साल के अंत तक पूरा राज्य हो जायेगा विद्युतीकृत
राज्य में ग्रामीण विद्युतीकरण का काम तेजी से चल रहा है. राज्य के 40 हजार से अधिक गांवों में से 25 हजार वैसे गांव व टोलों का विद्युतीकरण जहां आंशिक रूप से बिजली थी, वहां बिजली पहुंचा दी गयी है. बाकी बचे 15 हजार गांवों में साल के अंत तक बिजली पहुंचा दी जायेगी. यह जानकारी ग्रामीण विद्युतीकरण का काम देख रही रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन की जारी रिपोर्ट में दी गयी है. रिपोर्ट में 28 फरवरी तक की स्थिति की जानकारी दी गयी है.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में राज्य के बिहार के 40483 गांवों को पूर्ण विद्युतीकरण करने का काम शुरू हुआ. पहले राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण और अब दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत दसवीं ग्यारहवीं व 12वीं पंचवर्षीय योजना में ऐसे गांवों को पूर्ण विद्युतीकरण करने का काम जारी रहा. दिसंबर तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने की योजना बन गयी है. इसकी नियमित समीक्षा भी हो रही है. बिजली कंपनी के अलावा आरइसी भी मोनेटरिंग कर रही है. चालू वित्तीय वर्ष में 28 फरवरी तक सात हजार से अधिक गांवों को पूरी तरह रोशन किया गया है. 28 फरवरी तक 24215 गांव पूरी तरह विद्युतीकृत हो गया.
राज्य में बिजली वितरण की दो कंपनियां हैं. नॉर्थ व साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनी. दोनों बिजली वितरण कंपनियों के अधीन सात-सात सर्किल हैं. काम में तेजी लाने के उद्देश्य से हर सर्किल में एक-एक संवेदक नियुक्त होना है. इन योजना के तहत उन एपीएल परिवार जिनके यहां बिजली का कनेक्शन नहीं है उन्हें बिजली का कनेक्शन देना है.
एक कनेक्शन का खर्च करीब 3000 रुपया आयेगा. बिजली कंपनी इस राशि को किस्तों में उपभोक्ता से लेगी. योजना को समय पर और गुणवत्तापूर्ण कार्यान्वयन के लिए पीएमए (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एजेंसी) एवं टीपीआइए (थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन ऑथिरिटी) का भी प्रावधान किया गया है. नॉर्थ बिहार बिजली वितरण कंपनी को 25 लाख और साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनी 15 लाख परिवारों को कनेक्शन देना है. बिजली कंपनी आधारभूत संरचनाको दुरुस्त करने में लगी है. राज्य के सभी जिले में अब ग्रिड स्टेशन हो गया है. बड़े पैमाने पर ग्रिड व पावर सब स्टेशन का निर्माण कार्य चल रहा है.