प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना "प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना" (पीएमकेवीआवाई) अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है। जुलाई 2017 के पहले हफ्ते तक के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत जिन 30.67 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया था उनमें से 2.9 लाख लोगों को ही नौकरी के प्रस्ताव मिले। यानी योजना के तहत प्रशिक्षण पाने वालों में 10 प्रतिशत से भी कम को नौकरी हासिल हो सकी। सूत्रों के अनुसार योजना के इच्छित परिणाम न देने को भापंते हुए केंद्र सरकार अब इसे जिला स्तर पर कम समय में लोगों को प्रशिक्षण करके स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने पर ध्यान दे रही है। पिछले वित्त वर्ष तक कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण देने वालों को नौकरी पाने वालें से जुड़े आंकड़े नहीं देने होते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2016 को 1200 करोड़ रुपये के बजट के साथ कौशल विकास योजना शुरू की थी।
सूत्रों के अनुसार कौशल विकास के तहत युवाओं को बहुत कम रोजगार मिलने की बात सरकार समझ चुकी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि अब इस योजना में राज्य की पहले से ज्यादा भागीदारी पर जोर दिया जाएगा। जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उनका काम जिला स्तर पर कौश विकास प्रशिक्षण दिलाना और उसकी निगरानी करना होगा। अधिकारियों के अनुसार कौशल विकास के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता कई बार बाजार की जरूरत के अनुरूप नहीं होती।
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