महाराष्ट्र में देश का पहला ‘किताबों वाला गांव’ खुलेगा

मुंबई। महाराष्ट्र के सतारा जिले का भीलर गांव अपनी स्ट्राबेरी के लिए काफी मशहूर है। अब यह किताबों के कारण भी लोकप्रिय होने जा रहा है, क्योंकि इसे देश के पहले "किताबों वाला गांव" (पुस्तकांचं गांव) का तमगा मिलने वाला है।

 

यह अवधारणा ब्रिटेन के वेल्स शहर के हे-ऑन-वे से प्रभावित है। हे-ऑन-वे अपने पुस्तक भंडारों और साहित्य महोत्सवों के लिए जाना जाता है।

 

भीलर गांव प्राकृतिक रूप से खूबसूरत पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र के निकट स्थित है। इसे किताबों वाला गांव बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पहल की है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस चार मई को इसका उद्घाटन करेंगे।

 

सूबे के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के नेतृत्व में इस परियोजना पर मराठी भाषा विभाग काम कर रहा है। गांव के आसपास किताबें पढ़ने के लिए 25 जगहों को चुना गया है। यहां साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथा संबंधी किताबें होंगी।

 

तावड़े ने शनिवार को यहां पत्रकारों को बताया, "इस गांव परिसर में करीब 15,000 किताबें (मराठी भाषा में) उपलब्ध कराई जाएंगी। राज्य सरकार ने मराठी भाषा दिवस पर 27 फरवरी, 2015 को इस तरह के "किताब वाला गांव" और साहित्य उत्सव आयोजित करने की योजना की घोषणा की थी।"

 

तावड़े ने कहा, "अब हम यह उन लोगों के लिए खोल रहे हैं, जिन्हें भाषा और साहित्य से प्रेम है। कोई भी अपनी पसंद की किताब चुन सकता है। जब तक चाहे पढ़ सकता है। बाद में दूसरों के पढ़ने के लिए उसे वहीं रख सकता है। सरकार गांव में साहित्य महोत्सव के आयोजन की योजना भी बना रही है।"

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