रेल मंत्री सुरेश प्रभु के 3 साल के कार्यकाल में करीब 700 लोग रेल हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं. ये आंकड़ा साल 2014-15 से अब तक का है. इस दौरान 346 छोटे बड़े रेल हादसे हुए हैं. रेल सुरक्षा पर बड़े-बड़े दावों के बाद भी मुसाफिरों की जान भारतीय रेल में सुरक्षित नहीं है. इससे पहले लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते साल 2004-05 से 2006-07 तक 663 रेल हादसे हुए थे जिनमें 759 लोगों की मौत हुई थी.
मुजफ्फरनगर में हुए रेल हादसे को एक सप्ताह भी पूरा नहीं हुआ है और कानपुर के पास औरैया जिले में आजमगढ़ से दिल्ली आने वाली कैफियात एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार हो गई. डंपर से टकरा कर ट्रेन की 10 बोगियां डिरेल हो गई. इस हादसे में करीब 74 यात्री घायल हुए हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है.
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