सरकार ने आज कहा कि दिल्ली के अधिकतर स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण एवं प्रदूषणकारी कणों की मात्रा स्वीकारयोग्य सीमा से अधिक पायी गयी तथा कुछ स्थानों पर नाइट्रोजन डाईआक्साइड का स्तर भी निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव के लिए भारत ने खुद अपना अध्ययन कराने का फैसला लिया है। ताकि सभी स्थिति सामने आ सके।
पर्यावरण राज्य मंत्री अनिल माधव दवे की ओर से पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्य सभा को बताया कि बहरहाल 2014-16 के वायु गुणवत्ता के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर दिन-प्रति दिन आधार पर निरंतर नहीं बढ़ रहा था।
उन्होंने बताया कि दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 21 निगरानी केंद्रों पर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत वायु गुणवत्ता पर नजर रखी जाती है।
जावड़ेकर ने कहा कि निगरानी वाले सभी स्थलों पर सल्फर डाईआक्साइड की मात्रा स्वीकार योग्य सीमा के भीतर पायी गयी। उन्होंने कहा कि नाइट्रोजन डाईआक्साइड का स्तर अलवर एवं गाजियाबाद में स्वीकारयोग्य सीमा के भीतर पाया गया हालांकि दिूल्ली कुछ स्थलों में यह सीमा से अधिक पाया गया।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण में कमी लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। बीएस-4 मानकों को एक अप्रैल से अनिवार्य किया गया है। 2020 से सीधे बीएस-6 मानकों को लागू किया जाएगा। सरकार ने बीएस-5 मानकों को लागू करने की बजाय सीधे बीएस-6 पर जाने का फैसला किया है।