न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने 29 वर्षीय महिला की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. महिला ने हाल ही में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का एक मामला दायर करते हुए बलात्कार के एक मामले में उसके खिलाफ अभियोजन की मांग की थी. महिला ने बलात्कार का यह मामला इस व्यक्ति से 2015 में शादी करने से पहले दर्ज कराया था. महिला ने हाइकोर्ट का रुख कर निचली अदालत के मार्च 2016 के आदेश को चुनौती दी थी. इस आदेश के तहत महिला के पति को बरी किया गया था. अदालत ने कहा कि इसने कई मामलों में कहा है कि दो लोग अपनी इच्छा और पसंद से आपसी शारीरिक संबंध बनाते हैं और जब किसी कारण से संबंध टूट जाता है, तब महिलाएं निजी प्रतिशोध के औजार के तौर पर कानून का इस्तेमाल करती हैं.