राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गोरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय कानून बनाने की मांग की है. संभल कर कहा जाए, तो भी इस मांग के लिए समय का चयन डरावना है. यह बयान तब आया है, जब राजस्थान में गोरक्षा निगरानीकर्ताओं की अनियंत्रित हिंसा में एक बेकसूर मुस्लिम दुग्ध उत्पादक पहलू खान की हत्या की खबर अभी ताजा ही है.
भागवत के बयान से पहले राजस्थान के गृहमंत्री ने इसे हत्या मानने से ही इनकार कर दिया और इस घटना के लिए ‘दोनों पक्षों’ को कसूरवार ठहराया. उनके बयान से पहले केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार से इस हिंसा की सत्यता जांचने का आदेश दिया, इस बात पर ज्यादा ध्यान दिये बगैर कि मीडिया के पास इस घटना के चित्र और वीडियो, दोनों थे.
किसी को यह उम्मीद नहीं थी वैकल्पिक तथ्यों की संभावना संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा तक इतनी आसानी से पहुंच सकती है. शुरुआत में राज्यसभा में भाजपा के मुस्लिम कवच मुख्तार अब्बास नक़वी ने ऐसी किसी घटना के होने से ही इनकार कर दिया.
24 घंटे के बाद नक़वी ने यह माना कि इस तरह की कोई घटना हुई है और आश्वासन दिया कि गृह मंत्रालय सदन में पूरी रिपोर्ट पेश करेंगे. जाहिर तौर पर इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सोची-समझी चुप्पी साध रखी है.
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