वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि केन्द्र सरकार राज्यों को किसानों के ऋण माफ करने के लिए वित्त उपलब्ध नहीं करायेगी। उन्होंने साफ कहा है कि जो राज्य किसान ऋण माफ करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए स्वयं संसाधन जुटाने होंगे।
जेटली ने सरकारी बैंक के प्रमुखों के साथ बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से कहा कि जो राज्य किसान ऋण माफ करना चाहते हैं वे कर सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें अपने संसाधन से व्यवस्था करनी होगी। केन्द्र सरकार इसमें कोई मदद नहीं करेगी।
उनसे पूछा गया था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने करीब 30 हजार करोड़ रुपये के किसान ऋण माफ करने की घोषणा की है और उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही 36 हजार करोड़ रुपये के किसान ऋण माफ कर चुकी है।
वित्त मंत्री ने बैंकों के गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के बारे में कहा कि रिजर्व बैंक जोखिम में फंसे ऐसे ऋण की सूची बनाने के अंतिम चरण में है जिस पर दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है। केन्द्रीय बैंक शीघ्र ही यह सूची जारी करने वाला है। उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों के साथ मिलकर इस दिशा में गंभीरता और सक्रियता से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों ने वर्ष 2016-17 में 1.5 लाख करोड़ रुपये का परिचालन लाभ अर्जित किया है।
इस बैठक में सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ ही रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मुंदरा और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सरकारी बैंकों का इस वर्ष मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में छह लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण जोखिम में फंसे थे।
बता दें कि महाराष्ट्र में किसानों के प्रदर्शन के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किसानों का 30 हजार करोड़ का कर्ज माफ करने का एलान किया है। वहीं इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने भी किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था.