छह लाख पेंशनधारी फर्जी अब खाते में जायेगी राशि

पटना : प्रदेश में छह लाख पेंशनधारी फर्जी हैं, जिन्हें अब किसी प्रकार की पेंशन की राशि नहीं दी जायेगी. इसका खुलासा शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित समाज कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में हुआ. बैठक में दिव्यांगों की सुविधा के लिए हर अनुमंडल में बुनियादी केंद्र खोलने और राज्य भर में मोबाइल थेरेपी वैन चलाने का निर्णय लिया गया.

वहीं, महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों के लिए चल रही अलग-अलग योजनाओं को जोड़ कर एक योजना बनाने का निर्णय लिया गया. साथ ही कबीर अंत्येष्टि के तहत अब मुखिया को 15,000 की राशि के बजाय कार्ड दिया जायेगा, जिससे वे जरूरत पड़ने पर राशि निकाल सकेंगे. इसके अलावा किन्नरों की समस्याओं के समाधान के लिए किन्नर बोर्ड बनाने, ओिड़शा के तर्ज पर बिहार के हर पंचायत में श्मशान घाट बनाने का भी निर्णय लिया गया.

बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश के 67 लाख लोगों को समाज कल्याण विभाग से विभिन्न प्रकार की पेंशन दी जाती थी, लेकिन सरकार ने जब पेंशनधारियों का बैंक खाता लिया और उसमें सीधे राशि देने की बात की, तो पता चला कि छह लाख पेंशनधारी फर्जी हैं. अब तक कैंप लगा लोगों को पेंशन की राशि दी जाती थी. इससे समय पर पेंशन पाने वालों को राशि नहीं मिल पाती थी और गलत लोग भी इसका लाभ ले लेते थे. ऐसे में राज्य सरकार ने आरटीपीजीएस के तहत सीधे बैंक खातों में राशि भेजने का निर्णय लिया है.

पेंशनधारियों के खातों को आधार कार्ड से भी जोड़ा जा रहा है और फिलहाल तीन महीने की पेंशन की राशि एक साथ दी जा रही है. विभाग जल्द ही ऐसी व्यवस्था करेगा कि पेंशनधारियों को हर महीने पेंशन की राशि मिल सके. ऐसे में किसी पेंशनधारी का निधन हो जाये, तो उनका नाम हटाने में भी सहूलियत होगी.

उन्होंने कहा कि फर्जी पेंशनधारियों की देश भर में यही स्थिति है. हर जगहों पर करीब 10% फर्जी लोग ऐसे स्कीम का लाभ उठाते हैं, लेकिन अब बिहार में वे इसका लाभ नहीं उठा सकेंगे. मुख्य सचिव ने बताया कि कबीर अंत्येष्टि के तहत अब तक मुखिया को 3000 रुपये की दर से पांच मृतकों की अंत्येष्टि के लिए 15 हजार रुपये दिये जाते थे, लेकिन अब सरकार ने राशि की जगह कार्ड देने का निर्णय लिया है. इससे मुखिया कबीर अंत्येष्टि के लिए निर्धारित 15 हजार से ज्यादा की राशि निकाल सकेंगे. इसके मॉनीटरिंग के लिए एप भी बनाया गया है. वहीं, ओडिशा के तर्ज पर बिहार की हर पंचायत में आधुनिक श्मशान घाट बनेगा. इसमें बारिश में भी दो शव आसानी से जलाये जा सकेंगे.
छह बड़ी योजनाओं में शामिल होंगी 30 छोटी-बड़ी योजनाएं

मुख्य सचिव ने बताया कि समाज कल्याण विभाग में करीब 30 छोटी-बड़ी योजनाएं चलती हैं. मुख्यमंत्री ने इन्हें पांच-छह बड़ी योजनाएं बना कर उनमें शामिल करने का निर्देश दिया है. महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों के लिए चलने वाली अलग-अलग योजनाओं को जोड़ कर एक ही योजना बनाने का भी फैसला हुआ है. उन्होंने कहा किकन्या योजना में बदलाव किया जायेगा. इसमें 2000 रुपये जमा किये जाते थे, लेकिन उसकी ब्याज दर में समस्या आ रही थी. ऐसे में इस योजना की फिर से समीक्षा की जरूरत है.

बैठक में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, समाज कल्याण मंत्री कुमार मंजू वर्मा, प्रधान सचिव अतुल प्रसाद, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, सचिव मनीष कुमार समेत अन्य मौजूद थे.

दिव्यांगों के लिए बुनियादी केंद्र चलेगी मोबाइल थेरेपी वैन

मुख्य सचिव ने बताया कि दिव्यांगों को सुविधा के हर अनुमंडल में बुनियादी केंद्र खोले जा रहे हैं. दिव्यांगों को अब किसी काम के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. 101 अनुमंडलों में इस केंद्र को खोलना है, लेकिन फिलहाल 27 जिलों में केंद्र तैयार हो चुका है. वहीं, दिव्यांगों के लिए सरकार मोबाइल थेरेपी वैन भी चलाने जा रहा है. यह वैन वैसे दिव्यांग, जो बुनियादी केंद्र तक नहीं आ सकते हैं, उनके घरों में जायेगी. इस वैन में इलाज का समान, किसी प्रकार की जांच के साथ-साथ सर्टिफिकेट देने की भी सुविधा होगी. अगले सप्ताह इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. साथ ही मुख्यमंत्री ने दिव्यांगों के लिए अलग से निदेशालय बनाने का भी निर्देश दिया है.

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