झारखंड में मनरेगा : 72 करोड़ का भुगतान लंबित

रांची : वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान झारखंड में हुए मनरेगा कार्यों का करीब 72 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं विलंब से भुगतान के लिए मजदूरों को करीब 22 लाख रुपये का मुआवजा भी नहीं मिला है. जिन मजदूरों को काम करने के 15 दिनों के अंदर मजदूरी नहीं मिलती, उन्हें लंबित मजदूरी का 0.05 फीसदी की मामूली दर से मुआवजा देने का प्रावधान है.

कुल बकाया राशि 72 करोड़ का 63 फीसदी निर्माण सामग्री मद का, 35 फीसदी मजदूरीमद का तथा दो फीसदी प्रशासनिक खर्च का है. भुगतान न होने के तीन मुख्य कारण हैं. पहला भुगतान संबंधी जरूरी प्रकिया का पूरा न होना. जैसे वेतन सूची व फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीअो) न निकलना. दूसरा एफटीअो का तकनीकी कारणों से अस्वीकृत हो जाना. तीसरा पब्लिक फिनांस मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के तहत एफटीअो का प्रोसेस न होना.

पीएफएमएस केंद्र सरकार की एक ऑनलाइन व्यवस्था है जिसके जरिये विभिन्न सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के तहत देय राशि का भुगतान होता है. मुआवजा भुगतान लटकने का मुख्य कारण है केंद्र सरकार द्वारा जिला स्तरीय मनरेगा कर्मी को मुआवजा अस्वीकार करने की छूट देना. जबकि मनरेगा कानून में इस छूट का कोई प्रावधान नहीं है. इस छूट का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है. वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान कुल चार फीसदी मुआवजा राशि ही स्वीकार की गयी है.


यही नहीं मुआवजे की गणना एफटीअो पर हस्ताक्षर होते ही समाप्त हो जाती है, जिसके कारण इस प्रक्रिया के बाद हुए विलंब के लिए मजदूरों को मुआवजा नहीं मिलता. इन कारणों से न सिर्फ झारखंड बल्कि देश भर में कुल 9124 करोड़ रुपये मनरेगा कार्यों के तथा करीब 412 करोड़ रुपये मुआवजा मद में बकाया है. इधर, गत कई दिनों से असम, बिहार, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी व सिक्किम के एफटीअो, हार्डवेयर संबंधी किसी समस्या के कारण पास नहीं हो रहे हैं.

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