सरदार सरोवर बांध : बन सकता है 2013 की बाढ़ जैसा मंजर

सरदार सरोवर बांध से रुमनी घोष। विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियां जहां थमती है…उसके बीचों बीच खड़ा सरदार सरोवर बांध अब पूरा हो जाने को बेताब है। प्रोजेक्ट शुरू होने से लेकर अब तक इसे तिल-तिल बढ़ते और बनते देख रहे 2000 से अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर बांध की ऊंची-ऊंची दीवारें, बड़ी-बड़ी मशीनें, तीन राज्यों के लिए बिजली पैदा करती टर्बाइनें, हजारों किमी लंबी कनालों से बहकर खेतों में पहुंच रहा पानी और जंगल सब इस बात के गवाह हैं कि 38 साल पहले देखे गए एक सपने के पूरे होने के क्या मायने है।
 

43 हजार से ज्यादा परिवारों के विस्थापन के दर्द से इसकी तुलना नहीं की जा सकती पर हजारों लोगों ने मिलकर इंजीनियरिंग का जो नमूना तैयार किया है उसे भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। आज की तारीख में यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 31 जुलाई 2017 (विस्थापन पूर्ण करवाने) का इंतजार हो रहा है।

 

 

बांधस्थल के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर बीएन पटेल बताते हैं अगस्त माह में इसे धीरे धीरे 130 मीटर तक भर देंगे। इससे ज्यादा पानी आने पर बांध के 30 गेट खोल दिए जाएंगे। इससे मध्यप्रदेश के डूब इलाकों में 2013 के बाढ़ में जो स्थिति बनी थी वो नजारा बन सकता है।
 

 

 

सितंबर महीने में इसे पूरी क्षमता (138.68 मीटर) से भरने की कोशिश करेंगे। वे कहते हैं इस बांध से हम सिर्फ गुजरात के 15 जिलों के 3112 गांवों में सिंचाई का पानी ही नहीं पहुंचा रहे हैं बल्कि राजस्थान के दो गांव जैसोर और बाड़मेर जैसे सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचा दिया, जहां कहीं से भी पानी नहीं पहुंच सकता था।
 

 

 

130 मीटर के बाद करेंगे 10 दिन की निगरानी

 

 

अगसत 2013 में जब बाढ़ आया था तब बांध में स्वाभाविक तौर पर 131 मीटर तक पानी भर गया था। उस समय मध्यप्रदेश में जहां तक बैकवॉटर का पानी भह गया था, 130 मीटर में वो इलाके डूब में आ जाएंगे। 130 मीटर पानी भरने के बाद 10 दिन निगरानी में रखेंगे। उसके बाद बारिश का पानी आया तो सितंबर में धीरे धीरे प्रति 48 घंटे में 0.38 मीटर तक ले जाते हुए 138.68 मीटर तक पानी भरेंगे।

 

 

डॉ. एम बी जोशी, जनरल मैनजर (टेक्नीकल) सरदार सरोवर नर्मदा निगम (गुजरात)

 

 

बांध में पानी भरते ही बैक वॉटर भरने लगेगा

 

 

बांध में पानी भरते ही बैक वॉटर आने लगेगा। हालांकि यह चरण बद्ध और साइंटिफिक तरीके से होगा। कहीं भी एकाएक पानी नहीं भर जाएगा।

 

 

एम.के. सिन्हा, एक्जीक्यूटिव मेंबर नर्मदा कंट्रोल अथोरिटी,इंदौर

 

 

सरदार सरोवर बांध् को देखने के लिए इन दिनों लोगों को हुजूम बढ़ गया है। पर्यटकों में से एक बड़ा वर्ग है जो सिर्फ यहां की खूबसूरती नहीं बल्कि इंजीनियरिंग को समझने भी आ रहे हैं। उन सबकी सामान्य जिज्ञासाएं शांत करने में जुटे हैं वॉचमैन रमेश भांणा। बांध ठीक पीछे एक किमी दूर ही उनका गांव था। बांधबनना शुरू होतेही उसका सब डूब गया। बांधस्थल के पास ही 5 एकड़ जमीन मिली और साथ में वॉचमैन की नौकरी। तब से वे घर डूबोकर बांध की चौकीदार कर रहे हैं। कहते हैं घर डूबने की बात अब याद नहीं करना चाहता। याद रखना चाहता हूं कि इस बांधसे बहुत को फायदा होगा।

 

सवाल बहुत तकनीकी न हो तो कोई ऐसा जवाब नहीं, जो उनके पास नहीं है। फोटो गैलरी में लगी तस्वीरें दिखाकर वे बांध के 38 साल का सफर ऐसे समझाते हैं मानों सब सामने ही बन रहा हो। बांधके पास ही बने तीन राज्यों के अलग-अलग ग्रीड को दिखाते हुए वे कहते हैं आपके मध्यप्रदेश में इससे ही सबसे ज्यादा 57 फीसदी बिजली भेज रहे हैं हम।

 

 

कनाल के दोनों ओर प्लांटेशन

 

 

मध्यप्रदेश के आलीराजपुर से गुजरात स्थित सरदार सरोवर बांध स्‍थल की दूरी लगभग 150 किमी है। बोड़ेली (गुजरात) से कनाल के किनारे-किनारे लगभग 55 किमी की सड़क सीधे बांध तक पहुंचा देती है। सरदार सरोवर निगम की बेवसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार बांध निर्माण के दौरान काटे गए जंगल की तुलना में 40 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्लांटेशन किया गया है।

 

 

कनाल के दोनों ओर बेशकीमती सागवान और दूसरे प्लांटेशन देखकर यह बात काफी हद तक सही नजर आती है। पहाड़ों को काटकर दी गई झड़नें की शक्ल, जगह जगह झील, पास व्यवस्था, चौकियां व सुरक्षा बंदोबस्त देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में इसे बेहतरीन पर्यटन स्थल में तब्दील कर दिया जाएगा।

 

 

फैक्ट्स एंड फिगर्स

 

 

एक नजर में सरदार सरोवर बांध

 

 

– 1210 मीटर लंबा, 163 मीटर ऊंचाई (सबसे गहरे पाए से)

 

 

– 4.75 मिलीयन एकड़ फीट पानी भरने की क्षमता,इतनी क्षमता वाला दूसरा बांध (एक एकड़ के खेत में एक फीट पानी भर दिया जाए तो उसे एकड़ फीट कहते हैं)

 

 

– 1.905 मिलियन हेक्टेयर खेती भूमि की सिंचाई, जिसमें से 1.84 मिलियन हेक्टेयर सिंचाई गुजरात, शेष .246 मिलीयन हेक्टेयर राजस्थान के दो जिलों में, 1 मिलिनीय किसानों को फायदा)

 

 

– 75000 किमी लंबे कनाल से गुजरात और राजस्थान के खेतों तक पहुंचाया जा रहा है पानी। अभी 50,000 किमी तक कनाल बिछ चुका है।

 

 

– 1450 मेगावाट बिजली उत्पादन, जिसमें से 57 फीसदी मध्यप्रदेश को, 27 फीसदी महाराष्ट्र और 16 फीसदी गुजरात को मिल रही है

 

 

– 88000 किमी तक फैलेगा बैकवॉटर बांध भरने के बाद (138.68 मीटर)

 

 

– 1979 में प्रोजेक्ट शुरू हुआ, विरोध्‍ विस्थापन के मुद्दों पर लंबी लड़ाई के बाद 1987 से बांध बनने का काम शुरू हुआ।

 

 

– 12 जून 2014 को 138.68 मीटर पर बांध का गेट लगाने का काम पूरा हुआ। 16 जून 2017 को गेट लगा दिया गया।

 

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