RBI ने कहा- बैंक चाहें तो कर्ज सस्ता करने की पूरी गुंजाइश

नई दिल्ली। देश में महंगाई में मामूली वृद्धि होने की पूरी गुंजाइश है लेकिन इसके बावजूद कर्ज की दरों में कमी हो सकती है। मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने स्वयं ही यह बात कही।


पटेल ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि बैंक ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा अभी तक ग्राहकों को नहीं दे पाये हैं। एमपीसी की बैठक के मिनट्स गुरुवार को आरबीआई की तरफ से जारी किए गए।


इसमें यह बताया गया है कि जनवरी, 2015 के बाद से अभी तक आरबीआई की तरफ से प्रमुख वैधानिक दर (रेपो रेट) 1.75 फीसद की कटौती की है लेकिन बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में सिर्फ 0.90 फीसद की ही कटौती की गई है।


इस लिहाज से अगर आने वाले दिनों में आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में और कमी नहीं की जाती है तब भी बैंक चाहे तो कर्ज की दरें और घटा सकते हैं।


आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन भी अपने कार्यकाल में इस बात का आग्रह बैंकों से करते रहे लेकिन लघु बचत पर ब्याज दरों का हवाला देकर बैंकों ने कर्ज सस्ता नहीं किया। वैसे अब सरकार ने लघु बचत स्कीमों पर ब्याज दरों को अब विनियंत्रित कर दिया है फिर भी बैंको के रवैये में खास बदलाव नहीं आया है।


आरबीआई की तरफ से जारी इस प्रपत्र के मुताबिक एमपीसी की बैठक में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस बात को स्वीकार किया है कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था के जिन क्षेत्रों पर असर पड़ा था उनमें अब सुधार होने लगा है। हालांकि निजी निवेश की स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है। इसके लिए मांग में कमी को अहम वजह माना गया है।

 

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