दुनियाभर में प्रतिबंधित 66 कीटनाशकों का भारत में धड़ल्ले से हो रहे इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में भारत में इन 66 हानिकारक रसायनों के पंजीकरण को रद्द करने और प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इन रसायनिक पदार्थें के इस्तेमाल से न सिर्फ इंसानों बल्कि जानवरों और पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है।
कार्यवाह मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ के समक्ष 28 अगस्त को इस पर सुनवाई होगी। कानून की पढ़ाई कर रहे के.वी. बीजू की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि इन कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल की जांच के लिए गठित विशेषज्ञों के पैनल में कीटनाशक निमार्ताओं की लॉबी का वर्चस्व है और पैनल उन्हीं के प्रभाव काम करता है। याचिका में कहा गया है कि कीटनाशियों के निजी निमार्ता विशेषज्ञ समिति के कर्ताधर्ता बन गए और एक आमंत्रित पक्ष से कहीं ज्यादा की भूमिका निभाई। याचिका में एक नई विशेषज्ञ समिति बनाने की मांग की, ऐसे लोग हों जो कीटनाशी उद्योग से अलग हों। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इनमें से अधिकतर कीटनाशी यूरोपीय देशों में इस आधार पर प्रतिबंधित हैं कि इनसे इंसानी और जंतु जीवन के साथ-साथ पयार्वरण को भी खतरा पैदा होता है। याचिका में जिन 66 कीटनाशियों का जिक्र है उनमें डीडीटी भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल आज भी भारत में मच्छर मारने के लिए किया जाता है।