दिल्ली के जंतर-मंतर पर करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के अन्नदाताओं ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के आश्वासन के बाद अपना आंदोलन एक महीने के लिए स्थगित कर दिया है। लेकिन कहा है कि अगर वायदे पूरे नहीं किए गए तो वे 25 मई को दिल्ली बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे।
पिछले 40 दिनों के प्रदर्शन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी प्रतिनिधियों से मुलाकात नहीं की। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली और कृषि मंत्री राधामोहन दास ने उनके प्रतिनिधियों से बात की थी।
आखिर पीएम मोदी ने इन अन्नदाताओं से मुलाकात क्यों नहीं की, इसके पीछे तीन कारण है।
पहला कारण: किसान केन्द्र सरकार से 40 हजार करोड़ की राहत की मांग कर रहे थे। अगर वह इस मामले में दखल देते तो केन्द्र सरकार पर बहुत बड़ा आर्थिक दवाब आता। इसलिए पीएम या उनके किसी भी प्रतिनिधिमंडल ने किसानों से जंतर-मंतर पर जाकर किसानों से मुलाकात नहीं की।
दूसरा कारण: यह कृषि से जुड़ा मामला है और यह राज्यों की जिम्मेदारी होती है कि वह किसानों से संबंधित मामलों में फैसला ले। यही वजह है कि पीएम मोदी ने सीधे तौर पर इस मामले में दखल नहीं दिया।
तीसरा कारण: पीएम मोदी चाहते है कि इस मामले को राज्य सरकार देखे और यूपी में जिस तरह से किसानों का कर्ज माफ किया गया है उस मॉडल को अन्य राज्यों द्वारा अपनाया जाए। यूपी सरकार ने हाल में किसानों का कर्ज माफ किया है जिसका भार यूपी सरकार पर ही आया है।
गौरतलब है कि जंतर-मंतर क्षेत्र में करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी के आश्वासन के बाद अपना आंदोलन अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया। किसान पिछले 41 दिनों से दिल्ली में आंदोलनरत थे। वे 40,000 करोड़ रुपए के सूखा राहत पैकेज, फसल ऋण माफी और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की मांग कर रहे हैं। इसके पहले उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा कई केंद्रीय और राज्य के मंत्रियों के अनुरोधों के बाद भी आंदोलन समाप्त करने से इंकार कर दिया था।
किसान नेता अय्यक्कन्नू ने कहा कि हम सोमवार को अपने घरों के लिए रवाना होंगे और 25 अप्रैल को तमिलनाडु में राज्यव्यापी बंद में शामिल होंगे।