जो कि इस समय दुनिया के बड़े बैंकों में गिने जाते हैं. सुब्रमणियन ने कहा, बडा सवाल आज यह उठ रहा है कि क्या बैंकिंग प्रणाली में निजी क्षेत्र की ज्यादा बहुलांश हिस्सेदारी होनी चाहिये?


आज से पाच से दस साल के दौरान भारत के लिये किस तरह का बैंकिंग ढांचा बेहतर होगा. मूल रुप से भारत को …. हमें आदर्श रुप से पांच, छह, सात बड़े बैंकों की जरुरत है. ये बैंक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में होने चाहिये. ये बैंक घरेलू स्तर के साथ – साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने चाहिये. सुबमणियन ने इस मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी का हवाला देते हुये कहा कि उद्देश्य यह होना चाहिये कि न चलने लायक बैंकों के लिए जगह कम से कम हो. बैंकों में नई पूंजी के बारे में उन्होंने कहा कि यह प्रोत्साहन और चुनींदा आधार पर होना चाहिये. यह उन बैंकों के लिये होना चाहिये जहां नये कर्ज सृजन की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो.

उन्होंने कहा, आज जबकि सभी बैंकों को न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता को बनाये रखना है, ऐसे में एक संभावना यह भी है कि जो बैंक चलाने लायक नहीं है उन्हें उनकी मौजूदा बैलेंस सीट आकार के अनुरुप उनके पूंजी पर्याप्तता अनुपात को पूरा करने के लिए पूंजी उपलब्ध कराई जाये जिसमें उनकी वृद्धि के लिए कोई अलग से प्रावधान शामिल न हो. उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल एनपीए के बोझ तले दबे बैंकों के पूंजी आधार को मजबूत बनाने के लिये 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की.

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