कैसा लगेगा आपको एक ऐसे देश में रहते हुए जहां हर व्यक्ति की पहचान ज़ाहिर करने वाली सूचनाएं (नाम, पता, जन्म-तिथि, फोटोग्राफ- जो भी सरकार चाहे) एक ऐसे डेटा-बेस में इकट्ठे रख दी गई हो कि उसे कोई भी देख सके? इस बात पर ज़रा ग़ौर से सोचिए क्यों भारत में यह स्थिति लगभग आन पहुंची है. ऐसे डेटाबेस में रखी सूचनाओं पर हल्का-फुल्का अंकुश लागू है और इस तक पहुंच के लिए कुछ शर्तों का पालन करना पड़ेगा, बस!
इस बात को समझने के लिए हमें आधार एक्ट की धारा 8 को जानना होगा. इसकी भाषा बड़ी गूढ़ है और शायद जानबूझकर भाषा को गूढ़ रखा गया है ताकि यह आसानी से समझ न आ सके. फिर भी पहले पृष्ठभूमि के तौर पर कुछ बातों को जान लें.
आधार एक्ट में किसी व्यक्ति की ‘पहचान बताने वाली सूचनाओं’ के दो हिस्से हैं. एक हिस्सा डेमोग्राफिक (जनांकिकी) का है और दूसरा बायोमीट्रिक (जैविक) सूचनाओं का. डेमोग्राफिक सूचनाओं के अंतर्गत ‘व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि, पता और अन्य प्रासंगिक सूचनाएं’ शामिल हैं. इन्हें आधार जारी करते वक्त इकठ्ठा किया जाता है. डेमोग्राफिक सूचनाओं में कुछ जानकारी जैसे कि व्यक्ति की जाति और धर्म के बारे में सूचना मांगने की साफ-साफ मनाही है. इसे छोड़ दें तो डेमोग्राफिक सूचना के अंतर्गत सरकार की मर्ज़ी से और कोई भी जानकारी मांगी जा सकती है. इसके अलावा, एक्ट के मुताबिक अगर आपकी डेमोग्राफिक सूचनाओं में कोई बदलाव होता है, मिसाल के लिए आपका निवास-स्थान बदल जाए, तो आपको इसकी सूचना यूनिक आइडेन्टिटी अथॉरिटी (यूआईडीएआई) को देनी होगी.
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