मिसालः पुणे के गांव में सभी गरीब बच्चों ने पास की जेईई की परीक्षा

पुणे। यहां से करीब 45 किलोमीटर दूर राजगुरुनगर शहर के नजदीक काडस गांव के गरीब बच्चों ने इतिहास रच दिया है। जेईई मेन्स की परीक्षा में 70 बच्चों का चयन हो गया है, जिसे देश के अंडरग्रेजुएट लेवल में सबसे कठिन माना जाता है। एक साल की कड़ी मेहनत के बाद सभी छात्रों का इस परीक्षा के लिए चयन हो गया है।


सभी छात्र गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और दक्षिणा फाउंडेशन द्वारा उन्हें निशुल्क प्रशिक्षित किया जाता है। यह संस्था साल 2009 के बाद से सात जवाहर नवोदय विद्यालय में जेईई कोचिंग बैच चला रहा है। राजगुरुनगर में दक्षिणा वैली सेंटर के अलावा दो अन्य सेंटर्स का रिजल्ट 100 फीसद गया। इनमें राजस्थान के बुंदी में (50 छात्र) और कोट्टयम में (99 छात्रों) ने जेईई की परीक्षा पास की।


पश्चिम बंगाल के नादिया की रहने वाली मसूमी दास बताती हैं कि उनके माता-पिता मजदूर हैं। अपने परिवार में पढ़ने-लिखने वाली वह पहली हैं। वह कहती हैं कि जब भी मैं घर होती हूं, मैं गांव बच्चों को जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा देने के लिए पढ़ाती हूं। मैं चाहती हूं कि उन्हें भी वह अवसर मिल सकें, जो मेरे पास हैं।


कारगिल की रहने वाली नूर-ए-जहान फातिमा में काफी समय से राजगुरुनगर में रह रही हैं। वह कहती हैं कि मैं हमेशा डॉक्टर बनना चाहती थी। हमारे गांव में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं गरीबों के लिए सस्ते में मुहैया नहीं है। माता-पिता का एक्सीडेंट हो जाने के बाद हरिद्वार से एनईईटी की उम्मीदवार सुनिधि ने डॉक्टर बनने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि अपने परिवार में शिक्षा पाने वाली वह पहली लड़की हैं।

 

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