भोपाल। प्याज के बाद अब सरकार को मूंग की चिंता सताने लगी है। अब तक एक लाख टन से ज्यादा की खरीदी हो चुकी है और मूंग की आवक कम होने का नाम नहीं ले रही है। पुरानी और औसत दर्जे की मूंग लेने को लेकर खरीदी एजेंसियों पर दबाव बनाया जा रहा है। उधर, साढ़े सात लाख टन प्याज आने से इसे खपाने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम विदेश और दूसरे राज्यों में संभावनाएं तलाश रहा है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में गर्मी की मूंग का रकबा 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर के आसपास है। इसमें उत्पादन करीब तीन लाख टन हो सकता है। सरकार ने इसे 5 हजार 50 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया है।
इसका फायदा उठाकर किसानों ने पुरानी के साथ औसत दर्जे की मूंग खपाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कई जगह से कम गुणवत्ता के साथ पुरानी मूंग खपाने की शिकायतें मिली हैं। नाफेड ने कृषि विभाग से कहा है कि मंडी और खरीदी केंद्रों में उसके सर्वेयरों को धमकाया जा रहा है। मूंग खरीदने से इनकार करने पर मारपीट की जा रही है। उधर, रायसेन सहित कुछ जिलों में किसानों का भुगतान अटक गया है।
खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक साढ़े सात लाख टन प्याज खरीदी जा चुकी है। इसे खपाने के लिए दूसरे राज्यों के नागरिक आपूर्ति निगम से बात की गई है। वहीं, विदेश भेजने के लिए भी कुछ एजेंटों ने संपर्क किया है पर वे उधार में सौदा करना चाहते हैं, जो सरकारी व्यवस्था में संभव नहीं है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में दो-तीन दिन पूरे प्रदेश में प्याज की बिक्री दो रुपए किलोग्राम के हिसाब से शुरू कर दी जाएगी।