रायपुर । सुकमा के बुरकापाल में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत इस साल की तीसरी बड़ी घटना है। छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ दशक से राजनीतिक स्थिरता है। एक ही पार्टी की सरकार है, एक ही मुखिया हैं। हालांकि राज्य बनने के बाद से प्रदेश का चौतरफा विकास हुआ है जो नक्सल इलाकों में और भी स्पष्ट दिखता है। इसके बावजूद आज भी यह सवाल पूछा जाता है कि बस्तर में किसकी चलती है, रमन की चलती है या रमन्ना की।
रमन्ना ही वह नक्सल कमांडर है जिसने सुकमा जिले में एक के बाद एक वारदातों को अंजाम देकर सरकार सरकार के लिए बड़ी चुनौती खड़ी की है। बस्तर में भ्रष्टाचार इस कदर है कि बीजापुर में अमृत दूध पीकर बच्चे मर जाते हैं। अबूझमाड़ के अति दुर्गम सोनपुर तक पक्की सड़क बनाने के लिए जवानों को जंग लड़नी पड़ी।
सुकमा के भेज्जी में पिछले महीने पुल निर्माण की सुरक्षा में लगे 12 जवानों को विकास की कीमत चुकानी पड़ी। बस्तर में अब वे सड़कें बन रही जिन्हें पहले असंभव माना जाता है। राज्य बनने के बाद नक्सलियों से लड़ने के लिए सरकार ने सलवा जुड़ूम जैसा व्यापक अभियान खड़ा किया। पक्ष विपक्ष सभी इसमें साथ रहे।
हजारों ग्रामीणों को गांवों से निकाल पुलिस सुरक्षा में शिविरों में रखा गया। उन्हें बंदूक थमाई फिर वापस ले ली। अब ग्रामीण होटलों में काम कर रहे। सरकार की नीतियों पर कांग्रेस भी सवाल उठा रही है। नक्सल इलाकों में विकास का काम करने के लिए ठेकेदारों को पुलिस और नक्सली दोनों को कमीशन देना पड़ता है। यह बात सरकारी अधिकारी भी मानते हैं।
जनता का विश्वास खो चुकी है सरकार
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव कहते हैं इस सरकार की नीतियां नक्सल मामले में पूरी तरह विफल हैं। जनता का विश्वास सरकार खो चुकी है। सही बात मुख्यमंत्री मानते ही नहीं हैं। गलत का बचाव करते हैं। इसी साल पुलिस ने बस्तर में 1012 नक्सलियों का सरेंडर कराया। खुद पुलिस विभाग ने उनमें से सिर्फ 4 लोगों को राहत और पुनर्वास के योग्य नक्सली माना। यह तथ्य सरकार ने खुद विधानसभा में दिया है। फोर्स और जुड़ूम पर बलात्कार, हत्या, आगजनी के कई मामले हैं, किसी पर कार्रवाई नहीं की। जिन्हें जेल भेजा वे कई साल जेल में रहने के बाद निर्दोष बरी हो गए। इसीलिए कोई सूचना नहीं मिलती। सरकार अग्नि जैसे संगठनों को मदद देती है इसलिए जनता दूर होती जा रही है।
नक्सलियों को पीछे धकेला है- कौशिक
प्रदेश भाजपा अध्य धरमलाल कौशिक कहते हैं कि भौगोलिक समस्या की वजह से दिक्क्तत आ रही है। वे बीच-बीच में घटना करते हैं। बस्तर में विकास पहुंचा हैं और नक्सली दूर हुए हैं।