रवींद्र कैलासिया, भोपाल। पुलिस थाने में कम्प्यूटर के सामने बैठकर अपनी फरियाद लिखवाने के लिए कुछ दिनों बाद पुलिसकर्मी की टाइपिंग स्पीड से पीड़ित को जूझना नहीं पड़ेगा। इसके लिए पुलिस गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की तरह अपना खुद का ‘स्पीच टू टेक्स्ट’ ऐप डेवलप कर रही है। थाने में बैठा पुलिसकर्मी कम्प्यूटर के सामने पीड़ित की फरियाद बोलते जाएंगे और कुछ मिनट में ही उसका प्रिंट भी मिल जाएगा।
भारतीय पुलिस सेवा के 2013 बैच के दो अधिकारी सूरज वर्मा और हितेष चौधरी स्पीच टू टेक्स्ट टेक्नोलॉजी को लेकर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ प्रोग्राम को करने वाली भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी ‘लिव डॉट एआई’ के माध्यम से मप्र पुलिस के लिए यह टेक्नोलॉजी लाने का प्रयास किया जा रहा है।
यह रहेगी सुविधा
थाने में एफआईआर लिखाना हो या पुलिस के विवेचक को डायरी लिखना हो या डायल 100 वैन में बैठे पुलिसकर्मी को एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) लिखना, सभी में कम्प्यूटर या टैब पर टाइप करने की झंझट से पुलिस कर्मचारी को मुक्ति मिल जाएगी।
मौजूदा व्यवस्था में एफआईआर कराने के लिए पीड़ित को काफी देर तक टाइप करने वाले पुलिसकर्मी के इंतजार में रुकना पड़ता है। इसी तरह थाने के विवेचक डायरी लिखने के बाद कंप्यूटर पर टाइप करने लिए एक सिपाही को सौंप देते हैं और इसी तरह थाना प्रभारी भी सिपाही से ही कम्प्यूटर में टाइप कराता है। तब तक रोजनामचा आगे के काम के लिए रोक दिया जाता है।
आगे क्या: सभी थाने जुड़ जाएंगे
कम्प्यूटर पर टाइप करने के स्थान पर उसके सामने बोलकर लिखने वाली टेक्नोलॉजी आने पर इसे भी सीसीटीएनएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इससे मप्र के सभी पुलिस थानों में यह सिस्टम काम करना शुरू कर देगा।