जबलपुर। ग्वारीघाट की अवधपुरी कालोनी में रहने वाले 40 वर्षीय महेश तिवारी ने सोमवार की सुबह 10 बजे आग लगाकर आत्महत्या कर ली। कर्ज से परेशान महेश के तीन मासूम बच्चे रविवार की शाम से भूखे थे। बच्चों को भूखा देखकर महेश तड़प उठा और उसने मौत का रास्ता चुन लिया।
महेश चार महीने पहले तक अपने घर से ही रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करता था। लेकिन नोटबंदी के बाद धंधा चौपट हो गया। महेश व्यवसाय के लिए गए लोन की किश्त 1350 रुपए महीना भी नहीं दे पा रहा था। महेश के बड़े भाई अशोक तिवारी ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण महेश और उसकी पत्नी आशा घर-घर जाकर काम की तलाश करते रहे लेकिन उन्हें कहीं रोजगार नहीं मिला। इसी बीच मां की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें आयुर्वेदिक अस्पताल से विक्टोरिया में भर्ती कराया गया था।
रविवार की रात मां के पास रहने के बाद सोमवार की सुबह 9 बजे जब महेश घर पहुंचा तो उसकी पत्नी आशा और तीनों बच्चे मीनाक्षी 12 वर्ष, देवांश 7 वर्ष और कृष्णा 4 वर्ष भूखे बैठे हुए थे। बच्चों के भूखे रहने की बात पर महेश और आशा के बीच कहासुनी हुई। करीब 10 बजे महेश अंदर कमरे में गया और मिट्टी का तेल खुद उड़ेलकर पर आग लगा ली। महेश की चीखें सुनकर आशा और तीनों बच्चे चिल्लाने लगे, जिसके बाद पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर आग बुझाई और एंबुलेंस से महेश को विक्टोरिया ले जाया गया। दोपहर करीब 3.30 बजे महेश की मौत हो गई।
फाइनेंस कंपनी वालों से था परेशान
महेश के भाई ने ग्वारीघाट पुलिस को बयान दिए हैं कि महेश ने माइक्रोफाइनेंस कंपनी से लोन लिया था। जिसकी किश्त न चुका पाने पर कंपनी के एजेन्ट उसे लगातार परेशान कर रहे थे। पुलिस ने मर्ग कायम कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है। महेश का अंतिम संस्कार मंगलवार को पीएम के बाद किया जाएगा।