देवेन्द्र कुमार गौड़, सोईंकलां। रोज सुबह 8 बजे के करीब पूरा गांव खाली बर्तनों के साथ कुल्हाड़ी और लाठियां लेकर पार्वती नदी के किनारे इकट्ठा होता है। इसके बाद कुल्हाड़ी, लाठी या अन्य नुकीले हथियारों से नदी किनारे पानी में हलचल मचाना शुरू करते हैं। जब मगरमच्छ-घड़ियाल भाग जाते हैं तब एक-एक करके खाली बर्तनों को नदी से भरते हैं। पीने के पानी के लिए यह जद्दोजहद श्योपुर तहसील के तीन गांव दलारना, ईचनाखेड़ली और मलारना में रोज सुबह होती है।
दरअअसल, ईचनाखेड़ली दलारना और मलारना गांव में जो हैंडपंप, बोर व कुएं हैं उनमें इतना खारा पानी आता है। इसलिए इन तीनों गांवों के लोग पानी के लिए एक किमी दूर बहती पार्वती नदी पर निर्भर हैं। नदी में घड़ियाल और मगरमच्छ कई बार मवेशियों को अपना शिकार बना चुके हैं।
अफसरों की चेतावनी के बात और बढ़ी सतर्कता
इसकी खबर घड़ियाल सेंक्चुरी के अफसरों को भी है। तभी तो घड़ियाल सेंक्चुरी के कर्मचारियांे ने इन तीनों गांवों में ऐलान करवा दिया है कि वह पार्वती नदी किनारे न जाएं, नदी में घड़ियाल व मगरमच्छ हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह शौक नहीं, बल्कि मजबूरी है।
इनका कहना है
गांव के हैंडपंप व बोर से इतना खारा पानी निकलता है कि, कोई मेहमान भी गलती से यह पानी पी जाता है तो पेट दर्द, दस्त-उल्टियां होने लगती हैं। इसलिए नदी का पानी हमारी मजबूरी है।
जगीबाई निवासी ईचनाखेड़ली
घड़ियाल सेंक्चुरी के कर्मचारी ग्रामीणों से बोल गए हैं कि नदी पर पानी लेने न जाएं। लेकिन गांव में पीने का मीठा पानी है नहीं। सांसद-विधायक के चुनाव में नेताओं ने कहा कि पाइप लाइन बिछाएंगे उस पर भी कुछ नहीं हुआ।
मांगीलाल गुर्जर सरपंच, दलारना
दलारना-मलारना गांव के लिए हनुमान मंदिर के पास बोर है, उससे ग्रामीण पानी लेते हैं। ईचनाखेड़ली गांव में पीने के पानी का संकट है वहां लोग नदी में जाते हैं। जल्द ही इस गांव में नलजल योजना का काम करवाया जाएगा।
दुर्गालाल विजय विधायक, श्योपुर