नई दिल्ली। देश में कीमतें मानसून और तेल मूल्यों जैसे कई कारकों पर निर्भर हैं। इन पर न तो रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और न ही सरकार का कोई नियंत्रण है।
इसलिए महंगाई दर का लक्ष्य तय करना भारत में काम नहीं आएगा। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने एक कार्यक्रम में यह बात कही।
जालान के मुताबिक महंगाई दर का लक्ष्य तय करने की नीति अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में सफल हो सकती है। भारत में जहां बारिश, खाड़ी देशों से कच्चे तेल के आयात जैसे कारकों पर निर्भरता बहुत ज्यादा है, वहां इसकी कामयाबी मुश्किल है।
इसलिए महंगाई दर का लक्ष्य करने में कोई तुक नजर नहीं आता। पूर्व गवर्नर ने सवाल किया कि अगर मानसून बिगड़ने पर खाद्य पदार्थों की कीमतें 40 फीसद बढ़ जाएं तो इसमें आरबीआइ क्या करेगा।
मौद्रिक नीति के नए फ्रेमवर्क के तहत केंद्रीय बैंक खुदरा महंगाई की औसत दर को चार फीसद पर बनाए रखने का लक्ष्य तय किया गया है। यानी महंगाई की दर दो से छह फीसद के बीच रह सकती है।